हल्द्वानी: उपनल कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की वजह से कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी हॉस्पिटल की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. हॉस्पिटल का अधिकांश मेडिकल स्टाफ हड़ताल है. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत मरीजों और उनके तीमारदारों को हो रही है. तीमारदार ही मरीज का स्ट्रेचर खींचने को मजबूर हैं.
अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल के उपनल कर्मचारी पिछले 2 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल के चलते सुशीला तिवारी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था लड़खड़ा गई है. अस्पताल में कर्मचारियों का टोटा होने के चलते तीमारदार और मरीजों को काफी फजीहत उठानी पड़ रहा है.
पढ़ें- देवभूमि में कम पड़ रहे 'भगवान', विशेषज्ञ डॉक्टरों के 654 पद हैं खाली
हॉस्पिटल प्रशासन के मुताबिक इस समय सुशीला तिवारी अस्पताल में करीब 500 मरीज भर्ती हैं. इनकी देखभाल सही तरीके से नहीं हो पा रही है. यहां तक की मरीजों के स्ट्रेचर पर लाने ले जाने का काम भी तीमारदार ही कर रहे हैं.
बता दें कि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में करीब 700 उपनल कर्मचारी कार्यरत हैं. ये लोग पिछले काफी समय से नियमितीकरण और उचित मानदेय की मांग कर रहे हैं. पहले भी वे हड़ताल पर गए थे, हालांकि तब सरकार के आश्वासन के बाद उन्होंने हड़तात स्थगित कर दी थी. जब सरकार ने उनकी मांगों पर कोई काम नहीं किया तो वे फिर से हड़ताल पर चल गए. सोमवार को अपनी मांगों को लेकर उपनल कर्मियों ने सरकार को एक ज्ञापन भी भेजा है.
पढ़ें- देवस्थानम बोर्ड: CM के आश्वासन का भी नहीं असर, केदारधाम के तीर्थपुरोहित का आंदोलन जारी
सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में रोजाना 2,500 से 3,000 तक ओपीडी होती थीं. उपनल कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की वजह से इस समय 1,000 से 1,500 तक ही ओपीडी हो पा रही हैं. बिलिंग व पर्ची काउंटर पर तीमारदारों और मरीजों की भीड़ लगी हुई है. फिलहाल अस्पताल प्रशासन वैकल्पिक तौर पर अस्पताल की साफ-सफाई और कर्मचारियों की कमी को पूरा कर रहा है.
सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य अरुण जोशी का कहना है कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से काम पर काफी असर पड़ा है, लेकिन जिला प्रशासन के सहयोग से कुछ कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है. मरीजों को किसी तरह से दिक्कत न हो इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है.