हल्द्वानी: उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र (Forest Research Center) अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. इसी के तहत लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र (Lalkuan Forest Research Center) प्रदेश में पहली बार सगंध पौधों के माध्यम से सगंध तेल का उत्पादन करने जा रहा है. जिससे सगंध पौधों की पहचान के साथ-साथ उनसे निकलने वाले तेल की औषधीय जानकारी हासिल की जा सके. इसके साथ ही अनुसंधान केंद्र औषधि तेलों को मेडिसिन कंपनियों को भी देगा.
वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं में पहली बार 132 सगंध प्रजाति (खुशबूदार) के पौधों का रोपण किया है, जो तैयार हो चुके हैं. इन पौधों के माध्यम से तेल निकालकर इसकी मेडिसिन गुणवत्ता की जानकारी हासिल की जाएगी. साथ ही अनुसंधान केंद्र इस तेल के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकेगा.
अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों के सगंध पौधों का यहां रोपण किया गया है. इसमें बहुत सी प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं. यहां पर इनको संरक्षित करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से सगंध पौधों की प्रजातियों में घास, झाड़ी आदि पौधे शामिल हैं. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से यह पौधे औषधीय हैं. इनमें लेमनग्रास यानी नींबू घास, पामारोजा, खस, जिरेनियम, चंदन, मिंट, पुदीना, आमा हल्दी, डेम्सक गुलाब, आर्टिमिसिया (Artemisia), नींबू घास, सिट्रोनेला, सहित 132 प्रजातियों के पौधों को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है.
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उन्होंने बताया कि पहली बार वन अनुसंधान केंद्र लालकुआं नर्सरी में एक प्लांट लगाने जा रहा है. जिसके माध्यम से सगंध पौधों का तेल निकाला जाएगा. उस पर रिसर्च कर उसकी क्षमता और उसकी मेडिसन गुणवत्ता की जांच की जाएगी. साथ ही तेल को मेडिकल कंपनियों को भी बेचा जाएगा.