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World Labor Day: यहां लगती है मजदूरों की मंडी, काम मिलने की गारंटी नहीं - Haldwani laborer

मजदूरों के हितों को बनाए रखने के लिए विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है, लेकिन हल्द्वानी की मजदूर मंडी के मजदूर सरकार और सरकार की नीतियों के खफा हैं. उनका कहना है कि सरकार मजदूरों के हित के लिए कुछ नहीं कर रही है. सरकार को चाहिए कि वो मजदूरों के हित के लिए उचित कदम उठाए.

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Published : May 1, 2022, 12:50 PM IST

Updated : May 1, 2022, 1:38 PM IST

हल्द्वानी: विश्व मजदूर दिवस के मौके पर ईटीवी भारत देश का एक अनोखी मंडी को दिखाने जा रहा है. जहां फल या सब्जी नहीं बल्कि यहां पर मजदूर बिकते हैं, जो रोजाना मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. इनको दिहाड़ी मजदूर भी कहते हैं. हल्द्वानी के बरेली रोड अब्दुल्लाह बिल्डिंग पर लगने वाली मजदूरों की मंडी रोजाना मजदूरों की बोली लगती है. बोली के अनुसार ही इन मजदूर को पैसा मिलता है.

इस मंडी में रोजाना करीब 1000 मजदूर पहुंचते हैं. इन सभी मजदूरों को जरूरी नहीं कि रोजाना काम मिल ही जाए. कई बार मजदूर मंडी से खाली हाथ लौटते हैं. कई बार मजदूर रोजी-रोटी के लिए कम मजदूरी में ही कार्य करने को तैयार हो जाते हैं. अब्दुल्लाह बिल्डिंग के पास मजदूर सुबह 5 बजे से ही बैठ जाते हैं, जो दोपहर 12 बजे तक का इंतजार करते हैं. खरीदने वाले अपने दाम के अनुसार खरीद कर मजदूरों को ले जाते हैं.

हल्द्वानी में सजती है मजदूरों की मंडी.

मजदूरों का आरोप है कि सरकार मजदूरों के लिए एक उचित मजदूरी देने की बात तो कहती है, लेकिन इस मंडी में मजदूरों को बोली लगाने वाले अपने हिसाब से बोली लगा कर ले जाते हैं. उनको मजबूरन परिवार को पालने के लिए कम दामों में ही सौदा करना पड़ता है. इस मंडी में मजदूरों का कोई रेट तय नहीं है. यहां आपको ₹100 से लेकर ₹500 तक के मजदूर आराम से मिल जाएंगे.
पढ़ें- World Labor Day: भगवान भरोसे गौला के मजदूर, आखिर कौन सुनेगा दर्द?

मजदूरों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि उनकी सुध लें, क्योंकि पिछले कई सालों से इस मंडी में उनका रेट नहीं बढ़ रहा है. सरकार को चाहिए कि मजदूरों के हित को देखते हुए उनके लिए कोई ठोस व्यवस्था करें, जिससे कि उनको उचित मजदूरी मिल सके. उनका आरोप है कि मजदूरों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है.

हल्द्वानी: विश्व मजदूर दिवस के मौके पर ईटीवी भारत देश का एक अनोखी मंडी को दिखाने जा रहा है. जहां फल या सब्जी नहीं बल्कि यहां पर मजदूर बिकते हैं, जो रोजाना मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. इनको दिहाड़ी मजदूर भी कहते हैं. हल्द्वानी के बरेली रोड अब्दुल्लाह बिल्डिंग पर लगने वाली मजदूरों की मंडी रोजाना मजदूरों की बोली लगती है. बोली के अनुसार ही इन मजदूर को पैसा मिलता है.

इस मंडी में रोजाना करीब 1000 मजदूर पहुंचते हैं. इन सभी मजदूरों को जरूरी नहीं कि रोजाना काम मिल ही जाए. कई बार मजदूर मंडी से खाली हाथ लौटते हैं. कई बार मजदूर रोजी-रोटी के लिए कम मजदूरी में ही कार्य करने को तैयार हो जाते हैं. अब्दुल्लाह बिल्डिंग के पास मजदूर सुबह 5 बजे से ही बैठ जाते हैं, जो दोपहर 12 बजे तक का इंतजार करते हैं. खरीदने वाले अपने दाम के अनुसार खरीद कर मजदूरों को ले जाते हैं.

हल्द्वानी में सजती है मजदूरों की मंडी.

मजदूरों का आरोप है कि सरकार मजदूरों के लिए एक उचित मजदूरी देने की बात तो कहती है, लेकिन इस मंडी में मजदूरों को बोली लगाने वाले अपने हिसाब से बोली लगा कर ले जाते हैं. उनको मजबूरन परिवार को पालने के लिए कम दामों में ही सौदा करना पड़ता है. इस मंडी में मजदूरों का कोई रेट तय नहीं है. यहां आपको ₹100 से लेकर ₹500 तक के मजदूर आराम से मिल जाएंगे.
पढ़ें- World Labor Day: भगवान भरोसे गौला के मजदूर, आखिर कौन सुनेगा दर्द?

मजदूरों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि उनकी सुध लें, क्योंकि पिछले कई सालों से इस मंडी में उनका रेट नहीं बढ़ रहा है. सरकार को चाहिए कि मजदूरों के हित को देखते हुए उनके लिए कोई ठोस व्यवस्था करें, जिससे कि उनको उचित मजदूरी मिल सके. उनका आरोप है कि मजदूरों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है.

Last Updated : May 1, 2022, 1:38 PM IST
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