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हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को प्रैक्टिकल के लिए मिलीं 6 डेड बॉडी, 300 लोगों ने देहदान के लिए किया आवेदन

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Published : Apr 1, 2023, 7:07 AM IST

Updated : Apr 1, 2023, 11:40 AM IST

डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीएस की डिग्री होनी जरूरी होती है. चिकित्सा के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए यह डिग्री एंट्री कार्ड की तरह है. एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के लिए करीब साढ़े पांच साल का कोर्स होता है. इन साढ़े पांच साल में डॉक्टर बनने वाले युवाओं को मानव शरीर की हर क्रियाविधि सीखनी और समझनी पड़ती है. इसके प्रैक्टिकल के लिए मानव के मृत शरीर की जरूरत होती है. हल्द्वानी के लोगों में जागरूकता आ रही है. अब लोग मृत व्यक्ति का शरीर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के प्रैक्टिकल के लिए दान कर रहे हैं.

Haldwani Medical College
हल्द्वानी समाचार
मेडिकल कॉलेज के लिए देहदान

हल्द्वानी: मानवता के कल्याण हेतु महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग दिया था. अपनी अस्थियों का दान कर दिया था. इंसान की जिंदगी को बचाने के लिए डॉक्टर की अहम भूमिका होती है. मेडिकल की पढ़ाई में मृत शरीर का बड़ा ही योगदान होता है. छात्र मृत शरीर से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद बीमार इंसानों का इलाज करते हैं. मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए छात्रों को कई बार मृत शरीर नहीं मिल पाता है. ऐसे में अब लोग देहदान के प्रति धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. जिसका नतीजा है कि कुमाऊं के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में वर्ष 2022-23 में 6 मृत शरीर दान में मिले हैं. 300 से अधिक लोगों ने देहदान के लिए आवेदन किए हैं.
बुजुर्गों के साथ युवा भी देहदान के लिए हो रहे जागरूक: राजकीय मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर दीपा देउपा ने बताया कि देहदान के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं. अभी तक बुजुर्ग लोग देहदान के लिए आवेदन करते थे. अब युवा पीढ़ी भी देहदान के प्रति जागरूक है. युवा भी देहदान के लिए आवेदन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए हर साल 4 से 5 मृत शरीर की आवश्यकता होती है.

ऐसे कर सकते हैं देहदान के लिए आवेदन: आवेदन करने वाले के परिजन उस व्यक्ति के मृत हो जाने के बाद देहदान के लिए कॉलेज प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि वर्ष 2022-23 में 6 मृत शरीर मेडिकल कॉलेज को मिले हैं. एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर दीपा देउपा का कहना है कि कोई देहदान करना चाहता है तो वह मेडिकल कॉलेज में आवेदन कर सकता है. जिसके बाद उसको सर्टिफिकेट दिया जाता है. वह इस सर्टिफिकेट को अपने परिजनों को सौंपता है. उसकी मृत्यु होने के बाद उसके परिजन उसके मृत शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई परिवार वाले मृत शरीर को दान करना चाहते हैं तो मृत्यु के 5 से 6 घंटे के भीतर में शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंप सकते हैं.
ये भी पढ़ें: हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में सर्जरी कराने के लिए पांच महीने की वेटिंग, मरीज हलकान

देहदान को महादान कहा जाता है. मृत देह मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए साइलेंट टीचर की तरह होती है. वे डेड बॉडी के अंगों पर प्रैक्टिकल कर बीमारियों का इलाज करना सीखते हैं. इससे डॉक्टर बनकर वो दूसरों को जीवन देना सीखते हैं.

मेडिकल कॉलेज के लिए देहदान

हल्द्वानी: मानवता के कल्याण हेतु महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग दिया था. अपनी अस्थियों का दान कर दिया था. इंसान की जिंदगी को बचाने के लिए डॉक्टर की अहम भूमिका होती है. मेडिकल की पढ़ाई में मृत शरीर का बड़ा ही योगदान होता है. छात्र मृत शरीर से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद बीमार इंसानों का इलाज करते हैं. मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए छात्रों को कई बार मृत शरीर नहीं मिल पाता है. ऐसे में अब लोग देहदान के प्रति धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. जिसका नतीजा है कि कुमाऊं के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में वर्ष 2022-23 में 6 मृत शरीर दान में मिले हैं. 300 से अधिक लोगों ने देहदान के लिए आवेदन किए हैं.
बुजुर्गों के साथ युवा भी देहदान के लिए हो रहे जागरूक: राजकीय मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर दीपा देउपा ने बताया कि देहदान के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं. अभी तक बुजुर्ग लोग देहदान के लिए आवेदन करते थे. अब युवा पीढ़ी भी देहदान के प्रति जागरूक है. युवा भी देहदान के लिए आवेदन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए हर साल 4 से 5 मृत शरीर की आवश्यकता होती है.

ऐसे कर सकते हैं देहदान के लिए आवेदन: आवेदन करने वाले के परिजन उस व्यक्ति के मृत हो जाने के बाद देहदान के लिए कॉलेज प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि वर्ष 2022-23 में 6 मृत शरीर मेडिकल कॉलेज को मिले हैं. एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर दीपा देउपा का कहना है कि कोई देहदान करना चाहता है तो वह मेडिकल कॉलेज में आवेदन कर सकता है. जिसके बाद उसको सर्टिफिकेट दिया जाता है. वह इस सर्टिफिकेट को अपने परिजनों को सौंपता है. उसकी मृत्यु होने के बाद उसके परिजन उसके मृत शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई परिवार वाले मृत शरीर को दान करना चाहते हैं तो मृत्यु के 5 से 6 घंटे के भीतर में शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंप सकते हैं.
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देहदान को महादान कहा जाता है. मृत देह मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए साइलेंट टीचर की तरह होती है. वे डेड बॉडी के अंगों पर प्रैक्टिकल कर बीमारियों का इलाज करना सीखते हैं. इससे डॉक्टर बनकर वो दूसरों को जीवन देना सीखते हैं.

Last Updated : Apr 1, 2023, 11:40 AM IST
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