हल्द्वानी: गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है, हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. लेकिन इस साल का दूसरा व आखिरी सूर्यग्रहण दिवाली के अगले दिन लगने के कारण दिवाली और गोवर्धन पूजा में एक दिन का अंतर आ रहा है. इस साल गोवर्धन और अन्नकूट पूजा 26 अक्टूबर बुधवार को मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Navin Chandra Joshi) के मुताबिक गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2:40 बजे से पूर्व का रहेगा.
इसलिए गोवर्धन पूजा है खास: पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने गांव वालों से देव राज इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था तब देव राज इंद्र को गुस्सा आ गया और उन्होंने खूब बारिश की, जिसकी वजह से पूरा गोकुल तबाह हो गया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. जिससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई और इंद्र देव का घमंड भी टूट गया. तभी से इस पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है.
इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत बनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है. इन पकवानों को 'अन्नकूट' कहते हैं.
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अन्नकूट का लगाया जाता है भोग: गोवर्धन की पूजा के दिन जहां भगवान कृष्ण को अन्नकूट प्रसाद तैयार कर भोग लगाकर प्रसाद खाने की परंपरा है. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने इस प्रिय प्रसाद का हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके भोग लगाकर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी. गोवर्धन पूजा के दिन प्रमुख तौर पर कड़ी चावल और बाजरा बनाया जाता है. जिसे अन्नकूट कहा जाता है.
ब्रज के गोवर्धन में तो यह मुख्य आयोजन होता ही है, इसके अलावा हर मंदिर और घरों में भी अन्नकूट बनाया जाता है. इसे प्रसाद के तौर भी बांटा जाता है. ऐसी मान्यता है कि अन्नकूट पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही दरिद्रता का नाश होकर जीवन सुखी और समृद्ध रहता है.