हल्द्वानी/रामनगर: कुमाऊं मंडल के रामनगर स्थित आस्था का केंद्र गर्जिया माता मंदिर खतरे की जद में है. गर्जिया मंदिर के टीले में दरार आई है. मंदिर के अस्तित्व को बचाने के लिए पिछले डेढ़ साल से कवायद चल रही है. लेकिन मंदिर की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है. इस बार फिर से हो रही बरसात में मंदिर को खतरा बना हुआ है. ऐसे में सिंचाई विभाग ने अब मंदिर की सुरक्षा के लिए तिरपाल का सहारा लेते हुए मंदिर के टीले को ढकने का काम किया है. जिससे मंदिर के टीले को बरसात से बचाया जा सके.
मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग संजय शुक्ला ने बताया कि फरवरी 2021 में आई भारी बरसात के चलते गर्जिया मंदिर के टीले में दरारें आ गई थीं. इसके अलावा मंदिर का टीला अब धीरे धीरे बरसात में कट रहा है, जिससे मंदिर को खतरा बना हुआ है. ऐसे में इस बार बरसात मंदिर को किसी तरह का कोई नुकसान ना पहुंचे, इसके लिए सिंचाई विभाग ने तिरपाल से मंदिर के टीले को ढकने का काम किया है.
मुख्य अभियंता ने बताया कि उन्होंने मंदिर का निरीक्षण किया था. निरीक्षण में पाया गया कि बरसात के चलते मंदिर के टीले में दरार आ रही है. जिससे मंदिर के टीले को खतरा बना हुआ है. इसके देखते हुए तिरपाल से ढकने का काम किया गया है. मुख्य अभियंता ने बताया कि मंदिर के टीले के बचाव के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था. तकनीकी दिक्कत के चलते प्रस्ताव को फिर से संशोधित करने के निर्देश दिए गए हैं. मंदिर की सुरक्षा के लिए नए सिरे से फिर से डीपीआर तैयार की जा रही है. डीपीआर के बाद नई तकनीकी के माध्यम से मंदिर के टीले को बचाने का काम किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: गर्जिया मंदिर की सिर्फ चिंता है, बजट नहीं! 10 सालों से अधर में लटका पुनरुद्धार
बताया जा रहा है कि आईआईटी रुड़की की टीम ने मार्च 2021 में गर्जिया मंदिर का सर्वे किया था. टीम ने मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था. लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक मंजूर नहीं हो पाया है. ऐसे में सिंचाई विभाग अब एक बार फिर से मंदिर की सुरक्षा के लिए नए सिरे से डीपीआर तैयार कर रहा है, जिससे कि मंदिर को बचाया जा सके.