हल्द्वानी: उत्तराखंड में साइबर ठगी के मामले लगातार (cyber fraud cases in uttarakhand) सामने आ रहे है. ताजा मामला नैनीताल जिले के हल्द्वानी (cyber crime in Haldwani) से है. यहां साइबर ठगों ने दो लोगों को अपना शिकार बनाया है. साइबर ठगों ने दोनों को करीब एक लाख 38 हजार रुपए चूना लगाया है. पुलिस ने पीड़ितों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
पहला मामला: हल्द्वानी में साइबर क्राइम का ये मामला कुसुम खेड़ा निवासी विनोद कुमार लोहनी से जुड़ा है. उन्होंने पुलिस को बताया कि इस मामले में एक तहरीर दी है. विनोद कुमार ने पुलिस को बताया कि पिछले साल नवंबर महीन में उन्होंने एक कंपनी की डीलरशिप के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. कुछ दिनों बाद विनोद कुमार को निशांत सिंह नाम के एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने बताया कि डीलरशिप के आवेदन के लिए आपको एक मेल भेजा गया है. फोन करने वाले व्यक्ति ने अपने आप को कंपनी का अधिकारी बताया था.
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विनोद कुमार ने मुताबिक निशात ने उसे डीलरशिप लेने के लिए 98,500 रुपए जमा कराने को कहा. विनोद में निशात के दिए बैंक खाते में बताई गई रकम ट्रांसफर कर दी, लेकिन उसे डीलरशीप नहीं मिली. बाद में जब विनोद ने निशात को फोन किया तो उसका मोबाइल बंद आ रहा था. इसके बाद विनोद को अपने साथ हुई ठगी अहसास हुआ और पुलिस से मामले की शिकायत की.
दूसरा मामला: हल्द्वानी में साइबर क्राइम का ये मामला कोतवाली क्षेत्र तल्ली हल्द्वानी का है. यहां राकेश जोशी ने पुलिस को एक तहरीर दी है. तहरीर में जोशी ने पुलिस को बताया कि उसे जय किशन सैनी नाम के एक शख्स का फोन आया था, जिसने उसे सेना का जवान बताते हुए फ्लैट किराए पर लेने के बात कही थी. जिसकी एवज में ₹15000 प्रति महीना किराए तय हुआ.
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राकेश का कहना है कि फोन करने वाले व्यक्ति ने कहा कि आपको किराया एडवांस भेज रहा हूं, जिसके बाद उसने उनके फोन पर एक मैसेज भेजा और कहा कि इस नोटिफिकेशन को आप ओके कर दें. राकेश ने जैसे ही मैसेज पर क्लिक तो उसके खाते से 30 हजार रुपए साफ हो गए.
इन बातों का रखें ध्यान: साइबरों ठगों से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है, वो है अपकी सतर्क रहें. थोड़े सी लापरवाही और कच्चे लालच के कारण अभी अपनी बड़ी रकम गवां सकते हैं. हमेशा इस बात का ध्यान रखे की मोबाइल पर मैसेज और अन्य सोशल साइट के माध्मय से आने से वाले लिंक की जानकारी के क्लिक न करें. अधिकांश साइबर ठग आपको ऐसे ही अपना शिकार बनाते है. किसी से भी अपना ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) शेयर नहीं करें.