हल्द्वानी: शनिवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके हैं. इन नौ दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा-अर्चना होगा. इस बार नवरात्रि में हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने एक देवी वाटिका तैयार की है. जिसमें माता रानी से जुड़े और उनको पसंद आने वाले पौधों को लगाया गया है. इनमें मुख्य रूप से नीम, केला, आंवला और गुड़हल के पौधे शामिल हैं.
इसके अलावा देवी वाटिका में नवरात्रों की पूजा में इस्तेमाल होने वाले जैसे तुलसी, पारिजात, रक्त चंदन और चन्दन के पौधों को भी यहां लगाया गया है. इन पौधों का जीवन में बड़ा औषधीय महत्व है. चंदन, रक्त चंदन और पारिजात जैसे पौधों पर यहां शोध भी किया जा रहा है. इसके साथ ही इनको संरक्षित करने का भी प्रयास किया जा रहा है.
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हर पूजा हवन में शमी के पौधे का बहुत महत्व है. माना जाता है कि शनि देव को खुश करने के लिए घर में खासकर दशहरे के दिन इसका पौधा लगाना शुभ होता है. शमी के पेड़ का वर्णन महाभारत काल में भी मिला. माना जाता है कि 12 साल के वनवास के बाद अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने अपने शस्त्र इसी पेड़ में छुपाये थे, जिसमें अर्जुन का गांडीव धनुष भी शामिल था. माना जाता है कि जो भी इस वृक्ष की पूजा करता है, उसे शक्ति और विजय प्राप्त होती है.