हल्द्वानी: उत्तराखंड के लोकप्रिय गायक बीके सामंत इन दिनों हल्द्वानी आए हैं. सामंत अपने गीतों से पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति को बचाने का संदेश देते रहते हैं. बीके सामंत ने प्रस्तावित पंचेश्वर बांध और उससे आने वाले दिनों में पड़ने वाले प्रभाव को लेकर- 'आरी पारी डूबी जाली थ्वाड़ दिनोंक बाद' गीत बनाया था. लोकगायक ने फिर से पहाड़, उसके पर्यावरण और बड़ी परियोजनाओं पर चिंता जाहिर की है. बीके सामंत ईटीवी भारत के साथ जोशीमठ पर आई आपदा के बारे में बात कर रहे थे.
बीके सामंत बोले- समय रहते संभलना होगा: उत्तराखंड की आध्यात्म नगरी जोशीमठ आज आपदा से जूझ रही है. प्रदेश में कई गांवों को ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, अगर समय रहते हम नहीं संभले तो. उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक बीके सामंत ने प्रदेश में हो रही प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहाड़ों में पर्यावरण के बदलते स्वरूप को कारण माना है. सामंत कहते हैं कि विकास जरूरी है, पर एक सीमित दायरे में. पहाड़ के हरे भरे जंगल कंकरीट के जंगलों में तब्दील हो रहे हैं. हमारे पहाड़, जंगल, गधेरे और प्रकृति द्वारा संचालित जीवन रूपी जल स्रोत ही उत्तराखंड की पहचान हैं. इन्हें बचाने के लिए प्रकृति के प्रति हमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी.
पलायन और प्रस्तावित पंचेश्वर बांध पर बीके सामंत ने गाया गीत: बीके सामंत ने पहाड़ की आपदा और पलायन को अपने गीतों में साधा है. एक बहुत ही मार्मिक दिल और दिमाग़ को छू लेने वाला गीत जिसके बोल कुछ इस प्रकार है. 'गंग बनी गे गाड़ और गाड़ बनी गे गधेरा, धारा बानी गै नौला, नौला नहै गया तली पारा' (गंगा जैसी महानदी सिर्फ नदी रह गयी है. नदी सिर्फ नाले बनकर रह गए हैं. सदा बहने वाले धारे, नौला बन गए हैं. नौले अब सूख गए हैं). गीत के बोल इस प्रकार हैं.
यो आरी-पारी डूबी जाली थ्वाड़ दिनोंक बाद
बड़न बड़न देखा पंचेश्वर में बांध
को जालौ भाबर फिरी, को जालौ हल्द्वानी
ल्ही लाजा आंख्यू में सब भरी भरी पाणी
यो गाड़क पाणी, यो नौलक पाणी
कौलो हमूथै यो धारक पाणी, पाणी पाणी पाणी
थमि जा थमि जा बगन्या पाणी
थमि जा थमि जा उड़नयां बादला
न जा न जा यो भूमि छोड़ी उ देश भाबरा.
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इस सुंदर गीत का सार यही है कि इंसान विकास के नाम पर अनियंत्रित इमारतों के पहाड़ खड़े कर ले, लेकिन प्रकृति भी भूकंप के बहाने सब बराबर कर ही देती है. जिसे हर जिम्मेदार नागरिक को समझना चाहिए कि प्रकृति की सुंदरता बनी रहे. इसके साथ ही बीके सामंत ने ईटीवी भारत के श्रोताओं के लिए 'थलकी बजारा' गीत भी गुनगुनाया.