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कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने विधायक के कार्यालय का घेराव किया - कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन

तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने शनिवार को रामनगर में प्रदर्शन किया है. इस दौरान उन्होंने रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यायल का घेराव भी किया.

Ramnagar
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Published : Jun 5, 2021, 9:47 PM IST

रामनगर: संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले शनिवार को तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के साथ विभिन्न जन संगठनों के विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय का घेराव किया. प्रदर्शनकारियों ने कानूनों की प्रतियों को जलाकर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया.

इस दौरान किसान नेता ललित उप्रेती ने कहा कि 5 जून 2020 को कोरोना लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार ने आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए गैर संवैधानिक तरीके से तीन काले कानून एक अध्यादेश के जरिए किसानों पर थोप दिए थे. यह तीनों कृषि कानून देश के किसानों के ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के खिलाफ हैं. जो देश में अन्न खाकर जिंदा है. इन कानूनों के द्वारा मोदी सरकार ने देश के कॉर्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय निगमों को कृषि उत्पाद दूध, मांस, मछली आदि की जमाखोरी व कालाबाजारी करने की खुली छूट दे दिए.

पढ़ें- तीरथ सरकार में तालमेल की कमी, मंत्री-विधायकों के बयानों से बनी असमंजस की स्थिति

उन्होंने चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर कटाक्ष किया कि हम विधायक और सांसद को इसलिए चुनते हैं कि वह संसद और विधानसभाओं में जाकर जनता के हित में कानून और नीतियों बनाएंगे. लेकिन भाजपा के सांसद और विधायक बेशर्मी के साथ किसानों और आम जनता के खिलाफ नीतियां बना रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जनता के वोटों के दम पर चुने गए जनप्रतिनिधियों उन्ही के खिलाफ नीतियां बना रहे है. इसलिए मोर्चा को भाजपा विधायकों एवं सांसदों के कार्यालयों के समक्ष तीन काले कृषि कानूनों की प्रतियां फूंक कर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जनता यदि उन्हें वोट देकर कुर्सी पर बैठा सकती है तो उन्हें उतार भी सकती है.

रामनगर: संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले शनिवार को तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के साथ विभिन्न जन संगठनों के विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय का घेराव किया. प्रदर्शनकारियों ने कानूनों की प्रतियों को जलाकर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया.

इस दौरान किसान नेता ललित उप्रेती ने कहा कि 5 जून 2020 को कोरोना लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार ने आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए गैर संवैधानिक तरीके से तीन काले कानून एक अध्यादेश के जरिए किसानों पर थोप दिए थे. यह तीनों कृषि कानून देश के किसानों के ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के खिलाफ हैं. जो देश में अन्न खाकर जिंदा है. इन कानूनों के द्वारा मोदी सरकार ने देश के कॉर्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय निगमों को कृषि उत्पाद दूध, मांस, मछली आदि की जमाखोरी व कालाबाजारी करने की खुली छूट दे दिए.

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उन्होंने चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर कटाक्ष किया कि हम विधायक और सांसद को इसलिए चुनते हैं कि वह संसद और विधानसभाओं में जाकर जनता के हित में कानून और नीतियों बनाएंगे. लेकिन भाजपा के सांसद और विधायक बेशर्मी के साथ किसानों और आम जनता के खिलाफ नीतियां बना रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जनता के वोटों के दम पर चुने गए जनप्रतिनिधियों उन्ही के खिलाफ नीतियां बना रहे है. इसलिए मोर्चा को भाजपा विधायकों एवं सांसदों के कार्यालयों के समक्ष तीन काले कृषि कानूनों की प्रतियां फूंक कर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जनता यदि उन्हें वोट देकर कुर्सी पर बैठा सकती है तो उन्हें उतार भी सकती है.

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