हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने पर्यटन के लिहाज से बॉटनी वैज्ञानिकों की मदद से ऐसे जुरासिक पार्क की स्थापना की है, जिसमें डायनासोर की प्रजातियों और उनके खानपान के जानकारी दी जाएगी. असल में तो डायनासोर को इंसानों ने नहीं देखा लेकिन हल्द्वानी में स्थापित की गई है. इस पार्क के जरिए लोगों को पता चल सकेगा कि आखिर डायनासोर क्या खाते थे ?
करीब 248 मिलियन यानी 24 करोड़ 80 लाख साल पहले डायनासोर की उत्पत्ति हुई और 6.50 करोड़ साल पहले डायनासोर का पृथ्वी से खात्मा हो गया. डायनासोर का खात्मा कैसे हुआ, इसको लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से डायनासोर के कई कंकाल मिले, जिनसे वैज्ञानिकों उनकी मौजूदगी का पता चला. जुरासिक काल में वनों के अंदर किस तरह के वनस्पति होते थे और डायनासोर कौन सी वनस्पति खाते थे ? उसको लेकर हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने रिसर्च करते हुए भारत के पहले जुरासिक पार्क की स्थापना की है.
हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने जुरासिक पार्क के बॉटनी वैज्ञानिकों की मदद से स्थापना की गई है. पार्क में डायनासोर की जीवनी को दर्शाया गया है. अनुसंधान केंद्र में तीन प्रजातियों के डायनासोर की आकृति बनाई गई है. साथ ही इनके जीवन चक्र के विषय में जानकारी दी गई है.
वन अनुसंधान के निदेशक और मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि बॉटनी वैज्ञानिकों के शोध की मदद से जुरासिक पार्क में जुरासिक युग के दौरान मौजूद वनस्पतियों को संरक्षण करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जुरासिक काल के दौरान वनों में उत्पन्न होने वाले मुख्य वनस्पतियों की पहचान की गई है. जिनमें जिंको बिलोबा, साईंकाइट्स, फर्न, सिल्वरवार्ट्स, हार्सलेट, कार्निफर और मॉस लगाए गए हैं, जो ब्लू प्रजाति के वनस्पति हैं.
उन्होंने बताया कि पार्क का स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य लोगों को डायनासोर काल के जीवन को बताना है. जिसके लिए विभाग द्वारा इस पार्क को अप्रैल माह में जनता के शैक्षिक भ्रमण के लिए खोला जाएगा. पार्क की पूरी निगरानी वन अनुसंधान द्वारा की जाएगी. भ्रमण के दौरान जूनियर रिसर्च फेलो भ्रमण में पहुंचे लोगों के लिए मार्गदर्शक का काम करेंगे. ऐसे में लोग डायनासोर काल से जुड़ी जीवनी की जानकारी हासिल कर सकते हैं.