हल्द्वानी: उत्तराखण्ड का करीब 60 फीसदी हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है. यहां अभी तक सभी जंगलों में लगभग एक समान पेड़ों की प्रजातियां ही उपलब्ध है. जल्द ही राज्य के हर जंगल के हिस्से से मृदा परीक्षण कर इस बात का पता चल सकेगा कि उस स्थान पर और कौन-कौन सी बेहतर प्रजातियां के पेड़ों को लगाया जा सकता है.
उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित वन अनुसंधान केंद्र में राज्य के अलग-अलग घने जंगलों के हिस्से से करीब 100 से ज्यादा प्रकार की मिट्टी के सैंपल का परीक्षण चल रहा है. इसके लिए बाकायदा एक म्यूजियम भी बनाया गया है. आधुनिक तकनीक से तैयार इस मृदा परीक्षण लैब में इस बात का पता लगाया जा सकेगा कि किस जंगल की मिट्टी में पीएच वैल्यू और मॉलिक्यूल की उपलब्धता कितनी है ? और किस मिट्टी में किस तरह की पेड़ों की प्रजाति उगाई जा सकती है? करीब 2 दिन के भीतर पूरी डिटेल सामने आ जाने पर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का भी पता लगाया जा सकता है.
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दरअसल, उत्तराखंड में वनों के सिमटते वन क्षेत्र को देखते हुए यब कदम उठाया जा रहा है. हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र की सोइल टेस्टिंग लैब में उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और नैनीताल के घने जंगलों से लाई मिट्टी के सैंपल का परीक्षण किया जा रहा है. मिट्टी के परीक्षण के सारे रिजल्ट सामने आने के बाद तय किया जाएगा कि आने वाले समय मे उस जंगल में किस तरह के पौधों को लगाया जाये.