हल्द्वानी: कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) की पूर्व संध्या पर देव दीपावली (dev deepawali) धूमधाम से मनाई जाती है. दीपावली के ठीक 15 दिन बाद मनाए जाने वाली कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संंध्या पर देव दीपावली मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन देवता स्वर्ग लोक में दीपावली मनाते हैं. इसलिए इसे देव दीपावली कहा जाता है. मान्यता यह भी है कि देव दीपावली के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर गंगा नदी में पवित्र स्नान कर दीपावली मनाते हैं. इस दिन गंगा नदी के किनारे असंख्य दीये जलाकर पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक आज देव दीपावली के साथ-साथ कार्तिक पूर्णमासी का व्रत भी मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार पतित पावनी मां गंगा जब धरती पर जीवों के कल्याण के लिए अवतरित हुई तब ऋषि-मुनियों और देवी-देवताओं ने मां गंगा का धरती पर स्वागत किया था. इस दिन दीये जलाकर देवी-देवताओं ने मां गंगा की आराधना की थी और इस दिन गंगा नदी के तट पर असंख्य दीये जलाकर उत्सव मनाया जाता है.
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धार्मिक मान्यता: मान्यता है कि इस दिन देवता भी स्वर्ग लोक में दीपावली मनाते हैं. इसीलिए जल ही जीवन को देखते हुए सभी इंसानों को पतित पावनी मां गंगा की पूजा आराधना करनी चाहिए. जिससे कि लोगों की जीवन खुशहाल हो सकते. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि गुरुवार यानी आज 12:05 से पूर्णमासी तिथि लग रही है. इसी दिन पूर्णमासी का व्रत भी रहेगा. जो शुक्रवार दोपहर 2:25 मिनट तक रहेगा.
मान्यता है कि देव दीपावली के दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. अगर गंगाजल संभव नहीं हो तो गंगा जल मिलाकर उसे स्नान करना चाहिए और इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाती है और शाम को असंख्य दीप जलाकर मां गंगा के साथ-साथ देवताओं का पूजन विशेष फल की प्राप्ति होती है. देव दीपावली के दिन गंगा के तट पर दिए जाने का विशेष महत्व है अगर वहां संभव नहीं हो तो घर के बाहर दीपक जलाएं.
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देव दीपावली के दिन दीप दान का भी विशेष महत्व है. इसलिए घरों में और घर के बाहर दिए जलाना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन गंगा नदी में स्नान ध्यान करने से मनुष्य की मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है.