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पर्वतीय क्षेत्रों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता पर लोग मुखर, विभाग बता रहा फायदे

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Published : Jan 28, 2020, 11:29 AM IST

पहाड़ों पर सीट बेल्ट के विरोध के बाद परिवहन विभाग जागरूकता चलाकर सीट बेल्ट के फायदों के बारे में बताया जा रहा है. नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है.

सीट बेल्ट
सीट बेल्ट

हल्द्वानीः उत्तराखंड में नए परिवहन एक्ट लागू होने के बाद नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में लोग कथित रूप से सीट बेल्ट को जानलेवा मानकर परिवहन नियमों में फेरबदल की मांग मुखर करने लगे हैं. वहीं सीट बेल्ट को लेकर लोग सोशल मीडिया के माध्यम से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में परिवहन विभाग अब सीट बेल्ट से होने वाले फायदे को लेकर लोगों को जागरूक कर रहा है, जिससे हादसों पर लगाम लग सके.

सीट बेल्ट की सख्ती का विरोध.

गौर हो कि कुछ समय पहले श्रीनगर के धारी देवी के पास एक कार अलकनंदा नदी में जा गिरी. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई. घटना के वक्त कार में तीन लोग सवार थे. ये तीनों लोग धारी देवी घूमने के लिए जा रहे थे. तब घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अगर कार स्वामी ने सीट बेल्ट नहीं पहनी होती तो शायद बाहर छिटकने से उनकी जान बच सकती थी. इस दुर्घटना में देंवेद्र सिंह निवासी श्रीकोट, प्रवीण सिंह निवासी टिहरी की मौत हो गयी. इसके बाद लगातार पहाड़ों से सीट बेल्ट की अनिवार्यता खत्म करने की मांग हो रही है.

इस दौरान रेस्क्यू कर रही टीम को मृतकों के शवों को बाहर निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. ड्राइवर सीट पर बैठे कार स्वामी के शव को बगल में बैठे व्यक्ति की सीट बेल्ट काट कर बाहर निकालना पड़ा था. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सरकार से पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है. क्योंकि ऐसी घटनाओं में जब वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर सीट बेल्ट पहना व्यक्ति वाहन से बाहर निकलने के लिए कोई भी हरकत नहीं कर पाता है.

लोगों द्वारा पहाड़ों पर चलने वाले वाहनों में सीट बेल्ट को जानलेवा बताया जा रहा है, जिसको लेकर इन दिनों कुछ लोग सोशल मीडिया से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं. लोगों की मानें तो पहाड़ पर होने वाले सड़क हादसे के दौरान सीट बेल्ट लगा व्यक्ति वाहन से नहीं कूद पाता है न हीं छिटक पाता है. ऐसे में वाहन में बैठे व्यक्ति वाहन के साथ खाई में चला जाता है जो उसके लिए जानलेवा साबित होती है.

यह भी पढ़ेंःश्रीनगर हादसा: जान बचाने वाली सीट बेल्ट ही बनी मौत की वजह, पहाड़ पर नियम बदलने की मांग

दूसरीओर सोशल मीडिया में पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट के विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए इस बार परिवहन विभाग ने विशेष रूप से सड़क सुरक्षा सप्ताह में लोगों से वार्तालाप कर रही है. परिवहन विभाग का दावा है कि लोगों को परिवहन कानून के बारे में पूरी तरह से सही से जानकारी नहीं है.

संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव मेहरा के अनुसार मैदान हो या पहाड़ वाहनों में हर व्यक्ति को सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है. इसके अलावा बाइक चालकों को न सिर्फ आईएस मार्क का हेलमेट होना चाहिए, बल्कि हेलमेट लॉक होना भी जरूरी है.

यह भी पढ़ेंः इंदिरा ह्रदयेश का पलटवार, कहा- आरोपों से नहीं डरती, धामी पद देने वालों को दिखाएं गुस्सा

इसके अलावा परिवहन विभाग का दावा है कि 99 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि पैदल चलने वाले लोगों को सड़क पर दाहिने से चलना चाहिए. जिससे कि सामने से आने वाले वाहन से बचा जा सके. संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव मेहरा के अनुसार नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है.

वाहन चालकों को सीट बेल्ट पहनकर वाहन चलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही सड़क हादसे के दौरान सीट बेल्ट के फायदे को भी बताया जा रहा है, जिससे कि सड़क हादसे पर लगाम लगाई जा सके.

हल्द्वानीः उत्तराखंड में नए परिवहन एक्ट लागू होने के बाद नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है. वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में लोग कथित रूप से सीट बेल्ट को जानलेवा मानकर परिवहन नियमों में फेरबदल की मांग मुखर करने लगे हैं. वहीं सीट बेल्ट को लेकर लोग सोशल मीडिया के माध्यम से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में परिवहन विभाग अब सीट बेल्ट से होने वाले फायदे को लेकर लोगों को जागरूक कर रहा है, जिससे हादसों पर लगाम लग सके.

सीट बेल्ट की सख्ती का विरोध.

गौर हो कि कुछ समय पहले श्रीनगर के धारी देवी के पास एक कार अलकनंदा नदी में जा गिरी. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई. घटना के वक्त कार में तीन लोग सवार थे. ये तीनों लोग धारी देवी घूमने के लिए जा रहे थे. तब घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अगर कार स्वामी ने सीट बेल्ट नहीं पहनी होती तो शायद बाहर छिटकने से उनकी जान बच सकती थी. इस दुर्घटना में देंवेद्र सिंह निवासी श्रीकोट, प्रवीण सिंह निवासी टिहरी की मौत हो गयी. इसके बाद लगातार पहाड़ों से सीट बेल्ट की अनिवार्यता खत्म करने की मांग हो रही है.

इस दौरान रेस्क्यू कर रही टीम को मृतकों के शवों को बाहर निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. ड्राइवर सीट पर बैठे कार स्वामी के शव को बगल में बैठे व्यक्ति की सीट बेल्ट काट कर बाहर निकालना पड़ा था. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सरकार से पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है. क्योंकि ऐसी घटनाओं में जब वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर सीट बेल्ट पहना व्यक्ति वाहन से बाहर निकलने के लिए कोई भी हरकत नहीं कर पाता है.

लोगों द्वारा पहाड़ों पर चलने वाले वाहनों में सीट बेल्ट को जानलेवा बताया जा रहा है, जिसको लेकर इन दिनों कुछ लोग सोशल मीडिया से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं. लोगों की मानें तो पहाड़ पर होने वाले सड़क हादसे के दौरान सीट बेल्ट लगा व्यक्ति वाहन से नहीं कूद पाता है न हीं छिटक पाता है. ऐसे में वाहन में बैठे व्यक्ति वाहन के साथ खाई में चला जाता है जो उसके लिए जानलेवा साबित होती है.

यह भी पढ़ेंःश्रीनगर हादसा: जान बचाने वाली सीट बेल्ट ही बनी मौत की वजह, पहाड़ पर नियम बदलने की मांग

दूसरीओर सोशल मीडिया में पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट के विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए इस बार परिवहन विभाग ने विशेष रूप से सड़क सुरक्षा सप्ताह में लोगों से वार्तालाप कर रही है. परिवहन विभाग का दावा है कि लोगों को परिवहन कानून के बारे में पूरी तरह से सही से जानकारी नहीं है.

संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव मेहरा के अनुसार मैदान हो या पहाड़ वाहनों में हर व्यक्ति को सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है. इसके अलावा बाइक चालकों को न सिर्फ आईएस मार्क का हेलमेट होना चाहिए, बल्कि हेलमेट लॉक होना भी जरूरी है.

यह भी पढ़ेंः इंदिरा ह्रदयेश का पलटवार, कहा- आरोपों से नहीं डरती, धामी पद देने वालों को दिखाएं गुस्सा

इसके अलावा परिवहन विभाग का दावा है कि 99 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि पैदल चलने वाले लोगों को सड़क पर दाहिने से चलना चाहिए. जिससे कि सामने से आने वाले वाहन से बचा जा सके. संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव मेहरा के अनुसार नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है.

वाहन चालकों को सीट बेल्ट पहनकर वाहन चलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही सड़क हादसे के दौरान सीट बेल्ट के फायदे को भी बताया जा रहा है, जिससे कि सड़क हादसे पर लगाम लगाई जा सके.

Intro:sammry- पहाड़ों पर सीट बेल्ट का विरोध ,परिवहन विभाग जागरूकता से सीट बेल्ट को बता रहा है लोगों को फायदा।


एंकर- उत्तराखंड में नए परिवहन एक्ट लागू होने के बाद परिवहन नियमों को लागू करने के लिए सख्ती से पालन किया जा रहा है तो वहीं पहाड़ों में जानलेवा हो रहे सीट बेल्ट को लेकर कुछ लोग सोशल मीडिया और सोशल साइटों के माध्यम से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में परिवहन विभाग अब सीट बेल्ट से होने वाले फायदे को लोगों को बताकर जागरूक कर रहा है जिससे कि सड़क हादसे को कम किया जा सके।


Body:पहाड़ों पर चलने वाले वाहनों में सीट बेल्ट को जानलेवा बताया जा रहा है जिसको लेकर इन दोनों कुछ लोग सोशल मीडिया और सोशल साइडो के माध्यम से सीट बेल्ट का विरोध कर रहे हैं।
लोगों की माने तो पहाड़ पर होने वाले सड़क हादसे के दौरान सीट बेल्ट लगा व्यक्ति वाहन से नहीं कूद पाता है नहीं छटक पाता है। ऐसे में वाहन में बैठे व्यक्ति वाहन के साथ खाई में चला जाता है जो उसके लिए जानलेवा साबित होती है।

बाइट- पान सिंह मेवाड़ी वाहन चालक
लगातार सोशल मीडिया और सोशल साइट्स में पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट के विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए इस बार परिवहन विभाग ने विशेष रूप से सड़क सुरक्षा सप्ताह में लोगों से वार्तालाप कि परिवहन विभाग का दावा है कि लोगों को परिवहन कानून के बारे में पूरी तरह से सही से जानकारी नहीं है।
संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव मेहरा के अनुसार मैदान हो या पहाड़ वाहनों में हर व्यक्ति को सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है इसके अलावा बाइक के न सिर्फ आईएस मार्ग का हेलमेट होना चाहिए बल्कि हेलमेट लॉक होना भी जरूरी है ।इसके अलावा परिवहन विभाग का दावा है कि 99 प्रतिशत लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि पैदल चलने वाले लोगों को सड़क पर दाहिने से चलना चाहिए। जिससे कि सामने से आने वाले वाहन से बचा जा सके।


Conclusion:संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव मेहरा के अनुसार नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है वाहन चालकों को सीट बेल्ट पहनकर वाहन चलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है साथ ही सड़क हादसे को दौरान सीट बेल्ट कि फायदे को भी बताया जा रहा है जिससे कि सड़क हादसे पर लगाम लगाई जा सके।

बाइट -राजीव मेहरा संभागीय परिवहन अधिकारी
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