रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों के साथ ही कई ऐसे जीव-जंतु हैं, जिनकी हर वर्ष गणना की जाती है. इन्हीं में से एक है तितली, जिनकी गणना हर साल होती है. इस साल 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक तितलियों की गणना की जाएगी. वेबिनार कार्यक्रम के माध्यम से तितली विशेषज्ञों ने इसकी जानकारी दी. बता दें कि तितली त्यार फाउंडेशन हर वर्ष तितलियों की गणना करवाता है.
कॉर्बेट में जैव विविधता: रामनगर स्थित विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हर साल लाखों सैलानी बाघों और जैविक विविधता का दीदार करने आते हैं. हर साल पार्क में बाघों की संख्या की गणना की जाती है. बाघों के अलावा भी पार्क में तितलियों का एक अद्भुत संसार है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है.
कॉर्बेट में तितलियों की प्रजाति: जैव विविधता में भी इन जीवों का अहम योगदान है. उन्हीं में एक है तितली. बता दें कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के जंगलों में तितलियों की लगभग 150 प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं, पूरे भारत में तितलियों की 1,500 प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं, पूरे विश्व में 15,000 से ज्यादा तितलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं.
तितली संरक्षण कार्यक्रम: तितलियों पर शोध करने वाले संजय छिम्वाल कहते हैं कि पिछले साल कोविड कर्फ्यू में ढील मिलने के बाद एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसे तितली त्यार नाम दिया गया था. इस कार्यक्रम में तितलियों के संरक्षण और उनके उद्देश्यों के बारे में बताया गया था. हमने स्थानीयों के साथ-साथ पर्यटकों को भी तितलियों के प्रति जागरूक किया था. विभिन्न संगठनों के सहयोग से जिसका नाम तितली त्यार दिया गया था.
पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र: संजय छिम्वाल ने कहा कि पिछले साल लोगों के उत्साह को देखकर हमें लगा कि इसे कंटिन्यू करना चाहिए. इसलिए हम इस बार भी 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक इस कार्यक्रम को करने जा रहे हैं. मुझे लगता है कि स्थानीय स्तर पर जहां तितलियों का संरक्षण होगा. वहीं, इससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. साथ कॉर्बेट आने वाले पर्यटकों के लिए यह नया आकर्षण का केंद्र होगा.
बटरफ्लाई पार्क का निर्माण जारी: संजय छिम्वाल ने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला एंट्री गेट पर बटरफ्लाई पार्क का कार्य चल रहा है. कोशिश की जा रही है कि जो बटरफ्लाई पार्क होगा, उसमें स्थानीय लोगों को ही रोजगार दिया जाए. इस पार्क में गाइड भी होंगे, जो पर्यटक को तितलियों के बार में जानकारी देंगे. इस पार्क में तितलियों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा.
तितली इको सिस्टम का इंडिकेटर: छिम्वाल ने कहा यह पार्क एक अहम भूमिका निभाएगा. कॉर्बेट में तितलियों की बहुत अच्छी डायवर्सिटी होगी. जो अभी हमने काम किया है, उसमें लगभग 150 तितलियों की प्रजातियां देखी गई हैं. यह तितलियां इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण हैं. पॉलिनेशन में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है. साथ ही इको सिस्टम का तितली एक अच्छा इंडिकेटर है. अगर तितलियां हमारे आसपास हैं तो हम यह कह सकते हैं कि यह जंगल बहुत सुरक्षित और प्रदूषण रहित है. उन्होंने कहा तितली त्यार कार्यक्रम बहुत अच्छा होने वाला है. इसके भविष्य में हमें अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.
भारतीय उपमहाद्वीप में तितलियों की प्रजाति: आपको बता दें कि कीट-पतंगों की करीब डेढ़ लाख किस्में हैं. इनमें से 15 हजार किस्म की तितलियां दुनियाभर में पाई जाती हैं. करीब पंद्रह सौ प्रजाति की तितलियां भारतीय उपमहाद्वीप में मिलती हैं. बरसात के दौरान तितलियों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हो जाती है. इमीग्रेंट, मॉरमून, ब्लैक पेंसिल, कामन टाइगर, ग्रास ज्वैल, पी ब्लू, कामन सैलर, काफमन जैम, बैरोनट ये सब यहां की कुछ तितलियों के नाम हैं. फूलों, झाड़ियों में मंडराती और दलदली जगहों पर ये तितलियां उड़ती देखी जा सकती हैं.
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तितली त्यार संस्था का उदेश्य: तितली विशेषज्ञ इमरान खान ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य तितलियों के बारे में जानकारी देना है. तितलियों की विभिन्न प्रजातियों को आने वाली पीढ़ी मोबाइल पर या किसी चित्र के माध्यम से केवल देखें, ऐसा ना हो इसके लिए तितली त्यार संस्था के माध्यम से हमारा प्रयास है कि तितलियों की प्रजातियों के लिए अधिक संख्या में ऐसे पौधों की पहचान करना, जो तितलियों को आकर्षित कर सके.
150 तितलियों की प्रजातियां: इसके साथ ही उनके प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल बना सके. ताकि टेड़ा, ढिकुली, क्यारी, पोलगढ़ के आसपास क्षेत्र में कीटों के लिए विश्व में एक विशेष स्थान बन जाए. बता दें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास के जंगलों में लगभग 150 तितलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं इस बार तितली त्यार संस्था द्वारा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक तितलियों की गणना का कार्य आरंभ किया जाएगा. जिसको लेकर आज वेबिनार कार्यक्रम रखा गया.
बायोडायवर्सिटी कम बटरफ्लाई पार्क: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने कहा पार्क के ढेला एंट्री गेट पर बायोडाइवर्सिटी कम बटरफ्लाई पार्क एक हेक्टेयर की भूमि में डेवलप किया जा रहा है. इसमें बटरफ्लाई से संबंधित जितने भी नेक्टर और होस्ट प्रजातियां हैं, उनका प्लांटेशन का कार्य गतिमान है. हमारा प्रयास है कि जो भी बटरफ्लाई की प्रजातियां कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं, वह लैंडस्केप में सभी एक जगह देखी जा सकें.
पर्यटकों को अवेयरनेस: उन्होंने कहा कि कॉर्बेट आने वाले पर्यटकों को भी तितलियों के बारे में अवेयरनेस मिलेगा. तितलियों को लेकर और इनका प्रोपरली डॉक्यूमेंटेशन किया जा जा रहा है. ढेला के मुख्य गेट पर तितली पार्क का कार्य तेजी से चल रहा है. जल्द ही तितली पार्क का कार्य पूर्ण होने की संभावना है.