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उत्तराखंड में भैया दूज पर देवताओं को चढ़ाया जाता है चूड़ा, जानें कैसे होता है तैयार

Bhaiya Dooj festival in Uttarakhand उत्तराखंड में भैजा दूज का पर्व उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़ा पर्व है. उत्तराखंड में भैया दूज के दिन धान की नई फसल से तैयार किया चूड़ा देवताओं को चढ़ाया जाता है. साथ ही बहनें अपने भाइयों को चूड़ा प्रसाद के तौर पर भी देती हैं.

Bhaiya Dooj
भैया दूज
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 15, 2023, 3:44 PM IST

रामनगर: देशभर में आज भैया दूज पर्व मनाया जा रहा है. उत्तराखंड में भी पर्व को उत्तराखंड के लोक पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है. उत्तराखंड में भैया दूज के पर्व पर धान की नई फसल को देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है. साथ ही उसी फसल के दानों को बहन अपने भाई के सिर पर भी आशीर्वाद और प्यार के तौर पर रखते हैं. इसके लिए भैया दूज से एक दिन पहले धान से चूड़ा तैयार किया जाता है, जो कि प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है.

उत्तराखंड लोक पर्वों के लिए भी जाना जाता है. यहां दर्जनों ऐसे त्योहार हैं जो उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाते हैं. उनमें से एक भैया दूज भी है, जिसमें भैया दूज से एक दिन पूर्व धान को लकड़ी के चूल्हे में लोहे की कढ़ाई में भूना जाता है. इसके बाद धान को इमाम दस्ते में कूटा जाता है. इसे चूड़ा कहते हैं. भैया दूज के दिन यही चूड़ा देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है, साथ बहन अपने भाई को खिलाती भी है.
ये भी पढ़ेंः भाई दूज आज, चंद्रमा के दर्शन से बनेंगे बिगड़े काम, वेडिंग रिंग खरीदने के लिए शुभ दिन

वहीं, रुद्रप्रयाग में भैया दूज के पावन पर्व पर विश्व अखाड़ा परिषद (गौ रक्षा विभाग) की टीम ने नगर क्षेत्र में निराश्रित घूम रहे घायल गायों और नंदी का ट्रीटमेंट किया. अभियान के तहत दो गायों एवं दो नंदी का ट्रीटमेंट किया गया, जबकि अन्य बेसहारा गायों को सब्जी विक्रेताओं की मदद से दुकान में बची सब्जी और फलों को खिलाया गया. इसके साथ ही डीएम कार्यालय के नजदीक ग्राम पंचायत सांदर के मुख्य मार्ग पर स्थित गौ धाम में गाय और नंदी के लिए चारा पत्ती की व्यवस्था भी की. नगर क्षेत्र रुद्रप्रयाग में गायों के संरक्षण और उनके संवर्द्धन को लेकर लोग आगे आ रहे हैं.

रामनगर: देशभर में आज भैया दूज पर्व मनाया जा रहा है. उत्तराखंड में भी पर्व को उत्तराखंड के लोक पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है. उत्तराखंड में भैया दूज के पर्व पर धान की नई फसल को देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है. साथ ही उसी फसल के दानों को बहन अपने भाई के सिर पर भी आशीर्वाद और प्यार के तौर पर रखते हैं. इसके लिए भैया दूज से एक दिन पहले धान से चूड़ा तैयार किया जाता है, जो कि प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है.

उत्तराखंड लोक पर्वों के लिए भी जाना जाता है. यहां दर्जनों ऐसे त्योहार हैं जो उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाते हैं. उनमें से एक भैया दूज भी है, जिसमें भैया दूज से एक दिन पूर्व धान को लकड़ी के चूल्हे में लोहे की कढ़ाई में भूना जाता है. इसके बाद धान को इमाम दस्ते में कूटा जाता है. इसे चूड़ा कहते हैं. भैया दूज के दिन यही चूड़ा देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है, साथ बहन अपने भाई को खिलाती भी है.
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वहीं, रुद्रप्रयाग में भैया दूज के पावन पर्व पर विश्व अखाड़ा परिषद (गौ रक्षा विभाग) की टीम ने नगर क्षेत्र में निराश्रित घूम रहे घायल गायों और नंदी का ट्रीटमेंट किया. अभियान के तहत दो गायों एवं दो नंदी का ट्रीटमेंट किया गया, जबकि अन्य बेसहारा गायों को सब्जी विक्रेताओं की मदद से दुकान में बची सब्जी और फलों को खिलाया गया. इसके साथ ही डीएम कार्यालय के नजदीक ग्राम पंचायत सांदर के मुख्य मार्ग पर स्थित गौ धाम में गाय और नंदी के लिए चारा पत्ती की व्यवस्था भी की. नगर क्षेत्र रुद्रप्रयाग में गायों के संरक्षण और उनके संवर्द्धन को लेकर लोग आगे आ रहे हैं.

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