हल्द्वानी: उत्तराखंड में पहली बार बर्ड्स एंड बायो डायवर्सिटी सर्वे प्रोग्राम के तहत पक्षियों के अवलोकन का काम किया गया है. जहां तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्रों में पक्षियों की प्रजातियों की पहचान की गणना की गई. 15 टीमों ने 3 दिन के भीतर 190 प्रजातियों के पक्षियों का अवलोकन किया है. बर्ड्स वाचिंग के तहत तीन दिवसीय अवलोकन कार्यक्रम का आज समापन हुआ. इससे पहले केवल प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों की गणना होती थी.
तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि इस 3 दिवसीय बर्ड्स एंड बायो डायवर्सिटी सर्वे प्रोग्राम के दौरान टीम ने शारदा बैराज और बैगुल व नानक सागर डैम के अलावा जंगलों में पाए जाने वाले पक्षियों का अवलोकन किया. वहीं, तराई पूर्वी वन प्रभाग में 8 प्रजातियों के पक्षी पहली बार देखे गए हैं, जिनमें उच्च हिमालयी क्षेत्रों के पक्षियों के अलावा विदेशी प्रजातियां भी हैं.
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पहली बार देखी गईं ये 8 प्रजातियां: पक्षियों की नई प्रजातियों में- रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ब्राउन हेडेड गल, रूडी शेलडक, ओरिएंटल पाइड हॉर्नबिल, ग्रेट स्लेटी वुडपेकर, ग्रेट हॉर्नबिल, व्हाइट रंपड वल्चर, ग्रीन बिल्ड मलकोहा शामिल हैं. बर्ड वाचिंग कार्यक्रम में उत्तराखंड के अलावा गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के पक्षी प्रेमी भी शामिल हुए, जिनके द्वारा पक्षियों का अवलोकन किया गया.
तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि पक्षियों के अवलोकन में साइबेरियन पक्षी बड़ी संख्या में देखने को मिले. उन्होंने बताया कि जिस तरह से इन क्षेत्रों में पक्षियों का संसार है, उससे भविष्य में यहां पर इको टूरिज्म की अपार संभावना है. भविष्य में यहां पर बर्ड वाचिंग टूरिज्म को विकसित करने की भी कार्य योजना तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जहां पर भविष्य में बर्ड वाचिंग टूरिज्म हो सकता है.
वहीं, बर्ड वाचिंग से जुड़े गाइड नीरज तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम में देशभर से पक्षी प्रेमी शामिल हुए थे. सभी ने नजदीक से पक्षियों की प्रजातियों को अवलोकन करने का काम किया, और भविष्य में यहां पर बर्ड वाचिंग टूरिज्म की अपार संभावना विकसित हो सकती है.