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बाजार में पहुंचा पहाड़ी फलों का राजा 'काफल', औषधीय गुणों से भरपूर इसके फायदे आपको हैरान कर देंगे

आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे फल के बारे में बताने जा रहे है, जिसके औषधीय गुणों के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंग. जिस फल की हम बात कर रहे है, उसे पहाड़ों में फलों का राजा कहा जाता है. उस फल का नाम है काफल है.

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Published : May 13, 2023, 3:32 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ों में फलों के राजा से नाम से प्रसिद्ध जंगलों का खट्टा-मीठा रसीला फल काफल बाजार में आ चुका हैं. यह पहाड़ी फल कई औषधीय गुणों से युक्त है. इस वक्त बाजार में काफल करीब 300 से 400 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. यहां तक कहा जाता है कि इसके सेवन से स्‍ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

काफल हिमलायी क्षेत्र में पाया जाने वाला खास तरह का फल है. फरवरी में काफल के पेड़ पर फूल आने शुरू हो जाते है. शुरू में काफल का रंग हरा होता है अप्रैल के आखिर तक ये लाल हो जाता है. काफल देवदार व बांच के पेड़ों के बीच उगता है. नैनीताल जिले के आमतौर पर कपाल के पेड़ आमपड़ाव, बसगांव, चोपड़ा, बलियाखान, कूड़, खुरपाताल और भवाली क्षेत्र मिलते है. कफाल पहाड़ में काफी सीमित मात्रा में उगता है, इसीलिए ये स्थानीय बाजार या मंडी में ही बिक पाता है.
पढ़ें- खाने में शामिल करें फलों और सब्जियों का 'इंद्रधनुष', प्रत्येक रंग का शरीर पर होता है खास असर

औषधीय गुणों भरपूर काफल: काफल के अनेक औषधीय गुण हैं. यह फल अपने आप में एक जड़ी-बूटी है. चरक संहिता में भी इसके अनेक गुणकारी लाभों के बारे में वर्णन किया गया है. काफल के छाल, फल, बीज और फूल सभी का इस्तेमाल आयुर्विज्ञान में किया जाता है. कफाल का वैज्ञानिक नाम माइरिका एसकुलेंटा है. कफाल में एंटी-आक्सीडेंट काफी मात्रा में पाया जाता है, जो पेट से संबंधित बीमारियों के लिए काफी लाभदायक है. डॉक्टर अक्सर काफल खाने की सलाह देते है. यहीं कारण है कि उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में हर साल लोगों काफल का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

हल्द्वानी: पहाड़ों में फलों के राजा से नाम से प्रसिद्ध जंगलों का खट्टा-मीठा रसीला फल काफल बाजार में आ चुका हैं. यह पहाड़ी फल कई औषधीय गुणों से युक्त है. इस वक्त बाजार में काफल करीब 300 से 400 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. यहां तक कहा जाता है कि इसके सेवन से स्‍ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

काफल हिमलायी क्षेत्र में पाया जाने वाला खास तरह का फल है. फरवरी में काफल के पेड़ पर फूल आने शुरू हो जाते है. शुरू में काफल का रंग हरा होता है अप्रैल के आखिर तक ये लाल हो जाता है. काफल देवदार व बांच के पेड़ों के बीच उगता है. नैनीताल जिले के आमतौर पर कपाल के पेड़ आमपड़ाव, बसगांव, चोपड़ा, बलियाखान, कूड़, खुरपाताल और भवाली क्षेत्र मिलते है. कफाल पहाड़ में काफी सीमित मात्रा में उगता है, इसीलिए ये स्थानीय बाजार या मंडी में ही बिक पाता है.
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औषधीय गुणों भरपूर काफल: काफल के अनेक औषधीय गुण हैं. यह फल अपने आप में एक जड़ी-बूटी है. चरक संहिता में भी इसके अनेक गुणकारी लाभों के बारे में वर्णन किया गया है. काफल के छाल, फल, बीज और फूल सभी का इस्तेमाल आयुर्विज्ञान में किया जाता है. कफाल का वैज्ञानिक नाम माइरिका एसकुलेंटा है. कफाल में एंटी-आक्सीडेंट काफी मात्रा में पाया जाता है, जो पेट से संबंधित बीमारियों के लिए काफी लाभदायक है. डॉक्टर अक्सर काफल खाने की सलाह देते है. यहीं कारण है कि उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में हर साल लोगों काफल का बेसब्री से इंतजार करते हैं.

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