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फूलों की खेती से महक रही बलवीर सिंह की बगिया, तरक्की की लिख रहे इबारत

कमोला गांव के किसान बलवीर सिंह कांबोज पारंपरिक खेती छोड़ फूलों की खेती कर तरक्की की नई इबारत लिख रहे हैं. उनके बगीया में कई प्रजातियों के फूल उगे हैं. ये फूल न सिर्फ गांव की शोभा बढ़ा रहे हैं, बल्कि बलवीर सिंह की आय का जरिया भी बन रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
बलवीर सिंह फूलों की खेती
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Published : Apr 22, 2021, 10:01 AM IST

Updated : Apr 22, 2021, 1:34 PM IST

रामनगर: कहते हैं सोच से संभावनाओं तक का सफर हौसलों से होकर गुजरता है. कामयाबी की राह में लाख कांटे बिछे हों, लेकिन हौसले मजबूत हों तो मंजिल आसान हो जाती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, प्रगतिशील किसान बलवीर सिंह ने. रामनगर के कमोला गांव में रहने वाले किसान बलवीर सिंह की फूलों की खेती उनकी जिंदगी महका रही है. बाजार में फूलों की डिमांड हमेशा बनी रहने से इसकी खेती कर बलवीर सिंह अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं.

फूलों की खेती से महक रही बलवीर सिंह की बगिया.

फूलों की खेती से बलबीर सिंह के जीवन में समृद्धि आ रही है. वे फिलहाल फूलों की खेती कर रहे हैं. जिस गांव में लोगों ने फूलों की खेती के लिए सोचा भी न था, आज वहां बलवीर सिंह ने अपनी मेहनत और लगन से यह कर दिखाया है. इतना ही नहीं बलवीर 15 एकड़ भूमि में फूलों की खेती से सालाना 50 से 60 लाख रुपये कमा लेते हैं. वहीं, सरोवर नगरी नैनीताल का दीदार करने आने वाले सैलानी फूलों को देख उनके खेतों तक पहुंच रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
खूबसूरत फूल.

ये भी पढ़ेंः पौड़ी में फूलों की खेती से जुड़ेंगे किसान, बढ़ेगा रोजगार का दायरा

गौर हो कि रामनगर से करीब 30 किमी दूर कमोला गांव के किसान बलवीर सिंह पारंपरिक खेती छोड़ फूलों की खेती कर तरक्की की नई इबारत लिख रहे हैं. उन्हें फूलों की खेती करता देख, अन्य किसान भी इस ओर दिलचस्पी दिखा रहे हैं. बलवीर सिंह कई एकड़ भूमि में फूलों की कई प्रजातियां की खेती कर रहे हैं. जिसकी खूशबू से पूरा कमोला गांव महक रहा है. आसपास के ग्रामीण बलवीर सिंह की मेहनत के कायल हैं और उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
बलवीर सिंह की बगिया में उगे फूल.

ये भी पढ़ेंः रंग-बिरंगी तितलियों का संसार देखना चाहते हैं तो चले आइए यहां

बलवीर सिंह के बगीया में महक ये फूल

फूलों की खेती करने वाले बलवीर सिंह कांबोज बताते हैं कि उन्होंने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से एमएससी एग्रीकल्चर किया है. उनका फूलों की ओर काफी रुझान था. पंतनगर से लौटने के बाद उन्होंने फूलों की खेती करने की ठानी. जिसके बाद उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर खुले खेत में फूलों को उगाया. उनके इस काम में उनके पिता भी बखूबी सहयोग करते हैं. उनके खेतों में ग्रेड लाइट गेंदा, प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन में जरबेरा, कारनेशन, लिलियम, गुलाब, गुलदाउदी का फूल (Chrysanthemum), डेजी, स्टार, कट फ्लावर रोज, आदि फूल महक रहे हैं. फूल की खेती को वो बीते 15 सालों से कर रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
खेतों को महका रहे फूल.

पिता किशन सिंह भी बीते 15 साल से कर रहे मदद

वहीं, बीते 15 सालों से अपने बेटे की मदद कर रहे पिता किशन सिंह कांबोज कहते हैं कि उनका बेटा बलवीर सिंह जब पंतनगर विश्वविद्यालय से पढ़ाई करके वापस आया तो उस समय उसके पास विदेशों से भी नौकरी के लिए प्रस्ताव आए. लेकिन उसका मन अपने देश और गांव में रहकर ही कुछ करने का था. इसलिए बलवीर ने उसने राय ली. जिसके तहत उन्होंने फूलों की खेती को चुना और खेती शुरू की. आज उनके फूलों की खेती को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक पहुंचते हैं. पर्यटक अपने पंसद के अनुसार फूलों खरीद कर भी ले जाते हैं.

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खूबसूरत रंग बिरंगे फूल.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में फूलों की खेती नहीं चढ़ पाई परवान, सरकार ने 5 साल में खर्च किए 38 लाख रुपए

औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं कई फूल

रामनगर महाविद्यालय के प्राचार्य एमसी पांडे का कहना है कि फूल जब सामने होता है तो मनुष्य का मन खुद ही प्रफुल्लित होता है. फूलों की एक तो सुंदरता की दृष्टि से पहचान है, वहीं फूल कुछ न कुछ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इन फूलों से औषधीय गुणों से कई सारे इलाज भी करते हैं. उन्होंने कहा फूलों की सुगंध मानसिक और शारीरिक रूप से भी प्रसन्नता देने वाली होती है.

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गेंदे के फूल.

त्योहारों पर फूलों की बढ़ जाती है डिमांड

उत्तराखंड में अब फूलों की खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है. दशहरा और दीपावली के त्योहार के मौके पर गेंदे का फूल मार्केट में दिखता है. इसका मतलब है कि गेंदे की खेती हो रही है, तभी इतने फूलों की खपत भी होती है. फूलों की खेती से लोगों को रोजगार मिलता है. साथ ही उन्होंने कहा कि बहुत कम देखरेख में भी फूलों को उगाया जा सकता है. इस तरीके से फूलों को लगाया जाएगा तो यहां की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. आबोहवा पर भी असर अच्छा असर पड़ेगा और पर्यटन में भी इजाफा होगा.

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फूलों का संसार.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बिखरी केसर की खुशबू, पीरूमदारा के किसान की मेहनत रंग लाई

आजीविका का जरिया बन सकता है फूलों की खेती

वहीं, रामनगर के उद्यान अधिकारी अर्जुन सिंह परवाल कहते हैं कि कमोला के कांबोज परिवार ने रोजगार के लिए बाहर न जाकर अपने ही क्षेत्र में पुष्प उत्पादन का कार्य कर रहे हैं. बलवीर सिंह बजून क्षेत्र में भी फूलों की खेती कर रहे हैं. जो फूल तराई में नहीं होते, वो फूल पर्वतीय क्षेत्रों में ये लोग उगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. साथ ही खुद की आजीविका भी चला रहे हैं.

रामनगर: कहते हैं सोच से संभावनाओं तक का सफर हौसलों से होकर गुजरता है. कामयाबी की राह में लाख कांटे बिछे हों, लेकिन हौसले मजबूत हों तो मंजिल आसान हो जाती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, प्रगतिशील किसान बलवीर सिंह ने. रामनगर के कमोला गांव में रहने वाले किसान बलवीर सिंह की फूलों की खेती उनकी जिंदगी महका रही है. बाजार में फूलों की डिमांड हमेशा बनी रहने से इसकी खेती कर बलवीर सिंह अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं.

फूलों की खेती से महक रही बलवीर सिंह की बगिया.

फूलों की खेती से बलबीर सिंह के जीवन में समृद्धि आ रही है. वे फिलहाल फूलों की खेती कर रहे हैं. जिस गांव में लोगों ने फूलों की खेती के लिए सोचा भी न था, आज वहां बलवीर सिंह ने अपनी मेहनत और लगन से यह कर दिखाया है. इतना ही नहीं बलवीर 15 एकड़ भूमि में फूलों की खेती से सालाना 50 से 60 लाख रुपये कमा लेते हैं. वहीं, सरोवर नगरी नैनीताल का दीदार करने आने वाले सैलानी फूलों को देख उनके खेतों तक पहुंच रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
खूबसूरत फूल.

ये भी पढ़ेंः पौड़ी में फूलों की खेती से जुड़ेंगे किसान, बढ़ेगा रोजगार का दायरा

गौर हो कि रामनगर से करीब 30 किमी दूर कमोला गांव के किसान बलवीर सिंह पारंपरिक खेती छोड़ फूलों की खेती कर तरक्की की नई इबारत लिख रहे हैं. उन्हें फूलों की खेती करता देख, अन्य किसान भी इस ओर दिलचस्पी दिखा रहे हैं. बलवीर सिंह कई एकड़ भूमि में फूलों की कई प्रजातियां की खेती कर रहे हैं. जिसकी खूशबू से पूरा कमोला गांव महक रहा है. आसपास के ग्रामीण बलवीर सिंह की मेहनत के कायल हैं और उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
बलवीर सिंह की बगिया में उगे फूल.

ये भी पढ़ेंः रंग-बिरंगी तितलियों का संसार देखना चाहते हैं तो चले आइए यहां

बलवीर सिंह के बगीया में महक ये फूल

फूलों की खेती करने वाले बलवीर सिंह कांबोज बताते हैं कि उन्होंने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से एमएससी एग्रीकल्चर किया है. उनका फूलों की ओर काफी रुझान था. पंतनगर से लौटने के बाद उन्होंने फूलों की खेती करने की ठानी. जिसके बाद उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर खुले खेत में फूलों को उगाया. उनके इस काम में उनके पिता भी बखूबी सहयोग करते हैं. उनके खेतों में ग्रेड लाइट गेंदा, प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन में जरबेरा, कारनेशन, लिलियम, गुलाब, गुलदाउदी का फूल (Chrysanthemum), डेजी, स्टार, कट फ्लावर रोज, आदि फूल महक रहे हैं. फूल की खेती को वो बीते 15 सालों से कर रहे हैं.

balveer singh cultivated flowers
खेतों को महका रहे फूल.

पिता किशन सिंह भी बीते 15 साल से कर रहे मदद

वहीं, बीते 15 सालों से अपने बेटे की मदद कर रहे पिता किशन सिंह कांबोज कहते हैं कि उनका बेटा बलवीर सिंह जब पंतनगर विश्वविद्यालय से पढ़ाई करके वापस आया तो उस समय उसके पास विदेशों से भी नौकरी के लिए प्रस्ताव आए. लेकिन उसका मन अपने देश और गांव में रहकर ही कुछ करने का था. इसलिए बलवीर ने उसने राय ली. जिसके तहत उन्होंने फूलों की खेती को चुना और खेती शुरू की. आज उनके फूलों की खेती को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक पहुंचते हैं. पर्यटक अपने पंसद के अनुसार फूलों खरीद कर भी ले जाते हैं.

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खूबसूरत रंग बिरंगे फूल.

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औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं कई फूल

रामनगर महाविद्यालय के प्राचार्य एमसी पांडे का कहना है कि फूल जब सामने होता है तो मनुष्य का मन खुद ही प्रफुल्लित होता है. फूलों की एक तो सुंदरता की दृष्टि से पहचान है, वहीं फूल कुछ न कुछ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इन फूलों से औषधीय गुणों से कई सारे इलाज भी करते हैं. उन्होंने कहा फूलों की सुगंध मानसिक और शारीरिक रूप से भी प्रसन्नता देने वाली होती है.

flowers
गेंदे के फूल.

त्योहारों पर फूलों की बढ़ जाती है डिमांड

उत्तराखंड में अब फूलों की खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है. दशहरा और दीपावली के त्योहार के मौके पर गेंदे का फूल मार्केट में दिखता है. इसका मतलब है कि गेंदे की खेती हो रही है, तभी इतने फूलों की खपत भी होती है. फूलों की खेती से लोगों को रोजगार मिलता है. साथ ही उन्होंने कहा कि बहुत कम देखरेख में भी फूलों को उगाया जा सकता है. इस तरीके से फूलों को लगाया जाएगा तो यहां की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा. आबोहवा पर भी असर अच्छा असर पड़ेगा और पर्यटन में भी इजाफा होगा.

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फूलों का संसार.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बिखरी केसर की खुशबू, पीरूमदारा के किसान की मेहनत रंग लाई

आजीविका का जरिया बन सकता है फूलों की खेती

वहीं, रामनगर के उद्यान अधिकारी अर्जुन सिंह परवाल कहते हैं कि कमोला के कांबोज परिवार ने रोजगार के लिए बाहर न जाकर अपने ही क्षेत्र में पुष्प उत्पादन का कार्य कर रहे हैं. बलवीर सिंह बजून क्षेत्र में भी फूलों की खेती कर रहे हैं. जो फूल तराई में नहीं होते, वो फूल पर्वतीय क्षेत्रों में ये लोग उगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. साथ ही खुद की आजीविका भी चला रहे हैं.

Last Updated : Apr 22, 2021, 1:34 PM IST
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