हल्द्वानी: अहोई अष्टमी कार्तिक मास की कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है. मान्यता है कि माताएं पार्वती मां के स्वरूप अहोई देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं.अहोई माता व्रत व पूजा संतान को दीर्घायु प्रदान करती हैं और घर में सुख समृद्धि लाती है.
महिलाएं रखती हैं निर्जला व्रत: ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है, जिसे अहोई माता के नाम से जाना जाता है. इस दिन सभी विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पुत्रों की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और करवा चौथ की तरह शाम को तारा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती है. अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवंबर रविवार यानि आज रखा जाएगा.
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व्रत का शुभ मुहूर्त: इस बार अहोई अष्टमी के दिन रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. ज्योतिष के अनुसार इस बार अहोई अष्टमी का व्रत खोलने का समय तारा दर्शन 7:50 के बाद होगा, जबकि चंद्रोदय दर्शन रात्रि 11:55 के बाद चंद्र उदय होगा इसके बाद चंद्र दर्शन के बाद व्रत को खोला जाएगा. जो भी माता है इस व्रत को करती हैं पुत्र की सुख शांति के साथ-साथ परिवार की धन संपदा की वृद्धि होती है.
अहोई अष्टमी पूजन सामग्री: अहोई अष्टमी के के दिन महिलाएं सुबह उठकर साफ सफाई और निवृत्ति होकर व्रत का संकल्प लें. इस दिन महिलाओं को पूजा की थाली में रोली, चूड़ी, काजल, लाल वस्त्र, सिंदूर, बिंदी, माता की तस्वीर, कागज पर बनी हुई फोटो जरूर रखनी चाहिए. पूजा के स्थान पर पानी से भरा हुआ कलश, कई प्रकार के फल, कई प्रकार के फूल, कलावा, कच्चे चावल, मिठाई, गाय का दूध, मिट्टी का दीपक, गाय का घी के साथ मां और अहोई आराधना करें.इस दिन महिलाओं को घर पर ही कुछ मीठा भोजन बनाना चाहिए और उसी से अहोई माता को भोग लगाना चाहिए.