नैनीतालः पहाड़ी इलाकों में बेतरतीब विकास पर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तेजी से हो रहा अनियोजित विकास पहाड़ों की संरचना और हिमालयी क्षेत्रों के लिए बेहद खतरनाक हैं. पहाड़ की स्थिति लगातार बदहाल होती जा रही है. जिसकी तरफ सरकारों का अब तक ध्यान नहीं दिया गया है. जिसे बचाने के लिए जोशीमठ संघर्ष समिति ने सांकेतिक प्रदर्शन किया. ताकि, सरकार इस गंभीर मसले पर ध्यान जाए.
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा पहाड़ों में क्षमता से ज्यादा बड़ी बन रही जल विद्युत परियोजनाएं, रेलवे लाइन का निर्माण, सड़कों का चौड़ीकरण समेत अंधाधुंध हो रहे पेड़ों के कटान से पहाड़ लगातार जमींदोज हो रहे हैं. लिहाजा, सरकार को पहाड़ों में अनियोजित विकास पर रोक लगाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस खामियाजा जोशीमठ नगर भी भुगत रहा है. इसके अलावा कई ऐसे नगर और जगहें भी जो खतरे की जद में हैं.
अतुल सती ने कहा साल 1976 में उत्तर प्रदेश सरकार के अध्ययन के दौरान मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ था कि जोशीमठ बेहद खतरे में है. यहां पर किसी भी प्रकार के निर्माण नहीं होने चाहिए. इसके बावजूद भी सरकार ने एनटीपीसी जैसी बड़ी परियोजना की सहमति दी. जिसके चलते आज जोशीमठ का अस्तित्व खतरे में है. स्थानीय लोग बीते 20 सालों से एनटीपीसी जैसे बड़े निर्माणों का विरोध कर रहे हैं. इसके बावजूद भी पहाड़ों में बड़े निर्माण हो रहे हैं, जिसकी वजह से आज पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में है.
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समझौते के बावजूद भी अब तक प्रभावितों को नहीं मिला उचित मुआवजाः नैनीताल पहुंचे अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ में दरार और भू धंसाव के बाद लोग काफी दहशत में हैं. जन आक्रोश के बाद सरकार ने 2 महीने के भीतर स्थानीय लोगों की 11 सूत्रीय मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक स्थानीय लोगों की मांगों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. न ही सरकार ने अब तक स्थानीय लोगों के पुनर्वास को लेकर कोई नीति बनाई है. सरकार ने सर्वे के दौरान करीब 330 परिवारों को मुआवजा देने के लिए चिन्हित किया था, जिसमें से अब तक मात्र 118 लोगों को ही मुआवजा मिल पाया है.
हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट जल्द की जाए सार्वजनिकः समाजसेवी अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ में आपदा के बाद क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की जांच को लेकर हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था. जिसमें जीएसआई, एनजीआरआई, आईआईटी रुड़की समेत 8 संस्थान के लोगों ने अपनी रिपोर्ट तैयार की, लेकिन अब तक कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है. लिहाजा, सरकार जल्द से जल्द कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करें. ताकि क्षेत्रवासियों को जोशीमठ की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके.