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नैनीताल: आशाओं ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा , कहा- जितना काम उतना पैसा दे सरकार

सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए आशाओं का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी है. नैनीताल में आशाओं ने सरकार से अपनी 2 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग की.

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Published : Aug 8, 2020, 6:47 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 9:51 PM IST

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आशा कार्यत्रियों का धरना

नैनीताल: आशा वर्करों ने तल्लीताल गांधी पार्क में दूसरे दिन भी राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखा. आशाओं ने सरकार पर कोविड-19 ड्यूटी के दौरान उनकी उचित व्यवस्था न करने और शोषण करने का आरोप लगाया. उन्होंने मांग की है कि उनका वेतन भत्ता 10 हजार दिया जाए, नहीं तो 10 अगस्त से वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

आशाओं ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा .

प्रदर्शन के दूसरे दिन आशाओं ने कहा कि सरकार बिना मानदेय के उत्तराखंड में कोविड-19 के दौरान काम कराती रही. साथ ही आशाओं के लिए घोषित 2000 रुपए का पारिश्रमिक भी समय से उनको नहीं दिया गया. आशाओं का कहना है कि घर वापस लौट रहे प्रवासियों के आंकड़े जुटाने के लिए आशाओं की जबरन ड्यूटी लगाई जा रही है. जिस वजह से उनपर काम का बोझ बढ़ गया है, लेकिन सरकार इसके बावजूद भी उनको पारिश्रमिक कम दे रही है. जबकि, लॉकडाउन के दौरान वे फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका निभा रही हैं.

पढ़ें: सोमेश्वर: मकान गिरने से एक व्यक्ति घायल, पत्नी और बच्चों ने भागकर बचाई जान

विरोध प्रदर्शन के दौरान आशा वर्करों ने कोविड ड्यूटी के दौरान उनको 10 हजार रुपए भत्ता देने, राज्य कर्मचारी का दर्जा और उनकी तर्ज में वेतन भत्ते देने की मांग की है. आशाओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वे 10 अगस्त से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगी.

नैनीताल: आशा वर्करों ने तल्लीताल गांधी पार्क में दूसरे दिन भी राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखा. आशाओं ने सरकार पर कोविड-19 ड्यूटी के दौरान उनकी उचित व्यवस्था न करने और शोषण करने का आरोप लगाया. उन्होंने मांग की है कि उनका वेतन भत्ता 10 हजार दिया जाए, नहीं तो 10 अगस्त से वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

आशाओं ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा .

प्रदर्शन के दूसरे दिन आशाओं ने कहा कि सरकार बिना मानदेय के उत्तराखंड में कोविड-19 के दौरान काम कराती रही. साथ ही आशाओं के लिए घोषित 2000 रुपए का पारिश्रमिक भी समय से उनको नहीं दिया गया. आशाओं का कहना है कि घर वापस लौट रहे प्रवासियों के आंकड़े जुटाने के लिए आशाओं की जबरन ड्यूटी लगाई जा रही है. जिस वजह से उनपर काम का बोझ बढ़ गया है, लेकिन सरकार इसके बावजूद भी उनको पारिश्रमिक कम दे रही है. जबकि, लॉकडाउन के दौरान वे फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका निभा रही हैं.

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विरोध प्रदर्शन के दौरान आशा वर्करों ने कोविड ड्यूटी के दौरान उनको 10 हजार रुपए भत्ता देने, राज्य कर्मचारी का दर्जा और उनकी तर्ज में वेतन भत्ते देने की मांग की है. आशाओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो वे 10 अगस्त से प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगी.

Last Updated : Aug 8, 2020, 9:51 PM IST
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