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हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में बनाया गया एक्वेटिक जोन, 5 तरह की वॉटर लिली, लोटस की कई प्रजातियां मौजूद

हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र(Haldwani Forest Research Center) में एक्वेटिक जोन(Aquatic Zone at Haldwani Forest Research Center) बनाया गया है. जिसमें आजकल 5 तरह की वॉटर लिली(5 types of water lilies in Haldwani Aquatic Zone) खिली हुई है. साथ ही यहां लोटस की कई प्रजातियां भी मौजूद हैं.

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हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र में बनाया गया एक्वेटिक जोन
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Published : Dec 1, 2022, 12:35 PM IST

हल्द्वानी: कुमाऊं प्रवेश द्वार में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र(Haldwani Forest Research Center) में आपको कई प्रजातियां देखने को मिलेंगे. अगर आप एक्वेटिक यानी जलीय पौधों का शौक रखते हैं तो ये खबर आपके लिए खास है. वन अनुसंधान केंद्र के रेंजर मदन बिष्ट(Forest Research Center Ranger Madan Bisht) के मुताबिक यहां वाटर लिली(5 types of water lilies in Haldwani Aquatic Zone ) और लोटस यानी कमल की कई प्रजातियां हैं. ये सुंदर होने के साथ ही बेहद मनमोहक भी हैं. इसके लिए हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में एक्वेटिक जो(Aquatic Zone at Haldwani Forest Research Center)न बनाया गया है. जिसमें आजकल 5 तरह की वाटर लिली खिली हुई हैं.

एक्वेटिक जोन में कमल की करीब 15 प्रजातियां हैं. यह उन छात्र-छात्राओं के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है जो एक्वेटिक प्लांट यानी जलीय पौधों पर शोध कर रहे हैं.वाटर लिली 12 महीने खिलने वाला जलीय पौधा है, जबकि कमल के अनेक रंग आपको फरवरी के बाद देखने को मिलेंगे. वॉटर लिली और कमल की कई प्रजातियों को यहां संरक्षित करने का भी काम किया जा रहा है. वन अनुसंधान केंद्र में छोटे से पाउंड मैं तैयार किए गए हैं.

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यहां लिली और कमल की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जो लगातार कम होती जा रही हैं. इसके अलावा मैजिक प्लांट, सिंघाड़ा और वाटर कैना की भी जातियां एक्वेटिक जोन में रखी गई हैं. वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी कई ऐसी पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है जो विलुप्त होने के कगार पर हैं. इनमे औषधीय पौधे, जलीय पौधे शामिल हैं. जिन पौधों को यहां संरक्षित करने का काम किया जा रहा है.

हल्द्वानी: कुमाऊं प्रवेश द्वार में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र(Haldwani Forest Research Center) में आपको कई प्रजातियां देखने को मिलेंगे. अगर आप एक्वेटिक यानी जलीय पौधों का शौक रखते हैं तो ये खबर आपके लिए खास है. वन अनुसंधान केंद्र के रेंजर मदन बिष्ट(Forest Research Center Ranger Madan Bisht) के मुताबिक यहां वाटर लिली(5 types of water lilies in Haldwani Aquatic Zone ) और लोटस यानी कमल की कई प्रजातियां हैं. ये सुंदर होने के साथ ही बेहद मनमोहक भी हैं. इसके लिए हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में एक्वेटिक जो(Aquatic Zone at Haldwani Forest Research Center)न बनाया गया है. जिसमें आजकल 5 तरह की वाटर लिली खिली हुई हैं.

एक्वेटिक जोन में कमल की करीब 15 प्रजातियां हैं. यह उन छात्र-छात्राओं के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है जो एक्वेटिक प्लांट यानी जलीय पौधों पर शोध कर रहे हैं.वाटर लिली 12 महीने खिलने वाला जलीय पौधा है, जबकि कमल के अनेक रंग आपको फरवरी के बाद देखने को मिलेंगे. वॉटर लिली और कमल की कई प्रजातियों को यहां संरक्षित करने का भी काम किया जा रहा है. वन अनुसंधान केंद्र में छोटे से पाउंड मैं तैयार किए गए हैं.

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यहां लिली और कमल की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जो लगातार कम होती जा रही हैं. इसके अलावा मैजिक प्लांट, सिंघाड़ा और वाटर कैना की भी जातियां एक्वेटिक जोन में रखी गई हैं. वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी कई ऐसी पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा है जो विलुप्त होने के कगार पर हैं. इनमे औषधीय पौधे, जलीय पौधे शामिल हैं. जिन पौधों को यहां संरक्षित करने का काम किया जा रहा है.

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