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उत्तराखंड में शुरू हुआ लिंग वर्गीकृत वीर्य का उत्पादन, 90% बछिया पैदा होने की गारंटी - uttarakhand news

उत्तराखंड पशुओं में लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. जिसे पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. वर्गीकृत वीर्य दुधारू पशुओं के लिए तैयार किया गया है. इसके उपयोग से 90% बछिया ही पैदा होती है.

मीडिया से बात करती एडिशनल मैनेजर पशुपालन विभाग डॉ.कविता.
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Published : May 25, 2019, 12:12 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड पशुओं में लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. जिससे पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. वर्गीकृत वीर्य दुधारू पशुओं के लिए तैयार किया गया है. इसके उपयोग से 90% बछिया ही पैदा होती है. ये गाय और भैंस दोनों जानवरों के लिए उपलब्ध है. जिससे अब किसानों को आवारा पशुओं से निजात मिलने के साथ ही पशुपालकों की आमदनी में भी इजाफा होगा.

उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां गाय-भैंसों के लिए लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया गया है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत ऋषिकेश के श्यामपुर प्रयोगशाला में लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया जा रहा है. उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड और कुमाऊं एडिशनल मैनेजर पशुपालन विभाग डॉक्टर कविता का कहना है कि यूएसए और यूएलडीबी ऋषिकेश श्यामपुर सीमन सेंटर के तकनीकी सहयोग से लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया जा रहा है.

उत्तराखंड बना लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य.

उन्होंने कहा कि 2022 तक पशु पालकों की आय दोगुनी करने और आवारा जानवरों से निजात पाने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है. जिसके तहत अब गाय और भैंस में इस तकनीकी के माध्यम से केवल बछिया ही पैदा की जाएगी. डॉ. कविता का कहना है कि पशुपालकों के ऊपर ज्यादा बोझ न पड़े इसके लिए 300 रुपये शुल्क रखा है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड पशुओं में लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. जिससे पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. वर्गीकृत वीर्य दुधारू पशुओं के लिए तैयार किया गया है. इसके उपयोग से 90% बछिया ही पैदा होती है. ये गाय और भैंस दोनों जानवरों के लिए उपलब्ध है. जिससे अब किसानों को आवारा पशुओं से निजात मिलने के साथ ही पशुपालकों की आमदनी में भी इजाफा होगा.

उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां गाय-भैंसों के लिए लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया गया है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत ऋषिकेश के श्यामपुर प्रयोगशाला में लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया जा रहा है. उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड और कुमाऊं एडिशनल मैनेजर पशुपालन विभाग डॉक्टर कविता का कहना है कि यूएसए और यूएलडीबी ऋषिकेश श्यामपुर सीमन सेंटर के तकनीकी सहयोग से लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया जा रहा है.

उत्तराखंड बना लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य.

उन्होंने कहा कि 2022 तक पशु पालकों की आय दोगुनी करने और आवारा जानवरों से निजात पाने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है. जिसके तहत अब गाय और भैंस में इस तकनीकी के माध्यम से केवल बछिया ही पैदा की जाएगी. डॉ. कविता का कहना है कि पशुपालकों के ऊपर ज्यादा बोझ न पड़े इसके लिए 300 रुपये शुल्क रखा है.

Intro:स्लग-पशु पालकों के लिए खुशखबरी: उत्तराखंड बना देश का पहला वर्गीकृत वीर्य तैयार करने वाला प्रदेश( अब पैदा होंगी सिर्फ बछिया) ( स्पेशल खबर) रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी एंकर - देवभूमि उत्तराखंड का डंका पूरे देश में बजता है। उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बना है जो पशुओं के लिए लिंग वर्गीकृत वीर्य ( sex sorted semen ) तैयार करने वाला प्रदेश बना है । वर्गीकृत वीर्य दुधारू पशुओं के लिए तैयार किया गया है। इसके उपयोग से 90% बछिया ही पैदा होगी ।यह सुविधा गाय और भैंस दोनों जानवरों के लिए उपलब्ध हो गया है। इसके बाद अब किसानों को आवारा पशुओं से निजात मिलेगा साथ ही किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा।


Body:उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बना है जो गाय-भैंसों के लिए लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत ऋषिकेश के श्यामपुर प्रयोगशाला में लिंग वर्गीकृत वीर्य तैयार किया जा रहा है। उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड पशुपालन विभाग कुमाऊं मंडल एडिशनल मैनेजर डॉ कविता का कहना है कि( यू एस ए )और यू एलडीबी) ऋषिकेश श्यामपुर सीमन सेंटर के तकनीकी सहयोग से लिंग वर्गीकृत विर्य तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि2022 तक पशु पालकों की आय दोगुनी करने और आवारा जानवरों से निजात पाने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है जिसके तहत अब गाय और भैंसों में इस तकनीकी के माध्यम से केवल बछिया ही पैदा कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधि के तहत 90% से अधिक बछिया उत्पादन में सफलता मिल चुका है।


Conclusion:डॉ कविता का कहना है कि पशुपालकों के ऊपर ज्यादा बोझ ना पड़ सके इसके लिए इस सीमन की मूल्य ₹300 रखा गया है। और जल्द ही किसान इसका लाभ ले सकेंगे। बाइट- डॉक्टर कविता, एडिशनल मैनेजर उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड कुमाऊँ मंडल
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