रामनगर: उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छिपी नहीं है. बीते दिनों कुमाऊं और गढ़वाल में गर्भवती महिलाओं की मौत इसका जीता जागता उदाहरण है. वहीं, इन घटनाओं से भी स्वास्थ्य महकमा सबक नहीं ले रहा है. ताजा मामला रामनगर संयुक्त चिकित्सालय का है, जहां इलाज के अभाव में एक गर्भवती महिला घंटों तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही. हालांकि, जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और महिला को तुरंत इलाज देने की बात कही.
गढ़वाल और कुमाऊं के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले रामनगर इन दिनों चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा है. वहीं, रामनगर संयुक्त चिकित्सालय को बेहतर सुविधाओं के लिए पीपीपी मोड पर दिया गया था लेकिन अब भी यहां डॉक्टरों की कमी बनी बुई है. ऐसे में अस्पताल में सर्जन न होने के चलते पहाड़ से आने वाली गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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ताजा मामला मंगलवार का है. अल्मोड़ा जिले के मछोड़ गांव से एक गर्भवती यहां इलाज के लिए पहुंची थी. आशा वर्कर यूनियन की उपाध्यक्ष कमला बधानी ने बताया कि अस्पताल में गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी लेकिन उसे देखने के लिए अस्पताल में कोई महिला चिकित्सक नहीं है.
वहीं, जब इस ईटीवी भारत ने इस मामले का संज्ञान लिया तो अस्पताल के एमएस ने गर्भवती महिला को तुरंत उपचार देने की बात कही. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार कब तक अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा.