हल्द्वानी: कोविड-19 की दूसरी लहर में भयावह स्थिति देखने को मिली थी. हालात ऐसे हो गए थे कि श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए लोगों को लाइनें लगानी पड़ी थी. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार को आत्मा की शांति के साथ ही दिवंगत के धार्मिक कर्मकांड की प्रक्रिया को सर्वोत्तम माना जाता है. मगर हल्द्वानी के राजपुरा स्थित श्मशान घाट में कोविड-19 के दौरान अंतिम संस्कार किए गए शवों के अस्थि कलश आज भी अपने लोगों का इंतजार कर रहे हैं.
राजपुरा श्मशान घाट में लगभग 50 अस्थि कलश आज भी हिंदू धर्म की आस्था के अनुसार अंतिम संस्कार की विसर्जन प्रक्रिया के लिए रखे गये हैं. मगर इतना समय बीतने के बाद भी आज तक उन्हें लेने कोई नहीं आया है.
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राजपुरा श्मशान घाट के पदाधिकारी संपत्ति मंत्री रामबाबू जयसवाल के मुताबिक कोविड-19 के दौरान रोजाना दर्जनों की संख्या में यहां शवों को अंतिम संस्कार किया जा रहा था. जिसमें कई लोगों के परिजन अपनों के अस्थि कलश ले गए, मगर अभी भी 50 अस्थि कलश श्मशान घाट में मौजूद हैं. इन अस्थिय कलशों को अपनों का इंतजार है. उन्होंने कहा अगर जल्द ही उनके परिजन नहीं आते हैं तो समिति सामूहिक बैठक कर यह निर्णय लेगी कि सभी अस्थि कलश को हिंदू रिति-रिवाज के अनुसार हरिद्वार में विसर्जित किये जाये. जिससे दिवंगत आत्माओं को शांति मिल सके.
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श्मशान घाट के मुंशी भागीरसन प्रसाद के मुताबिक कोविड-19 के दौरान लोग शवों को श्मशान घाट पर छोड़कर जा रहे थे. जिनका समिति द्वारा अंतिम संस्कार किया गया. कई लोग अपनों की अस्थियां ले गए. अब यहां 50 अस्थि कलश हैं, जिनके स्वजन अभी तक यहां नहीं पहुंचे हैं. तब से लेकर आज तक इन अस्थियों को सुरक्षित रखा गया है.
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गौरतलब है कि हल्द्वानी स्थित राजपुरा श्मशान घाट में कोविड-19 के दौरान करीब 500 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार हुआ था. कोविड-19 के मामले कम होने के बाद कई लोगों के परिजन अपनों की अस्थियां ले गए. मगर अभी भी कई अस्थि कलश ऐसे हैं जिनको अपनों का इंतजार है.