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कुमाऊं के 6 जिलों में अबतक 443 प्राइमरी स्कूल बंद, 1200 से अधिक पर जल्द लटकने वाला है ताला

कुमाऊं के 6 जिलों में शिक्षा का बुरा हाल है. यहां 443 प्राइमरी स्कूल अब तक बंद हो गये हैं जबकि करीब 1264 प्राइमरी स्कूलों में छात्र संख्या 10 से भी कम रह गई है.

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कुमाऊं के 6 जिलों में अब तक बंद हुए 443 प्राइमरी स्कूल
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Published : Mar 31, 2021, 4:41 PM IST

Updated : Mar 31, 2021, 5:06 PM IST

नैनीताल: भले ही उत्तराखंड में राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे करें लेकिन राज्य सरकार के यह सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल क्षेत्र में करीब 1264 प्राइमरी स्कूल अब बंदी के कगार पर जा पहुंचे हैं. इन स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम रह गई है. जिस वजह से अब इन स्कूलों के सामने बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

वहीं, मंडलिया अपर निर्देशक रघुनाथ आर्य बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन हो रहा है, लोग अपने बच्चों को लेकर मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिस वजह से आज पहाड़ों के स्कूल बंदी की कगार पर जा पहुंचे हैं. इतना ही नहीं वीआईपी जिला नैनीताल में 3 प्राइमरी स्कूल आज बंद हो चुके हैं जबकि 14 स्कूलों को छात्र संख्या कम होने के चलते आपस में विलय कर दिया गया है.

कुमाऊं के 6 जिलों में अब तक बंद हुए 443 प्राइमरी स्कूल
अपर निर्देशक रघुनाथ आर्य बताते हैं कि लोगों का सरकारी स्कूलों की तरफ मोहभंग हो गया है. लोग प्राइवेट स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिस वजह से आज सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं. बता दें कि नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र अपनी शिक्षा की गुणवत्ता के लिए जाने जाते थे. देश-विदेश से लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे, मगर बीते 10 सालों में शिक्षा का स्तर नैनीताल के स्कूलों का गिरा है. जिस वजह से नैनीताल के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ कई निजी स्कूल भी बंदी की कगार पर जा पहुंचे हैं.

कुमाऊं के 6 जिलों की स्थिति दयनीय

  1. अल्मोड़ा: 184
  2. बागेश्वर : 12
  3. चंपावत: 46
  4. नैनीताल: 18
  5. पिथौरागढ़: 179
  6. उधम सिंह नगर: 4 प्राइमरी स्कूल बंद हो चुके हैं.


इन जिलों के इतने स्कूल में में हैं 10 से कम छात्र

  1. अल्मोड़ा: 488
  2. बागेश्वर: 135
  3. चंपावत: 121
  4. नैनीताल: 157
  5. पिथौरागढ़: 340
  6. उधम सिंह नगर: 23 स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम रह गई है, जो कभी भी बंद हो सकते हैं.

नैनीताल: भले ही उत्तराखंड में राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे करें लेकिन राज्य सरकार के यह सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल क्षेत्र में करीब 1264 प्राइमरी स्कूल अब बंदी के कगार पर जा पहुंचे हैं. इन स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम रह गई है. जिस वजह से अब इन स्कूलों के सामने बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

वहीं, मंडलिया अपर निर्देशक रघुनाथ आर्य बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों से लगातार पलायन हो रहा है, लोग अपने बच्चों को लेकर मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिस वजह से आज पहाड़ों के स्कूल बंदी की कगार पर जा पहुंचे हैं. इतना ही नहीं वीआईपी जिला नैनीताल में 3 प्राइमरी स्कूल आज बंद हो चुके हैं जबकि 14 स्कूलों को छात्र संख्या कम होने के चलते आपस में विलय कर दिया गया है.

कुमाऊं के 6 जिलों में अब तक बंद हुए 443 प्राइमरी स्कूल
अपर निर्देशक रघुनाथ आर्य बताते हैं कि लोगों का सरकारी स्कूलों की तरफ मोहभंग हो गया है. लोग प्राइवेट स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं. जिस वजह से आज सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं. बता दें कि नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्र अपनी शिक्षा की गुणवत्ता के लिए जाने जाते थे. देश-विदेश से लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे, मगर बीते 10 सालों में शिक्षा का स्तर नैनीताल के स्कूलों का गिरा है. जिस वजह से नैनीताल के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ कई निजी स्कूल भी बंदी की कगार पर जा पहुंचे हैं.

कुमाऊं के 6 जिलों की स्थिति दयनीय

  1. अल्मोड़ा: 184
  2. बागेश्वर : 12
  3. चंपावत: 46
  4. नैनीताल: 18
  5. पिथौरागढ़: 179
  6. उधम सिंह नगर: 4 प्राइमरी स्कूल बंद हो चुके हैं.


इन जिलों के इतने स्कूल में में हैं 10 से कम छात्र

  1. अल्मोड़ा: 488
  2. बागेश्वर: 135
  3. चंपावत: 121
  4. नैनीताल: 157
  5. पिथौरागढ़: 340
  6. उधम सिंह नगर: 23 स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम रह गई है, जो कभी भी बंद हो सकते हैं.
Last Updated : Mar 31, 2021, 5:06 PM IST
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