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उत्तराखंड के अस्पतालों में 40% डॉक्टरों के पद हैं खाली, कैसे होगा 'बीमार' अस्पतालों का इलाज? - आरटीआई  सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया हल्द्वानी

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एलोपैथी के डॉक्टरों की भारी कमी है. प्रदेश में करीब 40% पद डॉक्टरों के अभी भी खाली पड़े हैं. सबसे बुरा हाल प्रदेश के सुदूर इलाकों का है. वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है.

उत्तराखंड के अस्पतालों में 40% डॉक्टरों के पद हैं खाली
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Published : Sep 17, 2019, 11:32 PM IST

Updated : Sep 17, 2019, 11:41 PM IST

हल्द्वानीः सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एलोपैथी के डॉक्टरों की भारी कमी है. प्रदेश में करीब 40% पद डॉक्टरों के अभी भी खाली पड़े हैं. सबसे बुरा हाल प्रदेश के सुदूर इलाकों का है. वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है.

उत्तराखंड के अस्पतालों में 40% डॉक्टरों के पद हैं खाली

बता दें कि, हल्द्वानी निवासी आरटीआई सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने आरटीआई के तहत महानिदेशालय चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग से सूचना मांगी थी कि प्रदेश में कितने डॉक्टरों के पद सृजित हैं, उसके सापेक्ष में कितने डॉक्टर तैनात हैं.मिली जानकारी में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. विभाग के जारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 2735 पद डॉक्टरों के स्वीकृत है. जिसमें वर्तमान में 1044 अस्थाई डॉक्टर जबकि 511 संविदा डॉक्टर और 415 विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं. जबकि 1276 डॉक्टरों के पद अभी भी रिक्त हैं.

ये भी पढ़ेंःउत्तराखंडः निर्माण के देवता भगवान विश्वकर्मा की धूमधाम से मनाई गई जयंती, मशीनों और औजारों की हुई पूजा

वहीं, इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है. ऐसे में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. पहाड़ के अधिकतर अस्पताल डॉक्टर के बिना खाली पड़े हैं. गोनिया ने सरकार से अपील की है कि डॉक्टरों की तुरंत तैनाती की जाए. जिससे कि वहां की गरीब जनता को उचित इलाज मिल सके.

हल्द्वानीः सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एलोपैथी के डॉक्टरों की भारी कमी है. प्रदेश में करीब 40% पद डॉक्टरों के अभी भी खाली पड़े हैं. सबसे बुरा हाल प्रदेश के सुदूर इलाकों का है. वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है.

उत्तराखंड के अस्पतालों में 40% डॉक्टरों के पद हैं खाली

बता दें कि, हल्द्वानी निवासी आरटीआई सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने आरटीआई के तहत महानिदेशालय चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग से सूचना मांगी थी कि प्रदेश में कितने डॉक्टरों के पद सृजित हैं, उसके सापेक्ष में कितने डॉक्टर तैनात हैं.मिली जानकारी में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. विभाग के जारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 2735 पद डॉक्टरों के स्वीकृत है. जिसमें वर्तमान में 1044 अस्थाई डॉक्टर जबकि 511 संविदा डॉक्टर और 415 विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं. जबकि 1276 डॉक्टरों के पद अभी भी रिक्त हैं.

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वहीं, इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है. ऐसे में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. पहाड़ के अधिकतर अस्पताल डॉक्टर के बिना खाली पड़े हैं. गोनिया ने सरकार से अपील की है कि डॉक्टरों की तुरंत तैनाती की जाए. जिससे कि वहां की गरीब जनता को उचित इलाज मिल सके.

Intro:sammry- आरटीआई से खुलासा उत्तराखंड में डॉक्टरों की भारी कमी प्रदेश के अस्पतालों में 40% डॉक्टर की है कमी।

एंकर- उत्तराखंड की लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था खराब हो रही है। प्रदेश में एलोपैथी के चिकित्सकों की भारी कमी है। प्रदेश में करीब 40% पद डॉक्टरो कि अभी भी खाली पड़े हैं। सबसे बुरा हाल प्रदेश के दूरस्थ इलाकों का है जहां अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। लेकिन प्रदेश की डबल इंजन सरकार इस कोई ध्यान नहीं दे रही है।


Body:हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने महानिदेशालय चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग से सूचना मांगी कि प्रदेश में कितने डॉक्टरों के पद सृजित हैं उसके सापेक्ष में कितने डॉक्टर तैनात हैं जिसके बाद विभाग द्वारा चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। विभाग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 2735 पद डॉक्टरों के स्वीकृत है, जिसमें 1044 अस्थाई डॉक्टर जबकि 511 संविदा डॉक्टर( एमबीबीएस) जबकि 415 विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं।
बताया गया है कि प्रदेश में 2735 डॉक्टरों के स्वीकृत पद में जिसमें वर्तमान में 1276 पद अभी भी रिक्त चल रहे हैं।
यही नहीं इन डॉक्टरों ने न्यूरो सर्जन कार्डियोलॉजिस्ट फिजीशियन और हड्डी रोग की भारी कमी है।


Conclusion:आईटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है ऐसे में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है पहाड़ के अधिकतर अस्पताल डॉक्टर को बिना खाली पड़े हैं। पहाड़ पर डॉक्टर रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं क्योंकि सरकार उनको उचित मानदेय और भत्ता नहीं दे पा रही हैं जिसके चलते डॉक्टर पहाड़ से प्लान कर रहे हैं हेमंत गोनिया ने सरकार से अपील की है कि डॉक्टरों की तुरंत तैनाती की जाए और उनको उचित तनख्वाह और भत्ते देकर पहाड़ को भेजा जाए जिससे कि वहां की गरीब जनता को उचित इलाज मिल सके।

बाइट हेमंत गोनिया आरटीआई कार्यकर्ता
Last Updated : Sep 17, 2019, 11:41 PM IST
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