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हल्द्वानी में 7 साल में भी नहीं बना 30 बेड का अस्पताल, बजट के अभाव में अटकी सिंचाई विभाग की योजनाएं

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Published : Aug 23, 2022, 3:36 PM IST

उत्तराखंड में दो सरकारें बदल गई, लेकिन अभी तक हल्द्वानी में 30 बेड का अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाया है. उधर, बजट न मिलने से सिंचाई विभाग की 17 योजनाएं ठप पड़ी हुई है. इन योजनाओं को पूरा करने के लिए 40 करोड़ रुपए की बजट की जरुरत है

30 bed hospital not
30 बेड का अस्पताल

हल्द्वानी: उधमसिंह नगर के किच्छा से हल्द्वानी के बीच करीब 34 किलोमीटर के दायरे में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है. ऐसे में लोगों की परेशानी को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने साल 2015 में हल्दुचौड़ में करीब आठ करोड़ की लागत से 30 बेड की अस्पताल की नींव रखी थी, लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी अस्पताल बन कर तैयार नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं कार्यदायी संस्था आधा अधूरा बने अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर करने की बात कह रहा है, लेकिन अस्पताल में व्यवस्थाएं न होने के चलते इसे चालू नहीं किया जा रहा है.

बता दें कि अस्पताल के न बनने से लोगों को हल्द्वानी और उधम सिंह नगर के प्राइवेट अस्पतालों में धक्के खाने पड़ रहे हैं. जहां प्राइवेट अस्पताल इलाज कराने के नाम पर मनमाफिक रकम वसूलते हैं. 19 जून 2015 को इस अस्पताल के लिए धन आवंटन हुआ था. जबकि, 2 सितंबर 2016 को शिलान्यास किया गया था. दो सरकारें बदल गई, लेकिन गरीबों के इलाज के लिए बनाया जाने वाला अस्पताल अब भी स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल पाया है.

हल्द्वानी में 30 बेड का अस्पताल का काम अधूरा.

क्या बोले लालकुआं विधायक मोहन बिष्ट? इस मामले में लालकुआं विधायक मोहन बिष्ट (Lalkuan MLA Mohan Bisht) का कहना है कि 2 बार निर्माणदायी संस्था ब्रीडकुल को चेतावनी दी गई. अब उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. फिलहाल, अस्पताल का काम (Haldwani 30 bed hospital) अंतिम चरण में है. जल्द ही अवस्थापना सुविधा जुटाकर अस्पताल को आम लोगों के लिए खोला जाएगा.

गौर हो कि लालकुआं विधानसभा क्षेत्र जनता व नेशनल हाईवे में होने वाली दुर्घटनाओं के लिए आस पास एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है. यही वजह है कि कई बार मरीज यहां से दूर स्थित अस्पतालों में ले जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. 7 साल में अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाया है. ऐसे में सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने जल्द से जल्द इस अस्पताल को आम जनता के लिए खोलने की मांग की है.

हल्द्वानी में सिंचाई विभाग के 17 योजनाएं ठप, बजट की कमी बना रोड़ाः केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो करती है, लेकिन किसानों के फसलों की सिंचाई के लिए मुख्य साधन नहरें क्षतिग्रस्त अवस्था में है. जिसका सिंचाई विभाग मरम्मत नहीं करा पा रहा है. इसकी पीछे की वजह बजट की कमी (Lack of budget for irrigation department) है. दरअसल, नैनीताल जिले के ज्यादातर सिंचाई नहरें और गुल पिछले साल आई आपदा में टूट चुके हैं. जिनका अभी तक पुनर्निर्माण नहीं हो पाया है. जिसके चलते किसानों के उनके फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है.

नैनीताल जिले में सिंचाई से संबंधित 17 योजनाओं के पुनर्निर्माण के लिए सिंचाई विभाग (Haldwani Irrigation Department) शासन से करीब 40 करोड का बजट भी मांग चुका है, लेकिन बजट न मिलने से क्षतिग्रस्त नहरें और गुल ठीक नहीं हो पा रहे हैं. जिसके चलते किसानों की फसलों का सिंचाई संकट खड़ा हो गया. इन सिंचाई योजनाओं को ठीक कराने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सिंचाई विभाग से बार-बार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन विभाग बजट का रोना रो रहा है.

सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ला ने बताया कि नैनीताल जिले के लिए 17 योजनाओं के लिए डीपीआर तैयार कर शासन को भेज गई थी. साथ ही करीब 40 करोड़ रुपए की बजट की मांग की गई है. मुख्य अभियंता ने बताया कि कार्य योजना के तहत मुख्य रूप से सिंचाई नहर, गुल और बाढ़ सुरक्षा योजना शामिल हैं. जिसके लिए बजट की डिमांड की गई है. बजट मिलने के बाद ही काम हो पाएगा.

हल्द्वानी: उधमसिंह नगर के किच्छा से हल्द्वानी के बीच करीब 34 किलोमीटर के दायरे में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है. ऐसे में लोगों की परेशानी को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने साल 2015 में हल्दुचौड़ में करीब आठ करोड़ की लागत से 30 बेड की अस्पताल की नींव रखी थी, लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी अस्पताल बन कर तैयार नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं कार्यदायी संस्था आधा अधूरा बने अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर करने की बात कह रहा है, लेकिन अस्पताल में व्यवस्थाएं न होने के चलते इसे चालू नहीं किया जा रहा है.

बता दें कि अस्पताल के न बनने से लोगों को हल्द्वानी और उधम सिंह नगर के प्राइवेट अस्पतालों में धक्के खाने पड़ रहे हैं. जहां प्राइवेट अस्पताल इलाज कराने के नाम पर मनमाफिक रकम वसूलते हैं. 19 जून 2015 को इस अस्पताल के लिए धन आवंटन हुआ था. जबकि, 2 सितंबर 2016 को शिलान्यास किया गया था. दो सरकारें बदल गई, लेकिन गरीबों के इलाज के लिए बनाया जाने वाला अस्पताल अब भी स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल पाया है.

हल्द्वानी में 30 बेड का अस्पताल का काम अधूरा.

क्या बोले लालकुआं विधायक मोहन बिष्ट? इस मामले में लालकुआं विधायक मोहन बिष्ट (Lalkuan MLA Mohan Bisht) का कहना है कि 2 बार निर्माणदायी संस्था ब्रीडकुल को चेतावनी दी गई. अब उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. फिलहाल, अस्पताल का काम (Haldwani 30 bed hospital) अंतिम चरण में है. जल्द ही अवस्थापना सुविधा जुटाकर अस्पताल को आम लोगों के लिए खोला जाएगा.

गौर हो कि लालकुआं विधानसभा क्षेत्र जनता व नेशनल हाईवे में होने वाली दुर्घटनाओं के लिए आस पास एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है. यही वजह है कि कई बार मरीज यहां से दूर स्थित अस्पतालों में ले जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. 7 साल में अस्पताल पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाया है. ऐसे में सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने जल्द से जल्द इस अस्पताल को आम जनता के लिए खोलने की मांग की है.

हल्द्वानी में सिंचाई विभाग के 17 योजनाएं ठप, बजट की कमी बना रोड़ाः केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो करती है, लेकिन किसानों के फसलों की सिंचाई के लिए मुख्य साधन नहरें क्षतिग्रस्त अवस्था में है. जिसका सिंचाई विभाग मरम्मत नहीं करा पा रहा है. इसकी पीछे की वजह बजट की कमी (Lack of budget for irrigation department) है. दरअसल, नैनीताल जिले के ज्यादातर सिंचाई नहरें और गुल पिछले साल आई आपदा में टूट चुके हैं. जिनका अभी तक पुनर्निर्माण नहीं हो पाया है. जिसके चलते किसानों के उनके फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है.

नैनीताल जिले में सिंचाई से संबंधित 17 योजनाओं के पुनर्निर्माण के लिए सिंचाई विभाग (Haldwani Irrigation Department) शासन से करीब 40 करोड का बजट भी मांग चुका है, लेकिन बजट न मिलने से क्षतिग्रस्त नहरें और गुल ठीक नहीं हो पा रहे हैं. जिसके चलते किसानों की फसलों का सिंचाई संकट खड़ा हो गया. इन सिंचाई योजनाओं को ठीक कराने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सिंचाई विभाग से बार-बार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन विभाग बजट का रोना रो रहा है.

सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ला ने बताया कि नैनीताल जिले के लिए 17 योजनाओं के लिए डीपीआर तैयार कर शासन को भेज गई थी. साथ ही करीब 40 करोड़ रुपए की बजट की मांग की गई है. मुख्य अभियंता ने बताया कि कार्य योजना के तहत मुख्य रूप से सिंचाई नहर, गुल और बाढ़ सुरक्षा योजना शामिल हैं. जिसके लिए बजट की डिमांड की गई है. बजट मिलने के बाद ही काम हो पाएगा.

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