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180 साल का हुआ नैनीताल, केक काटकर मनाया गया जन्मदिन

देश दुनिया में सैर-सपाटे के लिए मशहूर सरोवर नगरी नैनीताल 180 साल का हो गया है. सरोवरी नगरी के जन्मदिन को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. इस मौके पर बच्चों और स्थानीय निवासियों ने केक काटकर नैनीताल का जन्मदिन सेलिब्रेट किया.

180th Birthday Celebration of Nainital District
नैनीताल जनपद का जन्मदिन सेलिब्रेशन
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Published : Nov 18, 2021, 7:53 PM IST

नैनीताल: जनपद के 180वें जन्मदिन के मौके पर सर्वधर्म सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों ने केक काटकर नैनीताल का जन्मदिन मनाया. कार्यक्रम में नैनीताल मुख्य वन संरक्षक कपिल जोशी बतौर मुख्य अतिथि और अपर आयुक्त प्रकाश चंद्र विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे.

नैनीताल के जन्मदिन के मौके पर शांति-खुशहाली और कोरोना से मुक्ति के लिए सर्वधर्म सभा आयोजित की गई, जिसमें सभी धर्मो के लोगों ने एक साथ नैनीताल के लिए प्रार्थना की. बता दें, 18 नवंबर 1841 में पीटर बैरन नैनीताल आए थे. इसके बाद नैनीताल में बसावट शुरू हो गई.

नैनीताल की खोज: गौर हो कि सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सरोवर नगरी ने 180 साल पूरे कर लिए हैं. नैनीताल का इतिहास काफी रोचक रहा है. 18 नवंबर, 1841 को पीटर बैरन नाम के एक अंग्रेज ने नैनीताल की खोज थी. उस समय नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था. लेकिन, पीटर बैरन को नैनीताल की खूबसूरती इतनी पसंद आयी कि वह इस इलाके को किसी भी कीमत पर खरीदना चाहते थे. इस क्षेत्र को खरीदने के लिए बैरन ने बात की तो दानसिंह थोकदार इसे बेचने के लिए तुरंत तैयार हो गए.

पढ़ें- 180 साल की हुई सरोवर नगरी, अठखेलियां करती लहरें मिटा देती हैं थकान

नैनीताल का पौराणिक महत्व: नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर पड़ा. जो मां के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. दूसरी मान्यता ये भी है कि इस झील में मानसरोवर झील का पानी आता है. इसलिए नैनीझील के जल को काफी पवित्र माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं.

नैनीताल: जनपद के 180वें जन्मदिन के मौके पर सर्वधर्म सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों ने केक काटकर नैनीताल का जन्मदिन मनाया. कार्यक्रम में नैनीताल मुख्य वन संरक्षक कपिल जोशी बतौर मुख्य अतिथि और अपर आयुक्त प्रकाश चंद्र विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे.

नैनीताल के जन्मदिन के मौके पर शांति-खुशहाली और कोरोना से मुक्ति के लिए सर्वधर्म सभा आयोजित की गई, जिसमें सभी धर्मो के लोगों ने एक साथ नैनीताल के लिए प्रार्थना की. बता दें, 18 नवंबर 1841 में पीटर बैरन नैनीताल आए थे. इसके बाद नैनीताल में बसावट शुरू हो गई.

नैनीताल की खोज: गौर हो कि सालभर देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सरोवर नगरी ने 180 साल पूरे कर लिए हैं. नैनीताल का इतिहास काफी रोचक रहा है. 18 नवंबर, 1841 को पीटर बैरन नाम के एक अंग्रेज ने नैनीताल की खोज थी. उस समय नैनीताल में वास्तविक अधिकार स्थानीय निवासी दानसिंह थोकदार का था. लेकिन, पीटर बैरन को नैनीताल की खूबसूरती इतनी पसंद आयी कि वह इस इलाके को किसी भी कीमत पर खरीदना चाहते थे. इस क्षेत्र को खरीदने के लिए बैरन ने बात की तो दानसिंह थोकदार इसे बेचने के लिए तुरंत तैयार हो गए.

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नैनीताल का पौराणिक महत्व: नैनीताल का नाम मां नैना देवी के नाम पर पड़ा. जो मां के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. मान्यता के अनुसार मां के नयनों से गिरे आंसू ने ही ताल का रूप धारण कर लिया और इसी वजह से इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. दूसरी मान्यता ये भी है कि इस झील में मानसरोवर झील का पानी आता है. इसलिए नैनीझील के जल को काफी पवित्र माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं.

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