हरिद्वार: सड़क दुर्घटनाओं में आवारा घूमते जानवरों की मौत हो जाती है. इसे लेकर हरिद्वार के कुछ युवाओं ने आवारा जानवरों के लिए गले में बांधने वाला एक ऐसा पट्टा बनाया है, जो दूर से रोशनी पड़ते ही चमकने लगेगा. इससे वाहन चालक को बेजुबान जानवर दिखाई दे जाएगा और उसे सड़क दुर्घटना से बचाया जा सकेगा.
दरअसल युवाओं की एक संस्था, आर्मी फॉर एनिमल्स ने एक अनोखा अभियान शुरू किया है. संस्था के युवाओं ने सड़कों पर घूमने वाले आवारा जानवरों के लिए एक पट्टा तैयार किया है. इससे बेजुबान जानवरों की रक्षा हो सकेगी. इस पट्टे के कॉलर में रिफ्लेक्टिव मैटेरियल लगा हुआ है. दिन हो या रात, ये पट्टा रोशनी पड़ने पर चमकने लगता है. इसको बनाने में युवाओं ने बहुत ही कड़ी मेहनत की है. उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने आवारा कुत्तों के गले में रिफ्लेक्टर वाले इस कॉलर को बांधकर युवाओं की इस मुहिम की शुरुआत की. साथ ही उन्होंने युवाओं की ओर से किए गए इस कार्य की काफी सराहना की. युवाओं ने बताया कि ये कॉलर दो अलग-अलग साइजों में बनाया गया है. एक गाय के लिए और एक कुत्ते के लिए.
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आर्मी फॉर एनिमल्स के संयोजक अवनीत अरोड़ा का कहना है कि सड़कों पर काफी संख्या में आवारा पशु घूमते दिख जाते हैं. इनकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. वाहन के पहिए के नीचे आ कर अक्सर इनकी मौत हो जाती है. कुछ मामलों में वाहन चालक को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. इसे देखते हुए हमारे युवाओं ने इस पट्टे को बनाया है. इसमें रिफ्लेक्टर लगा हुआ है. दिन हो या रात इस पर लगे रिफ्लेक्टर पर जब गाड़ी की रोशनी पड़ेगी तो ये चमकने लगेगा, जिससे जानवर की जान बच सकेगी. उन्होंने बताया कि इस पट्टे को बनाने का उद्देश्य आवारा पशुओं की जान बचाना है. हालांकि अभी केवल एक हजार पट्टे ही बनाए जा रहे हैं. एक पट्टे की लागत सिर्फ 20 रुपए आई है. पट्टे पर लगा रिफ्लेक्टर खराब नहीं होगा. इस पट्टे को बनाने में जो भी खर्च आया है, उसे युवाओं ने ही वहन किया है.
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शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने आवारा कुत्तों के गले में इस पट्टे को बांध कर इस अभियान की शुरुआत की थी. इसके बाद अभियान को आगे बढ़ाते हुए युवा शहरभर में भ्रमण कर घूम रहे आवारा कुत्तों के गले में ये पट्टे बांधेंगे. शहरी विकास मंत्री ने युवाओं की सराहना करते हुए कहा कि आवारा घूमते जानवरों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता है. ऐसे में अक्सर सड़क दुर्घटना में इन जानवरों की मौत हो जाती है. बेजुबान जानवरों की जान बचाने के लिए इन युवाओं ने जो तकनीक ईजाद की है, वो काबिल-ए-तारीफ है.