हरिद्वारः लोकसभा चुनाव चरम पर है. 11 अप्रैल को उत्तराखंड में मतदान होना है. इसी को लेकर सभी प्रत्याशी जनता को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. वहीं, जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और किसे नापसंद करती है ये मतदान के दिन पता चलेगा. कई मतदाता ऐसे भी हैं जो किसी भी उम्मीदवार को पसंद ना कर नोटा का इस्तेमाल करेंगे. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हरिद्वार की जनता से नोटा के बारे में जानकारी ली. जिसमें अधिकतर लोगों को नोटा के बारे में जानकारी नहीं थी.
सोमवार को ईटीवी भारत की टीम की पड़ताल में ज्यादातर मतदाता नोटा से अंजान मिले. इस दौरान कई लोगों ने तो नोटा पहली बार ही सुना है. अधिकतर युवाओं को नोटा के बारे में ज्यादा जानकारी थी, बल्कि वयस्क और बुजुर्ग मतदाता इस बटन के बारे जानकारी देने वाले काफी कम पाये गये. उनका कहना है कि उन्हें नोटा के बारे में किसी ने जानकारी नहीं दी है. उधर युवाओं का कहना है कि प्रत्याशी पसंद ना आने पर वो इसका इस्तेमाल करते हैं. कुछ का कहना है कि इससे कमजोर प्रत्याशी का फायदा होता है और मजबूत प्रत्याशी का नुकसान होता है.
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क्या होता है नोटा (NOTA)
NOTA (नॉन ऑफ द अबव) यानि ऊपर में से कोई नहीं, EVM में सभी प्रत्याशियों के नाम और सिंबल के आखिरी में एक विकल्प दिया गया है, जो गुलाबी रंग में होता है. जिसके सामने NOTA लिखा होता है. किसी मतदाता को सभी उम्मीदवारों में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वो उस स्थिति में नोटा बटन दबा सकता है. नोटा के मतों को गिना तो जाता है, लेकिन इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाता है. वहीं, सभी प्रत्याशियों से ज्यादा मत नोटा पर पड़ने की स्थिति में दोबारा चुनाव होते हैं. साथ ही राजनीतिक दल अपने दल और प्रत्याशियों को बदल देती है.