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लोकसभा चुनाव 2019: जानिए NOTA के बारे में क्या कहती है हरिद्वार की जनता

ईटीवी भारत की टीम की पड़ताल में ज्यादातर मतदाता नोटा से अंजान मिले. इस दौरान कई लोगों ने तो नोटा पहली बार ही सुना है. अधिकतर युवाओं को नोटा के बारे में ज्यादा जानकारी थी, बल्कि वयस्क और बुजुर्ग मतदाता इस बटन के बारे जानकारी देने वाले काफी कम पाये गये.

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Published : Apr 8, 2019, 8:34 PM IST

नोटा को लेकर ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड रिपोर्ट.

हरिद्वारः लोकसभा चुनाव चरम पर है. 11 अप्रैल को उत्तराखंड में मतदान होना है. इसी को लेकर सभी प्रत्याशी जनता को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. वहीं, जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और किसे नापसंद करती है ये मतदान के दिन पता चलेगा. कई मतदाता ऐसे भी हैं जो किसी भी उम्मीदवार को पसंद ना कर नोटा का इस्तेमाल करेंगे. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हरिद्वार की जनता से नोटा के बारे में जानकारी ली. जिसमें अधिकतर लोगों को नोटा के बारे में जानकारी नहीं थी.

नोटा को लेकर ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड रिपोर्ट.


सोमवार को ईटीवी भारत की टीम की पड़ताल में ज्यादातर मतदाता नोटा से अंजान मिले. इस दौरान कई लोगों ने तो नोटा पहली बार ही सुना है. अधिकतर युवाओं को नोटा के बारे में ज्यादा जानकारी थी, बल्कि वयस्क और बुजुर्ग मतदाता इस बटन के बारे जानकारी देने वाले काफी कम पाये गये. उनका कहना है कि उन्हें नोटा के बारे में किसी ने जानकारी नहीं दी है. उधर युवाओं का कहना है कि प्रत्याशी पसंद ना आने पर वो इसका इस्तेमाल करते हैं. कुछ का कहना है कि इससे कमजोर प्रत्याशी का फायदा होता है और मजबूत प्रत्याशी का नुकसान होता है.

ये भी पढ़ेंः भगत दा बोले- कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, हरीश रावत को नहीं डालते घास

क्या होता है नोटा (NOTA)
NOTA (नॉन ऑफ द अबव) यानि ऊपर में से कोई नहीं, EVM में सभी प्रत्याशियों के नाम और सिंबल के आखिरी में एक विकल्प दिया गया है, जो गुलाबी रंग में होता है. जिसके सामने NOTA लिखा होता है. किसी मतदाता को सभी उम्मीदवारों में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वो उस स्थिति में नोटा बटन दबा सकता है. नोटा के मतों को गिना तो जाता है, लेकिन इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाता है. वहीं, सभी प्रत्याशियों से ज्यादा मत नोटा पर पड़ने की स्थिति में दोबारा चुनाव होते हैं. साथ ही राजनीतिक दल अपने दल और प्रत्याशियों को बदल देती है.

हरिद्वारः लोकसभा चुनाव चरम पर है. 11 अप्रैल को उत्तराखंड में मतदान होना है. इसी को लेकर सभी प्रत्याशी जनता को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. वहीं, जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और किसे नापसंद करती है ये मतदान के दिन पता चलेगा. कई मतदाता ऐसे भी हैं जो किसी भी उम्मीदवार को पसंद ना कर नोटा का इस्तेमाल करेंगे. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने हरिद्वार की जनता से नोटा के बारे में जानकारी ली. जिसमें अधिकतर लोगों को नोटा के बारे में जानकारी नहीं थी.

नोटा को लेकर ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड रिपोर्ट.


सोमवार को ईटीवी भारत की टीम की पड़ताल में ज्यादातर मतदाता नोटा से अंजान मिले. इस दौरान कई लोगों ने तो नोटा पहली बार ही सुना है. अधिकतर युवाओं को नोटा के बारे में ज्यादा जानकारी थी, बल्कि वयस्क और बुजुर्ग मतदाता इस बटन के बारे जानकारी देने वाले काफी कम पाये गये. उनका कहना है कि उन्हें नोटा के बारे में किसी ने जानकारी नहीं दी है. उधर युवाओं का कहना है कि प्रत्याशी पसंद ना आने पर वो इसका इस्तेमाल करते हैं. कुछ का कहना है कि इससे कमजोर प्रत्याशी का फायदा होता है और मजबूत प्रत्याशी का नुकसान होता है.

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क्या होता है नोटा (NOTA)
NOTA (नॉन ऑफ द अबव) यानि ऊपर में से कोई नहीं, EVM में सभी प्रत्याशियों के नाम और सिंबल के आखिरी में एक विकल्प दिया गया है, जो गुलाबी रंग में होता है. जिसके सामने NOTA लिखा होता है. किसी मतदाता को सभी उम्मीदवारों में से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो वो उस स्थिति में नोटा बटन दबा सकता है. नोटा के मतों को गिना तो जाता है, लेकिन इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाता है. वहीं, सभी प्रत्याशियों से ज्यादा मत नोटा पर पड़ने की स्थिति में दोबारा चुनाव होते हैं. साथ ही राजनीतिक दल अपने दल और प्रत्याशियों को बदल देती है.

Intro:एंकर- लोकसभा चुनाव अपने चरम पर है, सभी प्रत्याशी जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में एड़ी चोटी का बल लगा रहे हैं, लेकिन फर्ज करिए आपके संसदीय क्षेत्र में चुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों में में से कोई भी उम्मीदवार आपको पसंद नहीं है या आपकी उम्मीद पर खड़ा नहीं उतरता है ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे। ऐसी ही स्थिति में काम आता है NOTA जोकि अपने आप में जनता के लिए बड़ा कारगर लोकतांत्रिक हथियार है जिससे नेताओं को बहुत डर लगता है। ईटीवी भारत ने आज आम लोगों से यह जानने का प्रयास किया कि वह NOTA के बारे में कितना जानते है।


Body:VO1 - हमारी पड़ताल में सामने आया कि ज्यादातर लोगों को NOTA के बारे में पता नहीं है, कई लोग तो ऐसे भी है जो NOTA शब्द ही नहीं जानते। ईटीवी भारत ने जब पाया कि लोगों को नोटा के बारे में पता नहीं है तो हमने उनको इसकी जानकारी भी दी। NOTA का अर्थ होता है नॉन ऑफ द अबव यानी ऊपर में से कोई नहीं, EVM में सभी प्रत्याशीयों के नाम और सिम्बल के आखिरी में एक गुलाबी बटन होता है जिसके सामने NOTA लिखा होता है और सामने क्रोस का साइन बना होता है। अगर मतदाताओं के सभी उम्मीदवारों में से कोई भी उम्मीदवार अच्छा नहीं लगता तो उस स्थिति में व NOTA का बटन दबा सकता है। हालांकि NOTA के मतों को गिना तो जाता हैं लेकिन इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाता है। अगर सभी प्रत्याशीयों से ज्यादा मत NOTA को पड़ता है तो उस स्थिति में दोबारा चुनाव होते है और राजनीतिक दल अपने दलप्रत्याशियों को बदल देती है।


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