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कुंभ 2021: जूना अखाड़े की पेशवाई में दिखी लोक संस्कृति की झलक - Folk Culture of Uttarakhand

जूना अखाड़े की पेशवाई में उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली. इस मौके पर लोक कलाकारों ने कहा कि वो अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.

Haridwar Mahakumbh 2021
Haridwar Mahakumbh 2021
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Published : Mar 4, 2021, 5:49 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में महाकुंभ का आगाज हो चुका है. जूना अखाड़े ने गुरुवार को आज पेशवाई निकाली है. उससे पहले जूना अखाड़ा की अधिष्ठात्री कही जाने वाली महामाया देवी में पेशवाई के लिए आए लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. प्रस्तुति के दौरान लोक कलाकारों का दर्द देखने को मिला. लोक कलाकारों ने कोरोना के कारण लॉकडाउन के समय को याद करते हुए अपनी आपबीती बताई. साथ ही लोक कलाकारों ने बताया कि वह किस तरह अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.

लोक कलाकारों की छलका दर्द.

जूना अखाड़े की पेशवाई में उत्तराखंड की लोक संस्कृति का दृश्य देखने को मिला, जिसके लिए जूना अखाड़े ने छोलिया टीम पिथौरागढ़ से , छिबला केदार टीम व लोक कलाकार जगदीश की टीम दिल्ली से बुलाई गई. लोक कलाकारों ने बताया कि किस तरह उन्होंने करोना काल में अपना जीवन यापन किया है. आज जब जूना अखाड़े ने उन्हें अपनी पेशवाई के लिए बुलाया है, तो उसके लिए उन्होंने जूना अखाड़े का धन्यवाद किया.

पेशवाई में दिखा उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक.

पढ़ें- जूना अखाड़े की पेशवाई के लिए संत तैयार, किन्नरों ने किया सोलह श्रृंगार

लोक कलाकारों ने बताया कि कि किस तरह वह उत्तराखंड की संस्कृति को बचाकर रखने का प्रयास लगातार कर रहे हैं. आज उत्तराखंड की संस्कृति विलुप्त होती जा रही है, जिसको यही कलाकार बचाकर रखे हुए हैं.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में महाकुंभ का आगाज हो चुका है. जूना अखाड़े ने गुरुवार को आज पेशवाई निकाली है. उससे पहले जूना अखाड़ा की अधिष्ठात्री कही जाने वाली महामाया देवी में पेशवाई के लिए आए लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. प्रस्तुति के दौरान लोक कलाकारों का दर्द देखने को मिला. लोक कलाकारों ने कोरोना के कारण लॉकडाउन के समय को याद करते हुए अपनी आपबीती बताई. साथ ही लोक कलाकारों ने बताया कि वह किस तरह अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.

लोक कलाकारों की छलका दर्द.

जूना अखाड़े की पेशवाई में उत्तराखंड की लोक संस्कृति का दृश्य देखने को मिला, जिसके लिए जूना अखाड़े ने छोलिया टीम पिथौरागढ़ से , छिबला केदार टीम व लोक कलाकार जगदीश की टीम दिल्ली से बुलाई गई. लोक कलाकारों ने बताया कि किस तरह उन्होंने करोना काल में अपना जीवन यापन किया है. आज जब जूना अखाड़े ने उन्हें अपनी पेशवाई के लिए बुलाया है, तो उसके लिए उन्होंने जूना अखाड़े का धन्यवाद किया.

पेशवाई में दिखा उत्तराखंड की लोक संस्कृति की झलक.

पढ़ें- जूना अखाड़े की पेशवाई के लिए संत तैयार, किन्नरों ने किया सोलह श्रृंगार

लोक कलाकारों ने बताया कि कि किस तरह वह उत्तराखंड की संस्कृति को बचाकर रखने का प्रयास लगातार कर रहे हैं. आज उत्तराखंड की संस्कृति विलुप्त होती जा रही है, जिसको यही कलाकार बचाकर रखे हुए हैं.

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