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नीलधारा में मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन से खफा तीर्थ पुरोहित, कही ये बात - Mulayam Singh Yadav ashes immersed in Neeldhara

अखिलेश यादव ने आज नीलधारा में मुलायम सिंह यादव की अस्थियां विसर्जित (Mulayam Singh Yadav ashes immersed) की. जिसके बाद से कई विवाद खड़े हो गये हैं. हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित भी मुलायम सिंह यादव की अस्थियां नीलधारा में विसर्जित किये जाने से नाराज हैं.

Pilgrim priests upset with the bone immersion of Mulayam Singh Yadav in Neeldhara
नीलधारा में मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन से खफा तीर्थ पुरोहित
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Published : Oct 17, 2022, 8:00 PM IST

हरिद्वार: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अस्थियां हरिद्वार में गंगा में विसर्जित (Mulayam Singh Yadav ashes immersed) कर दी गई हैं. उनके बेटे अखिलेश यादव ने परिवार के साथ विधि-विधान के साथ कर्मकांड को पूरा किया. मुलायम सिंह यादव की अस्थियां हरकी पैड़ी में नहीं, बल्कि नमामि गंगे घाट पर विसर्जित (Mulayam Singh Yadav ashes immersed in Neeldhara) की गई है, जिससे तीर्थ पुरोहित नाराज हो गये हैं.

तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित से जब इस विषय पर बात की तो उनका कहना है कि जिस तरह से हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर होने वाले कार्य को अखिलेश यादव ने नीलधारा में किया, वो बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. हरकी पैड़ी का विशेष महत्व है. इसलिए यहां पर सभी 13 अखाड़े कुंभ के दौरान स्नान करते हैं. जिसका विवरण हमारे ग्रंथों में भी है.

नीलधारा में मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन से खफा तीर्थ पुरोहित

पढें- क्यों उत्तराखंड के लिए कभी 'नेताजी' नहीं बन पाए मुलायम सिंह यादव? पढ़ें किस्सा

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के पिता मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन का कार्यक्रम भी यहीं पर होना था, लेकिन वीआईपी कल्चर के तहत इस कार्यक्रम को आखिर में चेंज कर दिया गया. उन्होंने बताया मुलायम सिंह यादव के सभी पूर्वजों और उनके परिजनों का अस्थि विसर्जन हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर ही हुआ है. इसी के साथ तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने कहा कुछ चापलूस और विशेष सलाहकारों के कारण यह कार्यक्रम अपनी सुविधानुसार रखा गया, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है.

पढें- गंगा में विसर्जित की गई मुलायम सिंह यादव की अस्थियां, अखिलेश यादव ने पूरा किया कर्मकांड

वहीं, तीर्थ पुरोहित सौरभ सीखोला ने कहा यदि इस तरह से ही अखिलेश यादव को अपने पिता की अस्थियां प्रवाहित करनी थी तो वे कहीं भी कर सकते थे. हरिद्वार आने के बावजूद वह अपने पिता की अस्थियां हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर विसर्जित नहीं कर रहे हैं तो इससे साफ तौर पर दिख रहा है कि अखिलेश यादव की बुद्धि फिलहाल काम नहीं कर रही है. उन्होंने कहा ऐसा भी हो सकता है कि मुलायम सिंह यादव की किस्मत में मां गंगा की गोद ही नहीं लिखी थी.

हरिद्वार: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अस्थियां हरिद्वार में गंगा में विसर्जित (Mulayam Singh Yadav ashes immersed) कर दी गई हैं. उनके बेटे अखिलेश यादव ने परिवार के साथ विधि-विधान के साथ कर्मकांड को पूरा किया. मुलायम सिंह यादव की अस्थियां हरकी पैड़ी में नहीं, बल्कि नमामि गंगे घाट पर विसर्जित (Mulayam Singh Yadav ashes immersed in Neeldhara) की गई है, जिससे तीर्थ पुरोहित नाराज हो गये हैं.

तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित से जब इस विषय पर बात की तो उनका कहना है कि जिस तरह से हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर होने वाले कार्य को अखिलेश यादव ने नीलधारा में किया, वो बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. हरकी पैड़ी का विशेष महत्व है. इसलिए यहां पर सभी 13 अखाड़े कुंभ के दौरान स्नान करते हैं. जिसका विवरण हमारे ग्रंथों में भी है.

नीलधारा में मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन से खफा तीर्थ पुरोहित

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अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के पिता मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन का कार्यक्रम भी यहीं पर होना था, लेकिन वीआईपी कल्चर के तहत इस कार्यक्रम को आखिर में चेंज कर दिया गया. उन्होंने बताया मुलायम सिंह यादव के सभी पूर्वजों और उनके परिजनों का अस्थि विसर्जन हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर ही हुआ है. इसी के साथ तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने कहा कुछ चापलूस और विशेष सलाहकारों के कारण यह कार्यक्रम अपनी सुविधानुसार रखा गया, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है.

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वहीं, तीर्थ पुरोहित सौरभ सीखोला ने कहा यदि इस तरह से ही अखिलेश यादव को अपने पिता की अस्थियां प्रवाहित करनी थी तो वे कहीं भी कर सकते थे. हरिद्वार आने के बावजूद वह अपने पिता की अस्थियां हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर विसर्जित नहीं कर रहे हैं तो इससे साफ तौर पर दिख रहा है कि अखिलेश यादव की बुद्धि फिलहाल काम नहीं कर रही है. उन्होंने कहा ऐसा भी हो सकता है कि मुलायम सिंह यादव की किस्मत में मां गंगा की गोद ही नहीं लिखी थी.

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