हरिद्वारः निरंजनी और आनंद अखाड़े के कुंभ समापन घोषणा पर जगतगुरु स्वरूपानंद सरस्वती भी विरोध में उतर गए हैं. स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि महाकुंभ किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि सबका है. किसी को अधिकार नहीं है कि वो सब पर अपना फैसला थोपे. वहीं निरंजनी और आनंद अखाड़े के कुंभ समापन की घोषणा से बैरागी संत नाराज हो गए हैं. बैरागी संतों के तीन अखाड़े निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े के संतों ने साफ किर दिया है कि उनका मेला 30 अप्रैल तक जारी रहेगा. बैरागी संत 27 अप्रैल को बड़ी संख्या में शाही स्नान करेंगे.
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इतना ही नहीं नाराज बैरागी संतों ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से कुम्भ मेले के समाप्ति वाले बयान पर माफी मांगने की बात भी कही है. निर्वाणी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास और निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेन्द्र दास ने कहा कि बैरागी कैंप में तीनों अखाड़ों के संत निरंजनी और आनंद अखाड़े के बयान से सहमत नहीं हैं. उनको अपना मेला समाप्त करना है तो वह अपने अखाड़े में करें. कुंभ देव मेला है उसको समाप्त करने का अधिकार नहीं है. कुंभ मेले की अवधि को लेकर निर्णय केवल सरकार या मेला प्रशासन ही ले सकता है. कुंभ मेले को लेकर सोच विचार करने का अधिकार भी केवल अखाड़ा परिषद को है.
बैरागी संतों का कहना है कि कोरोना संन्यासी अखाड़े में हो रहा है. बैरागी अखाड़ों में कोरोना नहीं है. निरंजनी और आनंद अखाड़ा ने यह घोषणा करके अच्छा नहीं किया. अपने इस बयान पर उन्हें माफी मांगनी चाहिए. यदि उनका ऐसा ही रवैया रहा तो वह ज्यादा समय तक अखाड़ा परिषद के साथ नहीं जुड़े रह सकते हैं.
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वहीं इस मामले पर शुक्रवार को मेलाधिकारी दीपक रावत बैरागी कैंप पहुंचे. मेलाधिकारी दीपक रावत ने भी स्पष्ट किया कि कुम्भ मेला 30 अप्रैल तक जारी रहेगा. इसको लेकर मेला प्रशासन ने अपनी सभी तैयारियां की हुई हैं. सभी व्यवस्थाएं मेला प्रशासन ने कर रखी हैं. कोरोना की गाइडलाइन का भी पालन कराया जाएगा.