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निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद पद और अखाड़े से निष्कासित - हरिद्वार लेटेस्ट न्यूज

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Published : Jan 11, 2021, 4:23 PM IST

Updated : Jan 16, 2021, 5:04 PM IST

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद पद और समाज से निष्कासित.

16:20 January 11

निरंजनी अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद निरंजनी को पद और अखाड़े से निष्कासित कर दिया है.

हरिद्वारः निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर पद को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है. अखाड़े ने आज विवादास्पद संत कैलाशानंद की आचार्य पद पर पट्टाभिषेक से पहले ही आचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है. साथ ही उन्हें अखाड़े से भी बाहर कर दिया है. पद से हटाए जाने के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद ने अखाड़े की करवाई को अवैध बताया. उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद को लेकर नित नए विवाद सामने आ रहे हैं. पिछले दिनी ही निरंजनी अखाड़े ने अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अपना आचार्य महामंडलेश्वर बनाने की घोषणा की थी. जिसके बाद संत समाज में खलबली मच गई थी. कैलाशानंद को अग्नि अखाड़ा छोड़कर पहले निरंजनी अखाड़े में संन्यास की दीक्षा देकर ब्रह्मचारी से संन्यासी बनाया गया.

अब 14 जनवरी को उनका आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया जाना है. उनकी नियुक्ति को लेकर अखाड़े में विवाद पैदा हो गया. अखाड़े के पहले से ही नियुक्त आचार्य ने उनके आचार्य पद पर रहते किसी अन्य को आचार्य बनाये जाने को गलत बताया. उन्होंने इसका विरोध शुरू किया तो अखाड़े ने आज उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर पद से ही हटाने की घोषणा कर दी.

निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि दो साल पहले प्रज्ञानानंद को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया था. उसके बाद से ही उनका आचरण अखाड़े की परंपरा के अनुरूप नहीं रहा और वह कभी अखाड़े तक में नही आए. इसीलिए आज उन्हें पद और अखाड़े दोनों से निष्कासित कर दिया गया है.

नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि प्रज्ञानानंद आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बाद निरंजनी अखाड़े में ही नहीं आये और न ही अखाड़े के किसी संत से मिले. उन्होंने ये भी कहा कि प्रज्ञानानंद इस पद के लिए अयोग्य हैं. उन्होंने अखाड़े की परंपराओं के विरुद्ध अखाड़े की छवि को खराब किया है. उन्हें ये पद सौंपने पर उनसे सबसे बड़ी गलती हुई है. इसलिए उन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने के साथ ही अखाड़े से भी निष्काषित किया जा रहा है.

पढ़ेंः BJP विधायक देशराज कर्णवाल ने फोन पर दी धमकी, ऑडियो वायरल

अखाड़े और आचार्य पद से निष्कासित किया जाने के बाद प्रज्ञानानंद ने अखाड़े के सभी आरोपों को गलत बताते हुए उन्हें आचार्य पद और अखाड़े से निष्कासित किए जाने को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा अखाड़े की मान- मर्यादाओं का पूरा सम्मान किया है. बल्कि अखाड़े ने ही कभी मुझे नियुक्ति के बाद एक बार भी परम्परानुसार अखाड़े में नही बुलाया.

उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विधि विधान के साथ संत समाज की और शंकराचार्य जी की मौजूदगी में आचार्य महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा कि अगर किसी और को इस पद पर नियुक्त करना चाहते थे तो वह मुझसे इस बारे में कहते तो मैं स्वयं ही आचार्य पद से इस्तीफा दे देता. उन्होंने कहा कि अखाड़े को उन्हें नियुक्त करने का अधिकार तो है मगर उन्हें हटाने का उन्हें कोई अधिकार नही हैं. उन्होंने कहा कि वह इस सब के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद पद और समाज से निष्कासित.

16:20 January 11

निरंजनी अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद निरंजनी को पद और अखाड़े से निष्कासित कर दिया है.

हरिद्वारः निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर पद को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है. अखाड़े ने आज विवादास्पद संत कैलाशानंद की आचार्य पद पर पट्टाभिषेक से पहले ही आचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है. साथ ही उन्हें अखाड़े से भी बाहर कर दिया है. पद से हटाए जाने के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद ने अखाड़े की करवाई को अवैध बताया. उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है.

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद को लेकर नित नए विवाद सामने आ रहे हैं. पिछले दिनी ही निरंजनी अखाड़े ने अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अपना आचार्य महामंडलेश्वर बनाने की घोषणा की थी. जिसके बाद संत समाज में खलबली मच गई थी. कैलाशानंद को अग्नि अखाड़ा छोड़कर पहले निरंजनी अखाड़े में संन्यास की दीक्षा देकर ब्रह्मचारी से संन्यासी बनाया गया.

अब 14 जनवरी को उनका आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया जाना है. उनकी नियुक्ति को लेकर अखाड़े में विवाद पैदा हो गया. अखाड़े के पहले से ही नियुक्त आचार्य ने उनके आचार्य पद पर रहते किसी अन्य को आचार्य बनाये जाने को गलत बताया. उन्होंने इसका विरोध शुरू किया तो अखाड़े ने आज उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर पद से ही हटाने की घोषणा कर दी.

निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि दो साल पहले प्रज्ञानानंद को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया था. उसके बाद से ही उनका आचरण अखाड़े की परंपरा के अनुरूप नहीं रहा और वह कभी अखाड़े तक में नही आए. इसीलिए आज उन्हें पद और अखाड़े दोनों से निष्कासित कर दिया गया है.

नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि प्रज्ञानानंद आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बाद निरंजनी अखाड़े में ही नहीं आये और न ही अखाड़े के किसी संत से मिले. उन्होंने ये भी कहा कि प्रज्ञानानंद इस पद के लिए अयोग्य हैं. उन्होंने अखाड़े की परंपराओं के विरुद्ध अखाड़े की छवि को खराब किया है. उन्हें ये पद सौंपने पर उनसे सबसे बड़ी गलती हुई है. इसलिए उन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद से हटाने के साथ ही अखाड़े से भी निष्काषित किया जा रहा है.

पढ़ेंः BJP विधायक देशराज कर्णवाल ने फोन पर दी धमकी, ऑडियो वायरल

अखाड़े और आचार्य पद से निष्कासित किया जाने के बाद प्रज्ञानानंद ने अखाड़े के सभी आरोपों को गलत बताते हुए उन्हें आचार्य पद और अखाड़े से निष्कासित किए जाने को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा अखाड़े की मान- मर्यादाओं का पूरा सम्मान किया है. बल्कि अखाड़े ने ही कभी मुझे नियुक्ति के बाद एक बार भी परम्परानुसार अखाड़े में नही बुलाया.

उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विधि विधान के साथ संत समाज की और शंकराचार्य जी की मौजूदगी में आचार्य महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किया गया था. उन्होंने कहा कि अगर किसी और को इस पद पर नियुक्त करना चाहते थे तो वह मुझसे इस बारे में कहते तो मैं स्वयं ही आचार्य पद से इस्तीफा दे देता. उन्होंने कहा कि अखाड़े को उन्हें नियुक्त करने का अधिकार तो है मगर उन्हें हटाने का उन्हें कोई अधिकार नही हैं. उन्होंने कहा कि वह इस सब के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

Last Updated : Jan 16, 2021, 5:04 PM IST

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