हरिद्वार: कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुनते ही लोगों के मन डर सा बैठ जाता है. लेकिन आठवीं क्लास में पढ़ने वाली स्नेह रावत ने मुसीबत की इस घड़ी में हार नहीं मानी, बल्कि लाइलाज कही जाने वाली इस बीमारी का डटकर मुकाबला किया. इस छोटी बच्ची ने साबित कर दिया कि जज्बा, आत्मविश्वास, जागरूकता और अपनों के सपोर्ट से कैंसर जैसी घातक बीमारी को भी मात दी जा सकती है.
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लक्सर के पथरी गांव में रहने वाली स्नेह रावत का परिवार बहुत गरीब है. स्नेह पिछले दो साल से कैंसर से पीड़ित थी. पैसों की कमी के कारण उसे समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा था. बावजूद स्नेह और उसके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी. पिता ने इधर-उधर से पैसों का इंतजाम करके दो साल पहले स्नेह का ऋषिकेश एम्स से उपचार शुरू करवाया. कैंसर जैसी बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही 17 साल की स्नेह की 17 बार कीमोथेरेपी की गई.
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इतनी मुश्किलों के बाद भी स्नेह ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी पढ़ाई करती थी. जब स्नेह का इलाज शुरू हुआ था तो वो छठी क्लास की छात्रा था. लेकिन आज स्नेह बहुत खुश है. क्योंकि दो साल की लंबी लड़ाई के बाद उसने कैंसर जैसी बीमारी पर जीत पाई, साथ ही 8वीं क्लास में वो अच्छे अंकों के साथ पास भी हुई है.
स्नेह की इस हिम्मत और हौसले को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने उसे मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया, ताकि उसका हौसला बना रहे. इस दौरान स्नेह ने अन्य लोगों को भी संदेश देते हुए कहा कि कोई भी बीमारी बड़ी नहीं होती है. यदि हिम्मत और साहस से ऐसी बीमारी का सामना किया जाए तो हर बीमारी से पार पाया जा सकता है.