हरिद्वार: महाकुंभ के दौरान कोरोना जांच के नाम पर हुए घोटाले के आरोपियों के खिलाफ एसआईटी ने सीजेएम कोर्ट से गैर जमानती वारंट ले लिया है. एसआईटी टीम ने मुकदमे में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज कंपनी में पार्टनर शरत पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत के अलावा लैब नलवा लैबोरेट्रीज प्राइवेट लि. हिसार हरियाणा के डॉ. नवतेज नलवा को मुकदमे में नामजद किया था.
लैब और फर्म संचालकों से बारी-बारी पूछताछ के बाद पुलिस ने डेलफिया लैब के संचालक आशीष वशिष्ठ को गिरफ्तार किया था. जिसके बयानों के आधार पर पंत दंपति को इस मामले में नामजद किया गया था, लेकिन कोर्ट से राहत न मिलने के बाद दंपति और नवतेज नलवा फरार थे. जिनकी तलाश में पहले भी दबिश दी गई थी.
एसआईटी की ओर से विवेचनाधिकारी अमरजीत सिंह ने शरत पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत के अलावा डॉ. नवतेज नलवा के खिलाफ गैर जमानती वारंट कोर्ट से ले लिया है. आरोपियों की तलाश में एसआईटी की टीम दिल्ली और हरियाणा के लिए निकल चुकी है.
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बता दें कि मामले में पुलिस आरोपित फर्म और संचालकों को आमने-सामने बैठाकर कई बार पूछताछ कर चुकी है, लगभग 1 महीने तक एसआईटी ने पूछताछ की थी. एसआईटी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए घेराबंदी शुरू कर दी है.
विवेचना अधिकारी अमरजीत सिंह ने बताया कि सीजेएम कोर्ट से गैर जमानती वारंट ले लिए गए हैं. आरोपियों की तलाश की जा रही है. बता दें कि तीन दिन पहले ही इस मामले में मेलाधिकारी स्वास्थ्य डॉ. एके सेंगर, नोडल अधिकारी मेला एनके त्यागी को निलंबित किया है. मामले में 16 अगस्त को डीएम हरिद्वार ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी और दोनों को सस्पेंड करने की सिफारिश की थी.
खास बात ये है कि हरिद्वार में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार को वित्तीय हानि पहुंचाने और संबंधित फर्मों के साथ गठजोड़ करने समेत अनुशासनहीनता एवं लापरवाही बरतने के मामले में इन दोनों अधिकारियों को निलंबित करने का फैसला लिया गया था.