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हरिद्वार के कोतवाल हैं शनिदेव, जब स्थापित हुआ मंदिर, बंद हो गए एक्सीडेंट!

शनिदेव के बारे में कई लोगों को यह मिथक है कि ये मारक, अशुभ और दु:ख कारक हैं. जबकि ऐसा नहीं है. पूरी प्रकृति में संतुलन पैदा करने का काम शनिदेव का है. शनिदेव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. आज हम आपको हरिद्वार के शनि धाम मंदिर के दर्शन करा रहे हैं.

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हरिद्वार के कोतवाल हैं शनिदेव
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Published : May 21, 2022, 10:10 AM IST

हरिद्वार: वैसे तो धर्म नगरी हरिद्वार मां गंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन इस धर्मनगरी की रक्षा के लिए यहां के प्रवेश द्वारों पर शहर के कोतवाल अर्थात भगवान शनिदेव के मंदिर स्थापित किए गए हैं. इनकी मान्यता काफी अधिक है. प्रत्येक शनिवार को यहां सुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है.

25 साल पहले स्थापित हुआ शनि धाम: हरिद्वार में सबसे पहला शनि भगवान का मंदिर 25 साल पहले बहादराबाद क्षेत्र में स्थापित किया गया था. इसके बाद शहर के आठ प्रवेश द्वारों पर शनि देव के मंदिरों की विधिवत स्थापना की गई है.

शनि धाम स्थापना के बाद रुक गए सड़क हादसे: बताया जाता है कि बहादराबाद-हरिद्वार मार्ग पर पच्चीस साल पहले तक काफी सड़क दुर्घटनाएं हुआ करती थीं. इसे देखते हुए सबसे पहले इसी मार्ग पर सिद्ध शनि धाम स्थापित किया गया. बताया जाता है कि इसके बाद इस मार्ग पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और उसमें जाने वाली जानों के आंकड़े में काफी कमी आ गई. इसी के बाद हरिद्वार के तमाम प्रवेश द्वारों पर कुल आठ शनि देव मंदिर स्थापित किए गए. मान्यता है कि शनि भगवान प्रवेश द्वारों पर स्थापित होकर पूरे शहर की स्वयं न केवल रक्षा करते हैं, बल्कि लोगों को न्याय भी दिलाते हैं.

हर शनिवार को जुटती है भीड़: इस सिद्ध शनि धाम की मान्यता इतनी है कि प्रत्येक शनिवार को यहां तड़के से ही महाराष्ट्र से लाकर स्थापित की गई शनि शिला पर तेल व तिल चढ़ाने वालों का तांता लगता है. दोपहर में यहां विशाल भंडारे का आयोजन होता है. शाम को कीर्तन के बाद विशेष पूजा देर रात तक आयोजित की जाती है.

मंदिर में विराजमान हैं नव ग्रह: शनिदेव के इस मंदिर में विशेष रूप से सभी नव ग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित किया गया है. जिस तरह यहां शनि भगवान की विधिवत पूजा अर्चना होती है, उसी तरह स्थापित किए गए इन सभी ग्रहों को भी पूजा जाता है.

पढ़ें: चोरों ने पहले शनिदेव से मांगी माफी, फिर मंदिर में चोरी की घटना को दिया अंजाम

खुले रहते हैं द्वार: शनि न्याय के देवता हैं. यही कारण है कि यहां पर सबको न्याय मिलता है. अन्याय करने वाले यहां आने से भी कांपते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर पर कभी ताला नहीं लगाया जाता. यहां के द्वार चौबीसों घंटे खुले रहते हैं और आज तक यहां चोरी की कोई घटना नहीं हुई है.

बंधता है मन्नत का धागा: शनि धाम में स्थापित विभिन्न ग्रहों को सिद्ध खंभों में विराजमान किया गया है. यहां आने वाला श्रद्धालु अपनी मनोकामना का धागा इन खंभों पर बांधता है. मनोकामना पूर्ण होने पर जब वह इसे खोलने आता है, तो यहां प्रसाद स्वरूप भंडारे का आयोजन करता है.

कैसे पहुंचें शनिधाम: यदि आप बस या ट्रेन से हरिद्वार आते हैं, तो आपको इस सिद्ध मंदिर तक पहुंचने के लिए सात किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा. हरिद्वार से बहादराबाद जाते समय हाईवे पर यह मंदिर स्थित है. ऑटो वाले यहां तक पहुंचाने के लिए आपसे 150 रुपए लेंगे. यदि आप अपने वाहन या बस से दिल्ली या सहारनपुर की तरफ से आ रहे हैं, तो बहादराबाद बाईपास पार करने के बाद एक किलोमीटर की दूरी पर दाहिने हाथ पर आपको मंदिर के दर्शन होंगे.

हरिद्वार: वैसे तो धर्म नगरी हरिद्वार मां गंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन इस धर्मनगरी की रक्षा के लिए यहां के प्रवेश द्वारों पर शहर के कोतवाल अर्थात भगवान शनिदेव के मंदिर स्थापित किए गए हैं. इनकी मान्यता काफी अधिक है. प्रत्येक शनिवार को यहां सुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है.

25 साल पहले स्थापित हुआ शनि धाम: हरिद्वार में सबसे पहला शनि भगवान का मंदिर 25 साल पहले बहादराबाद क्षेत्र में स्थापित किया गया था. इसके बाद शहर के आठ प्रवेश द्वारों पर शनि देव के मंदिरों की विधिवत स्थापना की गई है.

शनि धाम स्थापना के बाद रुक गए सड़क हादसे: बताया जाता है कि बहादराबाद-हरिद्वार मार्ग पर पच्चीस साल पहले तक काफी सड़क दुर्घटनाएं हुआ करती थीं. इसे देखते हुए सबसे पहले इसी मार्ग पर सिद्ध शनि धाम स्थापित किया गया. बताया जाता है कि इसके बाद इस मार्ग पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और उसमें जाने वाली जानों के आंकड़े में काफी कमी आ गई. इसी के बाद हरिद्वार के तमाम प्रवेश द्वारों पर कुल आठ शनि देव मंदिर स्थापित किए गए. मान्यता है कि शनि भगवान प्रवेश द्वारों पर स्थापित होकर पूरे शहर की स्वयं न केवल रक्षा करते हैं, बल्कि लोगों को न्याय भी दिलाते हैं.

हर शनिवार को जुटती है भीड़: इस सिद्ध शनि धाम की मान्यता इतनी है कि प्रत्येक शनिवार को यहां तड़के से ही महाराष्ट्र से लाकर स्थापित की गई शनि शिला पर तेल व तिल चढ़ाने वालों का तांता लगता है. दोपहर में यहां विशाल भंडारे का आयोजन होता है. शाम को कीर्तन के बाद विशेष पूजा देर रात तक आयोजित की जाती है.

मंदिर में विराजमान हैं नव ग्रह: शनिदेव के इस मंदिर में विशेष रूप से सभी नव ग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित किया गया है. जिस तरह यहां शनि भगवान की विधिवत पूजा अर्चना होती है, उसी तरह स्थापित किए गए इन सभी ग्रहों को भी पूजा जाता है.

पढ़ें: चोरों ने पहले शनिदेव से मांगी माफी, फिर मंदिर में चोरी की घटना को दिया अंजाम

खुले रहते हैं द्वार: शनि न्याय के देवता हैं. यही कारण है कि यहां पर सबको न्याय मिलता है. अन्याय करने वाले यहां आने से भी कांपते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर पर कभी ताला नहीं लगाया जाता. यहां के द्वार चौबीसों घंटे खुले रहते हैं और आज तक यहां चोरी की कोई घटना नहीं हुई है.

बंधता है मन्नत का धागा: शनि धाम में स्थापित विभिन्न ग्रहों को सिद्ध खंभों में विराजमान किया गया है. यहां आने वाला श्रद्धालु अपनी मनोकामना का धागा इन खंभों पर बांधता है. मनोकामना पूर्ण होने पर जब वह इसे खोलने आता है, तो यहां प्रसाद स्वरूप भंडारे का आयोजन करता है.

कैसे पहुंचें शनिधाम: यदि आप बस या ट्रेन से हरिद्वार आते हैं, तो आपको इस सिद्ध मंदिर तक पहुंचने के लिए सात किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा. हरिद्वार से बहादराबाद जाते समय हाईवे पर यह मंदिर स्थित है. ऑटो वाले यहां तक पहुंचाने के लिए आपसे 150 रुपए लेंगे. यदि आप अपने वाहन या बस से दिल्ली या सहारनपुर की तरफ से आ रहे हैं, तो बहादराबाद बाईपास पार करने के बाद एक किलोमीटर की दूरी पर दाहिने हाथ पर आपको मंदिर के दर्शन होंगे.

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