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अफगानियों की करतूत से भारत नहीं आ रहे 'मेहमान', गंगा घाट हुए वीरान, वैज्ञानिक चिंतित

बदलते पर्यावरण की वजह से प्रवासी पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं. यही कारण है कि शीतकाल शुरू होने के बाद भी गंगा घाटों पर प्रवासी पक्षी नहीं दिख रहे हैं.

हरिद्वार
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Published : Nov 14, 2019, 12:58 PM IST

हरिद्वार: ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं. साल 2002 तक हरिद्वार में प्रवासी पक्षियों का आना जाना था, लेकिन बदलते पर्यावरण की वजह से पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं. हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में विलुप्त हो रहे पक्षियों पर शोध चल रहा है.

विलुप्त हो रहे साइबेरियान क्रेन पक्षी

एक समय था जब शीतकाल शुरू होते ही हरिद्वार के गंगा घाटों पर चीन, मध्य एशिया, साइबेरिया, मंगोलिया, रूस के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता था. इससे गंगातटों की रौनक बढ़ जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से प्रवासी साइबेरियन क्रेन का आना जाना बंद हो गया है. जाने माने पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट का कहना है कि इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज बड़ी वजह है.

पढ़ें- जौनपुर मुख्यालय के मुख्य बाजार पर खतरा, आज भी अगलाड़ नदी का वो भयानक मंजर भुलाए नहीं भूलता

वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट का मानना है कि जिस ओर से साइबेरियन क्रेन पक्षी आते थे. उसी मार्ग पर अफगानिस्तान भी पड़ता है. अफगानिस्तान में लगातार लड़ाइयां होती रहीं और अफगानिस्तान में कबीलाई इस क्षेत्र में खानाबदोश हैं, उनको इस पक्षी के रूप में आहार मिल जाता है. कबीलाइयों ने पक्षियों की इस प्रजाति को काफी हानि पहुंचाई है.

उन्होंने बताया कि इस पक्षी को आहार के रूप में अच्छा माना जाता है. साइबेरियन क्रेन के विलुप्त होने का यह भी एक बड़ा कारण है.

हरिद्वार: ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं. साल 2002 तक हरिद्वार में प्रवासी पक्षियों का आना जाना था, लेकिन बदलते पर्यावरण की वजह से पक्षी लगातार विलुप्त होते जा रहे हैं. हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में विलुप्त हो रहे पक्षियों पर शोध चल रहा है.

विलुप्त हो रहे साइबेरियान क्रेन पक्षी

एक समय था जब शीतकाल शुरू होते ही हरिद्वार के गंगा घाटों पर चीन, मध्य एशिया, साइबेरिया, मंगोलिया, रूस के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता था. इससे गंगातटों की रौनक बढ़ जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से प्रवासी साइबेरियन क्रेन का आना जाना बंद हो गया है. जाने माने पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट का कहना है कि इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज बड़ी वजह है.

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वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट का मानना है कि जिस ओर से साइबेरियन क्रेन पक्षी आते थे. उसी मार्ग पर अफगानिस्तान भी पड़ता है. अफगानिस्तान में लगातार लड़ाइयां होती रहीं और अफगानिस्तान में कबीलाई इस क्षेत्र में खानाबदोश हैं, उनको इस पक्षी के रूप में आहार मिल जाता है. कबीलाइयों ने पक्षियों की इस प्रजाति को काफी हानि पहुंचाई है.

उन्होंने बताया कि इस पक्षी को आहार के रूप में अच्छा माना जाता है. साइबेरियन क्रेन के विलुप्त होने का यह भी एक बड़ा कारण है.

Intro:एंकर - तीर्थ नगरी हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी  विस्वविद्यालय में पक्षियों पर शोध कार्य के पाठ्यकर्म में पक्षियों की लुप्त हो रही परजातियो पर कार्य चल रहा है  एक समय हुआ करता था जब हरिद्वार में शीत काल में  कई तरह की पक्षी परजातिया आया करती थी लेकिन कई वजहों के कारन अब कई परजातिया विलुप्त हो गयी है , जाने-माने पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट का कहना है कि इसके पीछे  एक बहुत बड़ा कारण युद्ध भी  है। Body:वो-1 :- प्रोफेसर दिनेश भट्ट के अनुशार जो ग्लोबल वार्मिंग और जो क्लाइमेट चेंज की  हम बात करते हैं उसके अनेक प्रभाव प्रवाशी  पक्षियों पर भी होते हैं इन्हीं प्रभावों के कारण भारत में आने वाली एक साइबेरियन क्रेन पक्षी सन 2002 से लगभग  आना बंद हो गयी  है  भरतपुर में एक नेशनल पार्क है जहा  कई वर्षों से  उस पक्षी का वहां पर आना था परंतु अब कई वर्षों से बिलकुल भी नजर नहीं आ रही है।  ऐसा माना जाता है कि इस के मार्ग में जो अफगानिस्तान में लगातार लड़ाइयां होती रही  जो युद्ध होता रहा और  जो लोग अफगानिस्तान में कबीलाई  इस क्षेत्र में खानाबदोश जिंदगी जी रहे थे उनको इस पक्षी के रूप में आहार मिल जाता था जिसके कारण इस पक्षि पर उन्होंने काफी हानि पहुंचाई कबीलाई क्षेत्र में इस पक्षी को आहार के रूप में काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि यह काफी ऊंची लंबी होती है और इसमें काफी मांस होता है जिसके कारण अब यह परजाति विलुप्त सी ही हो गयी है  इसीलिए प्रोफेसर दिनेश भट्ट का कहना है की युद्ध भी एक बहुत बड़ा कारण है प्रवासी पक्षियों के विलुप्त होने का.Conclusion:Byte - प्रोफेसर दिनेश भट्ट, पक्षी वैज्ञानिक (गुरुकुल कांगड़ी  विस्वविद्यालय हरिद्वार )
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