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गंगा की अविरलता के लिए 27 अप्रैल को जल भी त्याग देंगे स्वामी आत्मबोधानंद, 177 दिनों से जारी है अनशन

लंबे समय से अनशन कर रहे स्वामी आत्मबोधानंद मांगें न मानी जाने पर त्यागेंगे जल. संसद में गंगा विधेयक पास करने और गंगा की अविरलता बरकरार रखने से जुड़ी अन्य मांगों को लेकर कर रहे हैं अनशन.

saint atmabodhanand will leave water for ganga protection
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Published : Apr 19, 2019, 9:51 AM IST

हरिद्वार: गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 177 दिनों से अनशन कर रहे हैं. पिछले साल 24 अक्टूबर से शुरू हुए अनशन के बाद भी गंगा की अविरलता के लिए कोई ठोस कदम न उठाये जाने से दुखी ने ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने सरकार को चेतावनी दी है. उनका कहना है कि आगामी 25 अप्रैल तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी तो वो 27 अप्रैल से जल त्याग देंगे.

मातृ सदन गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से अभियान चला रहा है. मातृ सदन की मांग है कि गंगा की रक्षा के लिए संसद में गंगा विधेयक पास किया जाए. इसी मांग को लेकर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद अनशन पर बैठे हुए हैं. 177 दिनों से अनशन कर रहे ब्रह्मचारी का कहना है कि उनकी मांगों को अबतक माना नहीं गया है और न ही उनसे कोई वार्ता की गई. इसलिए अब वो 27 तारीख से जल का भी त्याग कर देंगे.

बता दें कि आत्मबोधनंद ने प्रशासन पर अस्पताल में उनकी हत्या करने की कोशिश का आरोप लगाया था जब उन्हें जबरन दिल्ली एम्स भर्ती करवाया गया था.

गंगा के लिए स्वामी सानंद दे चुके हैं बलिदान
ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद से पहले मातृ सदन के ही स्वामी सानंद उर्फ प्रो. जीडी अग्रवाल गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए अनशन कर रहे थे. उन्होंने भी सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वो जल त्याग देंगे. उस समय उनके जल त्यागने के दूसरे ही दिन 11 अक्टूबर 2018 को उनका निधन हो गया.

हरिद्वार: गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 177 दिनों से अनशन कर रहे हैं. पिछले साल 24 अक्टूबर से शुरू हुए अनशन के बाद भी गंगा की अविरलता के लिए कोई ठोस कदम न उठाये जाने से दुखी ने ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने सरकार को चेतावनी दी है. उनका कहना है कि आगामी 25 अप्रैल तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी तो वो 27 अप्रैल से जल त्याग देंगे.

मातृ सदन गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से अभियान चला रहा है. मातृ सदन की मांग है कि गंगा की रक्षा के लिए संसद में गंगा विधेयक पास किया जाए. इसी मांग को लेकर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद अनशन पर बैठे हुए हैं. 177 दिनों से अनशन कर रहे ब्रह्मचारी का कहना है कि उनकी मांगों को अबतक माना नहीं गया है और न ही उनसे कोई वार्ता की गई. इसलिए अब वो 27 तारीख से जल का भी त्याग कर देंगे.

बता दें कि आत्मबोधनंद ने प्रशासन पर अस्पताल में उनकी हत्या करने की कोशिश का आरोप लगाया था जब उन्हें जबरन दिल्ली एम्स भर्ती करवाया गया था.

गंगा के लिए स्वामी सानंद दे चुके हैं बलिदान
ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद से पहले मातृ सदन के ही स्वामी सानंद उर्फ प्रो. जीडी अग्रवाल गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए अनशन कर रहे थे. उन्होंने भी सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वो जल त्याग देंगे. उस समय उनके जल त्यागने के दूसरे ही दिन 11 अक्टूबर 2018 को उनका निधन हो गया.

Intro:एंकर - गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए पिछले वर्ष 24 अक्टूबर से शुरू हुए ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को आज 178 दिन अनशन करते हुए हो गए है लेकिन इस ओर सरकार लगातार आंखे मूंदे हुए है, ऐसे में अब ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर आगामी 25 अप्रैल तक सरकार उनकी सभी मांगें मानने को तैयार नहीं होती है तो वह अपने अनशन के 186वे दिन यानी की 27 अप्रैल को पूर्ण रूप से जल त्याग देंगे।


Body:VO1 - मातृ सदन गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए लंबे समय से अभियान चला रहा है, मातृ सदन की मांग है कि गंगा नदी की रक्षा के लिए संसद में गंगा विधेयक पास किया जाए। इसी मांग को लेकर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद अनशन पर बैठे हुए हैं। लगातार 177 दिनों से अनशन कर रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का कहना है कि इतने दिनों के अनशन के बाद भी उनकी मांगों को नहीं माना गया और ना ही उनसे किसी भी प्रकार की वार्ता की गई ऐसी परिस्थिति में अगर आगामी 25 अप्रैल तक उनकी मांगे सरकार नहीं मानती है तो वह 27 अप्रैल को पूर्ण रूप से जल त्याग देंगे। बता दें ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद से पहले मातृ सदन की ही स्वामी सानंद गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए अनशन कर रहे थे, उन्होंने भी सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वह जल त्याग देंगे, उस समय उनके जल त्यागने के दूसरे ही दिन 11 अक्टूबर को उनका निधन हो गया था। ऐसे में यह प्रश्न अपने आप में बहुत बड़ा है कि क्या सरकार की अनदेखी से अब एक और संत अपने प्राण गंवा देगा।


Conclusion:नोट- खबर अभी लगवा दें, इसमें बाइट कल सुबह भेज दी जाएगी।
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