हरिद्वार: महाकुंभ 2021 को लेकर प्रदेश सरकार और मेला प्रशासन की तैयारियां जारी है. हाल ही में हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों ने मेला प्रशासन के कुंभ कार्यो पर नाराजगी जाहिर की थी. संतों ने मांग की थी कि मेले का नोटिफिकेशन जल्द जारी किया जाए और बाहर से आने वाले संतों के लिए टेंटों की व्यवस्था की जाए.
वहीं, आज बैरागी अखाड़ों के संतों ने हरिद्वार के आश्रम में बैठक की, जिसमे संतों ने मेला प्रशासन और सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मेला प्रशासन और प्रदेश सरकार बैरागियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. एक ओर जहां सन्यासियों के अखाड़ों में कुंभ कार्य शुरू हो चुके हैं. वहीं, बैरागियों के लगने वाले शिविरों की कोई तैयारी नहीं हुई है. अगर प्रदेश सरकार और मेला प्रशासन जल्द इस ओर ध्यान नहीं देता है तो संतों को गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से वार्ता कर अपनी पीड़ा बताएंगे.
वैष्णो अखाड़ों के जगद्गुरु रामानंदाचार्य का कहना है कि वैष्णों अखाड़ों के कुंभ में कोई भी कार्य शुरू नहीं किए गए हैं, न ही सड़कों की व्यवस्था की गई है और न बिजली-पानी की. मेला प्रशासन सिर्फ आश्वासन दे रहा है कि इन कार्यों को जल्द पूरा कराया जाएगा, मगर ये कार्य होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. सरकार पर दबाव बनाया जाता है, मगर सरकार भी नहीं सुन रही है. सरकार और मेला प्रशासन सिर्फ संन्यासी अखाड़ों में कार्य करा रहे हैं, मगर वैष्णों अखाड़ों की उपेक्षा की जा रही है.
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जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने शासन और मेला प्रशासन से मांग की है कि वैष्णो अखाड़ों के बैरागी कैंप में कार्यों की व्यवस्था जल्द शुरू करें, क्योंकि वैष्णों अखाड़ों के यहां कोई स्थान नहीं है. वह खुले मैदान में ही टेंट में रहते हैं, इसलिए जल्द से जल्द बैरागी अखाड़ों में व्यवस्था की जाए.
वहीं, वैष्णव संप्रदाय के निर्मोही अखाड़े के महंत राजेंद्र दास का कहना है कि कुंभ मेले को लेकर नरसिंह धाम मंदिर में जगतगुरु की अध्यक्षता में वैष्णव समाज के तीनों अखाड़ों की साधु-संतों के साथ बैठक की गई है. उनका कहना है कि शासन-प्रशासन और लोगों को बताने के लिए कि कुंभ मेला नजदीक आ गया है मगर शासन और मेला प्रशासन द्वारा कोई भी व्यवस्था नहीं की जा रही है. चाहे अखाड़ों को देने वाली जमीन का मामला हो या मूलभूत सुविधा का. यह बहुत ही चिंता का विषय है. शासन और प्रशासन लगातार दावे कर रहा है कि कार्य हो रहे हैं, मगर धरातल पर वह होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि शासन-प्रशासन अपना मुंह न छुपाए और सामने आकर वार्ता करें.
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वैष्णव संप्रदाय के दिगंबर अनी अखाड़े के महंत राम किशोर दास शास्त्री का कहना है कि वैष्णव संप्रदाय यह तीनों अखाड़ों के साधु संत बैरागी कैंप में रहते हैं, मगर यहां पर शासन और मेला प्रशासन द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया है. शासन और प्रशासन वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों के साथ उदासीनता दिखा रहा है. यहां पर सफाई बिजली पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. शासन-प्रशासन बैरागी कैंप में टेंट नहीं लगा रहे हैं, मगर जो हमारे वैष्णव संप्रदाय के बड़ी संख्या में साधु हैं, एक हजार के करीब मंडलेश्वर है और तीन अखाड़ों हजारों साधु संत हैं. यह सभी कुंभ मेले के शाही स्नान में बैरागी कैंप से ही गंगा स्नान करने जाते हैं लेकिन बिना टेंट लगाए इतने साधुओं को रखा नहीं जा सकता.
उन्होंने कहा कि प्रयागराज माघ मेले में जमीन आवंटन हो गई है. हरिद्वार से कई बड़ा माघ मेला होता है. क्या वहां कोरोना नहीं है? कोरोना का बहाना बनाकर सरकार वैष्णव संप्रदाय के तीनों अखाड़ों के साधु-संतों के लिए उदासीनता दिखा रही है. उन्होंने कहा कि अगर शासन या मेला प्रशासन हमारी नहीं सुनता है, तो हम दिल्ली जाकर गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे.
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का सपना है कि वो अच्छा कुंभ कराएंगे. पूर्व के कुंभ से अच्छा कुंभ हरिद्वार का होगा. कुंभ कार्यों में जितनी पारदर्शिता से कार्य किया जा रहा है और जितनी तेजी से कार्य हो रहे हैं. वह काफी अच्छे हैं. क्योंकि कुंभ में लाखों श्रद्धालु हरिद्वार आना चाहते हैं.