हरिद्वार: कॉर्बेट नेशनल पार्क के रामनगर के जंगलों से लाई गई मादा बाघिन को राजाजी टाइगर रिजर्व मोतीचूर रेंज में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया है. अधिकारियों को कहना है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क से लाई गई बाघिन का व्यवहार अभी सामान्य चल रहा है. वह जंगलों घूम कर वातावरण से परिचित हो रही है. उम्मीद है जल्द ही अपना शिकार करेगी.
पार्क के निदेशक डीके सिंह ने बताया राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी प्रभाग में बाघों की संख्या कम होने के कारण यहां 5 भाग राजाजी कॉर्बेट नेशनल पार्क से लाकर छोड़ जाने हैं. भारतीय वन्यजीव संस्थान व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के तत्वाधान में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है. उनका कहना है कि अगर बाघिन एक या दो सप्ताह तक ठीक रहती है और यहां शिकार करना शुरू कर देती है. तो माना जाएगा कि उसने इन जंगलों को अपना लिया है. हालांकि, बाघिन को रेडियो कॉलर भी लगाया गया है, जिससे उसकी हर लोकेशन पर नजर रखी जा रही है.
डीके सिंह ने बताया कि राजाजी नेशनल पार्क एवं कॉर्बेट नेशनल पार्क के बीच समानता होने कारण या मिशन सफल होने की संभावना है. किसी भी प्रकार की अनहोनी व व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए इस मिशन को गुप्त रखा गया था. राजाजी नेशनल पार्क के पूर्वी भाग में करीब 40 टाइगर हैं, जबकि अब तक इस क्षेत्र में केवल एक ही मादा बाघिन थी. वहीं, यह सघन वन क्षेत्र काफी बड़े क्षेत्र में फैला है. जहां पर 80 बाघों को बिना किसी दिक्कत के रखा जा सकता है.
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पार्क के निदेशक के मुताबिक, इस बात को ध्यान में रखते हुए इकोसिस्टम को और अधिक मजबूत करने तथा बाघों को उपलब्ध भोजन की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता को देखते हुए यहां पर बाघ संवर्धन और संरक्षण का काम शुरू किया गया है. अभी एक बाघिन को छोड़ा गया है जबकि, चार बाघ कॉर्बेट नेशनल पार्क में और चिन्हित किए जा चुके हैं, जिन्हें जल्द ही लाकर यहां छोड़ा जाएगा. भविष्य में यहां पर बाघों की संख्या में बढ़ोतरी होने की संभावना है.