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भर दो झोली मेरी या मोहम्मद...धुन पर मस्तमलंग दिखे मस्त, दिखाए हैरतअंगेज करतब

पिरान कलियर स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का सालाना उर्स चल रहा है. जिसमें दूर-दराज से मस्तमलंग पहुंचे हुए हैं. जो अपनी धुन में रमे हुए हैं.

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पिरान कलियर में मस्तमलंग
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Published : Oct 31, 2020, 8:32 AM IST

Updated : Oct 31, 2020, 12:12 PM IST

रुड़की: भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश हैं, जहां आस्था, श्रद्धा और विश्वास की त्रिवेणी का संगम न केवल शहरों बल्कि गांव-देहातों में देखने को मिलता है. हरिद्वार धर्म और आध्यात्म की ऐसी अनुपम नगरी हैं, जहां नित दिन अधिकांश आश्रमों से धर्म और आध्यात्म आधारित उपदेश गूंजते हैं तो वहीं, पिरान कलियर से सूफियों के मानव कल्याण का संदेश देते प्रवचन सुनाई देते हैं. इन दिनों खिदमत-ए-खल्क में मस्तमलंग रमे हुए नजर आ रहे हैं.

बता दें कि रुड़की से 7 किलोमीटर की दूरी पर सूफी संतों की नगरी पिरान कलियर है. जहां एक अलग ही दुनिया बस्ती है, जिन्हें मस्तमलंगों की दुनिया कहा जाता है. ये मस्तमलंग दुनिया के रीति-रिवाज से बिल्कुल अलग होते हैं, न परिवार न कोई ख्वाहिश और न ही कोई चाहत, बस अपनी ही धुन और अपनी ही दुनिया में खोए ये मस्तमलंग दुनियाभर में बसे हैं. दुनियाभर में मजारों पर इन मस्तमलंगों का डेरा होता है. बस यही वो स्थान है, जहां उनका घरबार और सब कुछ होता है. पिरान कलियर भी उन स्थानों में एक है. पिरान कलियर में चार धुनें रजिस्टर्ड हैं. चारों धुनों पर सैकड़ों मस्तमलंग रहते हैं, जो खिदमत-ए-खल्क को अंजाम देते हैं.

सालाना उर्स में शामिल मस्तमलंग.

ये भी पढ़ेंः यहां शिव का जलाभिषेक कर गायब हो जाती है जलधारा, रहस्यों को समेटे है महासू मंदिर

इन दिनों पिरान कलियर स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का सालाना उर्स चल रहा है. उर्स में शिरकत करने आए दूर-दराज से मस्तमलंग कलियर स्थित डेरों पर लीन हैं. रफाई धुनें के गद्दीनशीन मासूम बाबा ने बताया कि उन्हें मजार शरीफ में आराम फरमा सूफिओं पर सच्ची आस्था है और उन्हीं के के लिए वो दुनियां भुलाए हैं. मासूम बाबा बताते हैं कि धुनों पर मौजूद मस्तमलंगों की गिजा चिलम है. हालांकि, ये सेहत के लिए हानिकारक होती है. बावजूद इसके वो इसे अपनी गिजा मानते हैं. वो बताते हैं कि यदि तीन दिन उन्हें खाना न दिया जाए तो उनपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

पिरान कलियर सुफी संतों की नगरी कहलाता है, क्योंकि यहां विश्व प्रसिद्ध सूफी हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक की दरगाह है. दरगाह से अकीदत और सच्ची आस्था रखने वाले लोग यहां आते हैं और अपनी बिड़गी बनाते हैं. कहते हैं दरबार में सच्चे दिल से जो मांगा जाता वो उसे हासिल होता है. दरबार-ए-साबिर पाक का हर साल उर्स मनाया जाता है. जो इन दिनों चल रहा है. उर्स में दूर-दराज से अकीदतमंद दरबार में हाजरी लगाते हैं और फैजियाब होकर लौटते हैं.

ये भी पढ़ेंः धरती का स्वर्ग है सिद्ध स्रोत, सबसे पहले यहीं सुनाई गई थी भागवत कथा

मस्तमलंगों ने दिखाए हैरतअंगेज करतब
इन्हीं अकीदतमंदों में एक फौज मस्तमलंगों की भी होती है. जिनके पास दरबार के अलावा और कोई धुन नहीं होता है. ये मस्तमलंग अपने परिवारों को छोड़कर दरगाहों की शरण में रहते हैं और वहीं खिदमत को अंजाम देते हैं. मस्तमलंगों की दुनिया बेहद दिलचस्प होती है, इन्हें देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाता है. उर्स के दौरान ये मस्तमलंग धमाल (करतब) करते हैं, जिसमें ये अपने ऊपर तलवार, हंटर आदि चीजों से वार करते हुए दिखाई देते हैं. इनका मानना है कि ये सब दरबार की सच्ची आस्था का प्रमाण है, जिससे उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. वहीं, अगर बात करें इनके जीवन यापन की तो बेहद सादा जीवन जीना और लोगों की मदद करना ही इनका मकसद होता है.

रुड़की: भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश हैं, जहां आस्था, श्रद्धा और विश्वास की त्रिवेणी का संगम न केवल शहरों बल्कि गांव-देहातों में देखने को मिलता है. हरिद्वार धर्म और आध्यात्म की ऐसी अनुपम नगरी हैं, जहां नित दिन अधिकांश आश्रमों से धर्म और आध्यात्म आधारित उपदेश गूंजते हैं तो वहीं, पिरान कलियर से सूफियों के मानव कल्याण का संदेश देते प्रवचन सुनाई देते हैं. इन दिनों खिदमत-ए-खल्क में मस्तमलंग रमे हुए नजर आ रहे हैं.

बता दें कि रुड़की से 7 किलोमीटर की दूरी पर सूफी संतों की नगरी पिरान कलियर है. जहां एक अलग ही दुनिया बस्ती है, जिन्हें मस्तमलंगों की दुनिया कहा जाता है. ये मस्तमलंग दुनिया के रीति-रिवाज से बिल्कुल अलग होते हैं, न परिवार न कोई ख्वाहिश और न ही कोई चाहत, बस अपनी ही धुन और अपनी ही दुनिया में खोए ये मस्तमलंग दुनियाभर में बसे हैं. दुनियाभर में मजारों पर इन मस्तमलंगों का डेरा होता है. बस यही वो स्थान है, जहां उनका घरबार और सब कुछ होता है. पिरान कलियर भी उन स्थानों में एक है. पिरान कलियर में चार धुनें रजिस्टर्ड हैं. चारों धुनों पर सैकड़ों मस्तमलंग रहते हैं, जो खिदमत-ए-खल्क को अंजाम देते हैं.

सालाना उर्स में शामिल मस्तमलंग.

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इन दिनों पिरान कलियर स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का सालाना उर्स चल रहा है. उर्स में शिरकत करने आए दूर-दराज से मस्तमलंग कलियर स्थित डेरों पर लीन हैं. रफाई धुनें के गद्दीनशीन मासूम बाबा ने बताया कि उन्हें मजार शरीफ में आराम फरमा सूफिओं पर सच्ची आस्था है और उन्हीं के के लिए वो दुनियां भुलाए हैं. मासूम बाबा बताते हैं कि धुनों पर मौजूद मस्तमलंगों की गिजा चिलम है. हालांकि, ये सेहत के लिए हानिकारक होती है. बावजूद इसके वो इसे अपनी गिजा मानते हैं. वो बताते हैं कि यदि तीन दिन उन्हें खाना न दिया जाए तो उनपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

पिरान कलियर सुफी संतों की नगरी कहलाता है, क्योंकि यहां विश्व प्रसिद्ध सूफी हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक की दरगाह है. दरगाह से अकीदत और सच्ची आस्था रखने वाले लोग यहां आते हैं और अपनी बिड़गी बनाते हैं. कहते हैं दरबार में सच्चे दिल से जो मांगा जाता वो उसे हासिल होता है. दरबार-ए-साबिर पाक का हर साल उर्स मनाया जाता है. जो इन दिनों चल रहा है. उर्स में दूर-दराज से अकीदतमंद दरबार में हाजरी लगाते हैं और फैजियाब होकर लौटते हैं.

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मस्तमलंगों ने दिखाए हैरतअंगेज करतब
इन्हीं अकीदतमंदों में एक फौज मस्तमलंगों की भी होती है. जिनके पास दरबार के अलावा और कोई धुन नहीं होता है. ये मस्तमलंग अपने परिवारों को छोड़कर दरगाहों की शरण में रहते हैं और वहीं खिदमत को अंजाम देते हैं. मस्तमलंगों की दुनिया बेहद दिलचस्प होती है, इन्हें देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाता है. उर्स के दौरान ये मस्तमलंग धमाल (करतब) करते हैं, जिसमें ये अपने ऊपर तलवार, हंटर आदि चीजों से वार करते हुए दिखाई देते हैं. इनका मानना है कि ये सब दरबार की सच्ची आस्था का प्रमाण है, जिससे उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. वहीं, अगर बात करें इनके जीवन यापन की तो बेहद सादा जीवन जीना और लोगों की मदद करना ही इनका मकसद होता है.

Last Updated : Oct 31, 2020, 12:12 PM IST
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