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गमगीन माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस, सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात

मुहर्रम की 10वीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन की याद में मुस्लिम समुदाय ने देहरादून में मातमी जुलूस निकाला. मंगलवार को अलम और ताजिया के जुलूस में बच्चों से लेकर बड़ों ने खुद को छुरियों और जंजीरों से लहूलुहान कर लिया

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Published : Sep 11, 2019, 7:07 AM IST

Updated : Sep 11, 2019, 8:38 AM IST

मुहर्रम का जुलूस

रुड़की: उत्तराखंड के कई शहरों और कस्बों में मगंलवार को मोहर्रम जुलूस निकाला गया. रुड़की में दिन भर ताजियों की जियारत आशूरा का रोजा और नवाफिल पढ़ने का दौर रहा. हजारों अकीदत मंदों ने नम आंखों से ताजियों को विदा किया. इससे पहले मर्सिया पढ़ी गई.

गमगीन माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस

कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके जांनिसारों के साथ यजीदी फौज के जुल्म की दास्तान सुनकर अकीदतमंद अपने आंसू नहीं रोक पाए. रुड़की के इमली रोड से शुरू हुए जुलूस में लोगों ने हजरत इमाम हुसैन के लिए अपनी मोहब्बत और अकीदत का इजहार किया. साथ ही छूरियों से मातम भी मनाया.

muharram procession
मुहर्रम का जुलूस

पढ़ें- नए मोटर व्हीकल एक्ट से खौफजदा लोग, लूट रहे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक

जुलूस में जमकर अखाड़ा यानी लाठी तलवारें और आग के गोले से अपने करतब दिखाए. मोहर्रम की दसवीं तारीख को अकीदत मंद मुस्लिमों ने रोजा रखा और क्षेत्र में जगह-जगह लंगर खानी हुई. शहर में इस दौरान किसी तरह को माहौल खराब न हो इसके के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. प

muharram procession
मोहर्रम जुलूस

पढ़ें- यूटिलिटी हादसा: 4 शवों को किया गया बरामद, 2 की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

बात दें कि मोहर्रम की 10 तारीख इतिहास का वह दिन है, जब कर्बला में जंग के दौरान निहत्थे इमाम हुसैन सहित 72 जांनिसारों को यजीद की फौज ने शहीद कर दिया था.

रुड़की: उत्तराखंड के कई शहरों और कस्बों में मगंलवार को मोहर्रम जुलूस निकाला गया. रुड़की में दिन भर ताजियों की जियारत आशूरा का रोजा और नवाफिल पढ़ने का दौर रहा. हजारों अकीदत मंदों ने नम आंखों से ताजियों को विदा किया. इससे पहले मर्सिया पढ़ी गई.

गमगीन माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस

कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके जांनिसारों के साथ यजीदी फौज के जुल्म की दास्तान सुनकर अकीदतमंद अपने आंसू नहीं रोक पाए. रुड़की के इमली रोड से शुरू हुए जुलूस में लोगों ने हजरत इमाम हुसैन के लिए अपनी मोहब्बत और अकीदत का इजहार किया. साथ ही छूरियों से मातम भी मनाया.

muharram procession
मुहर्रम का जुलूस

पढ़ें- नए मोटर व्हीकल एक्ट से खौफजदा लोग, लूट रहे प्रदूषण जांच केंद्र संचालक

जुलूस में जमकर अखाड़ा यानी लाठी तलवारें और आग के गोले से अपने करतब दिखाए. मोहर्रम की दसवीं तारीख को अकीदत मंद मुस्लिमों ने रोजा रखा और क्षेत्र में जगह-जगह लंगर खानी हुई. शहर में इस दौरान किसी तरह को माहौल खराब न हो इसके के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. प

muharram procession
मोहर्रम जुलूस

पढ़ें- यूटिलिटी हादसा: 4 शवों को किया गया बरामद, 2 की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

बात दें कि मोहर्रम की 10 तारीख इतिहास का वह दिन है, जब कर्बला में जंग के दौरान निहत्थे इमाम हुसैन सहित 72 जांनिसारों को यजीद की फौज ने शहीद कर दिया था.

Intro:रुड़की में आज दिन भर ताजियों की जियारत आशूरा का रोजा और नवाफिल पढ़ने का दौर रहा यह आलम था मंगलवार को ताजियों को विभिन्न कर्बला में सुपुर्द ए खाक करने से पहले का हजरत इमाम हुसैन (रज़ी0) की याद में मंगलवार को शाम गमगीन माहौल में ताजिए सुपुर्द ए खाक कर दिए गए वही हजारों अकीदत मंदों ने नम आंखों से ताजियों को विदा किया इससे पहले मर्सिया पढ़ी गई जिसमें कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके जांनिसारों के साथ यजीदी फोजों द्वारा किए गए जुल्म की दास्तान सुनकर अकीदतमंद अपने आंसू नहीं रोक पाए इस दौरान लोगों ने विभिन्न स्थानों पर छबील हलीम और खीर का वितरण किया।

बता दें कि रुड़की के इमली रोड से शुरू हुए इस जुलूस में हजरत इमाम हुसैन के लिए लोगों ने अपनी मोहब्बत और अकीदत का इजहार किया साथ ही छूरियों से मातम किया गया यह जुलूस काफिले के साथ इमामबारगाह से शुरू होकर मेन बाजार से होता हुआ कर्बला पहुंचा मोहर्रम की 10 तारीख इतिहास का वह दिन है जब कर्बला में जंग के दौरान निहत्थे इमाम हुसैन सहित 72 जांनिसारों को यजीद की फौज ने शहीद कर दिया था इस जंग में भले ही यजीद ने जीत हासिल की थी लेकिन असल में जीत इस्लाम की हुई थी किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि।

कत्ल-ए-हुसैन अस्ल में मर्ग-ए-यजीद है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद।


Body:बता दें कि रुड़की व आसपास के क्षेत्रों में भी कई स्थानों पर ताजिए निकाले गए वहीं दरगाह साबिर पाक दरगाह अब्दाल साहब दरगाह इमाम साहब और अन्य गांव में भी ताजिए निकाले गए जिन्हें एक साथ जुलूस के रूप में कर्बला में सुपुर्द ए खाक किया गया है।




Conclusion:अगर बात करें सुननी मुस्लिमों की तो उन्होंने भी जुलूस निकाला यह जुलूस अलग-अलग जगहों के लोगों ने निकाले और रुड़की में एक स्थान पर इकट्ठा होकर सभी जुलूस एक साथ रूड़की नगर निगम पुल से शुरू होकर मच्छी मोहल्ला चौक पर सम्पन्न हुए वहीं जुलूस में खूब जमकर अखाड़ा यानी लाठी तलवारें और आग के गोले से अपने करतब दिखाए गए वहीं मोहर्रम की दसवीं तारीख को अकीदत मंद मुस्लिमों ने रोजा रखा और क्षेत्र में जगह-जगह लंगर खानी हुई इस दौरान शरबत जलेबी मीठे चावल बिरयानी खीचड़ आदि आवाम के बीच लंगर किया गया और फातिहा अमन चैन की दुआएं मांगी गई जुलूस के रूप में भारी तादाद में लोग स्थानीय कर्बला पहुंचे वहीं सुरक्षा के लिहाज से भारी पुलिस बल भी मुस्तैद रहा।


बाइट - रियाज़ कुरैशी (सुन्नी समुदाय)
बाइट - मौलाना अहमद रजा ( शिया धर्मगुरु
बाइट - मुमताज अब्बास नकवी (अजादार)
बाइट - अजादार बच्चा ,, 1,2
Last Updated : Sep 11, 2019, 8:38 AM IST
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