रुड़की: उत्तराखंड के कई शहरों और कस्बों में मगंलवार को मोहर्रम जुलूस निकाला गया. रुड़की में दिन भर ताजियों की जियारत आशूरा का रोजा और नवाफिल पढ़ने का दौर रहा. हजारों अकीदत मंदों ने नम आंखों से ताजियों को विदा किया. इससे पहले मर्सिया पढ़ी गई.
कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके जांनिसारों के साथ यजीदी फौज के जुल्म की दास्तान सुनकर अकीदतमंद अपने आंसू नहीं रोक पाए. रुड़की के इमली रोड से शुरू हुए जुलूस में लोगों ने हजरत इमाम हुसैन के लिए अपनी मोहब्बत और अकीदत का इजहार किया. साथ ही छूरियों से मातम भी मनाया.
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जुलूस में जमकर अखाड़ा यानी लाठी तलवारें और आग के गोले से अपने करतब दिखाए. मोहर्रम की दसवीं तारीख को अकीदत मंद मुस्लिमों ने रोजा रखा और क्षेत्र में जगह-जगह लंगर खानी हुई. शहर में इस दौरान किसी तरह को माहौल खराब न हो इसके के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. प
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बात दें कि मोहर्रम की 10 तारीख इतिहास का वह दिन है, जब कर्बला में जंग के दौरान निहत्थे इमाम हुसैन सहित 72 जांनिसारों को यजीद की फौज ने शहीद कर दिया था.