हरिद्वार: भगवान शिव को अत्यंत प्रिय श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है. पूरे एक माह तक शिवालयों में महादेव के जयकारे गूंजेंगे. शिव की ससुराल कनखल दक्ष मंदिर में पहले सोमवार की पूर्व संध्या पर महाआरती की गई. पहले सोमवार से पूर्व संध्या की आरती का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि सावन के महीने में कैलाश पर्वत से शिव अपनी ससुराल कनखल में आ जाते हैं और पूरे सावन के महीने यहां पर विराजमान रहते हैं.
सोमवार शिव का सबसे प्रिय दिन होता है तो सोमवार की पूर्व संध्या पर होती है शिव की शयन आरती. आरती के बाद शिव शयन के लिए चले जाते हैं और सोमवार को सुबह तड़के से ही शिव भक्त शिव का जलाभिषेक शुरू कर देते हैं.
दक्ष प्रजापति मंदिर के महंत विश्वेश्वर पुरी का कहना है कि सावन का महीना भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता है. कनखल दक्ष प्रजापति महादेव की ससुराल है. भगवान शिव ने राजा दक्ष को वचन दिया था कि सावन के एक महीने में वे यही वास करेंगे इसलिए भगवान शिव सावन के एक महीना दक्ष प्रजापति में ही वास करते हैं.
22 अप्रैल को सावन का पहला सोमवार है. उससे पहले शिव की विशेष आरती इसलिए की जाती है कि भगवान शिव के आगमन का स्वागत किया जाता है. भगवान शिव अपने ससुराल में एक महीने के लिए विराजमान हो गए हैं क्योंकि सावन के महीने में भगवान शिव की जटा से गंगा अवतरित हुईं थी.
यह भी पढ़ेंः कुमाऊं में हरेला की धूम, पारंपरिक वेशभूषा में स्कूली छात्रों ने दी रंगारंग प्रस्तुति
इसलिए सावन के महीने में गंगा जल, दूध. दही, शहद, गन्ने के रस और भांग धतूरे से भगवान शिव की पूजा की जाती है भक्तों की दक्ष प्रजापति मंदिर में सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
भगवान शिव अब एक महीने तक दक्ष प्रजापति में ही सृष्टि का संचालन करेंगे क्योंकि मान्यता है कि भगवान शिव सावन के महीने में दक्ष महादेव मंदिर में ही निवास करते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं.
इसलिए पहले सोमवार की पूर्व संध्या पर दक्ष मंदिर में शिव की महाआरती की जाती है और सोमवार के दिन दक्ष प्रजापति मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की कतारें लगी रहती हैं.