हरिद्वार: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) को शपथ लिए हुए लंबा समय बीत चुका है. लेकिन उन्होंने अभीतक मंत्रीमंडल के विस्तार को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि जब भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली दौरे पर जाते हैं तो प्रदेश में मंत्रीमंडल विस्तार की चर्चाएं (Uttarakhand cabinet expansion) जोर पकड़ने लगती हैं. लेकिन उनके दिल्ली दौरे से लौटते ही सब शांत हो जाता है. वहीं इन सब के बीच धामी सरकार को लेकर एक सवाल जो इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है, वो उनका हरिद्वार से मोहभंग होना (Haridwar ignored in Dhami). ये चर्चा ऐसे ही नहीं चल रही है, इसके पीछे बड़ी वजह है.
एनडी तिवारी का राह पर सीएम धामी: दरअसल, हरिद्वार की गिनती उत्तराखंड के बड़े जिलों में होती है और धार्मिक दृष्टि से भी उत्तराखंड का काफी महत्व है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मंत्रीमंडल में हरिद्वार का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हैं. धामी की कैबिनेट में हरिद्वार जिले का कोई भी विधायक नहीं हैं. ऐसे में सवाल ये ही खड़ा हो रहा है कि क्या धामी सरकार को भी पूर्व की एनडी तिवारी सरकार की तरह हरिद्वार की जरूरत नहीं है. क्योंकि प्रदेश की पहली निर्वाचित तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार (ND Tiwari) ने भी हरिद्वार को अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी थी. हालांकि इसके पीछे वजह बताई जाती है कि उस समय हरिद्वार जिले की 8 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस एक भी नहीं जीत पाई थी.
हरिद्वार से खफा क्यों: एनडी तिवारी के बाद के तमाम बीजेपी और कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने अपनी कैबिनेट में हरिद्वार को जगह दी है, यानी हरिद्वार जिले के किसी न किसी विधायक को कैबिनेट मंत्री बनाया है. पुष्कर सिंह धामी ने अपने पहले कार्यालय में भी हरिद्वार से एक विधायक को कैबिनेट मंत्री बनाया था, लेकिन इस बार उन्होंने हरिद्वार जिले के किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं दी. जबकि बीजेपी सरकार में अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ है. हरिद्वार जिले के विधायक बीजेपी मदन कौशिक को बीजेपी ने संगठन और सरकार दोनों में हमेशा तवज्जो दी है, लेकिन धामी सरकार के कार्यकाल में ऐसा नहीं हो रहा है. हालांकि अभी कैबिनेट के तीन पद खाली है.
क्या कहते हैं जानकार: मदन कौशिक से संगठन की कमान वापस लेने के बाद इस तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है कि बीजेपी हरिद्वार की उपेक्षा कर रही है. हालांकि इस वजह ये भी बताई जा रही है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 5 सीटों का नुकसान हुआ. जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हरिद्वार में सिर्फ तीन सीटों पर ही हारी थी. शायद यहीं वजह है कि बीजेपी हरिद्वार को इस बार सरकार में इतनी तवज्जो नहीं दे रही है.
पढ़ें- CM धामी ने लॉन्च की अग्निपथ योजना, 19 अगस्त को कोटद्वार में भर्ती रैली
इस बारे में उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हरिद्वार में कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. इसी वजह से बीजेपी हरिद्वार को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं ले पा रही है. भागीरथ शर्मा का मानना है कि बीजेपी को हरिद्वार की उपेक्षा की वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
भागीरथ शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस का जिस तरह से हरिद्वार में ग्राफ बढ़ा है, उसके बाद न केवल मुख्यमंत्री बल्कि संगठन भी इसी मंथन में है कि साल 2024 में हरिद्वार से क्या परिणाम सामने आएंगे. भागीरथ शर्मा ने कहा कि मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भले ही बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बना ली है, लेकिन मदन कौशिक अपने गृह जिले हरिद्वार में बीजेपी के लिए कुछ खास नहीं कर पाए. इसीलिए उन्हें भी अपना पद गंवाना पड़ा. हालांकि अभी सरकार में कैबिनेट के तीन पद खाली हैं. हरिद्वार के विधायक अभी आस लगाए हुए बैठे हैं कि सरकार उन पर मेहरबान होंगे.
पढ़ें- तिरंगे को लेकर फिर चर्चाओं में BJP प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, अब कांग्रेस को दी ये नसीहत
कांग्रेस और संत समाज की राय: कांग्रेस भी धामी सरकार से ये सवाल कर रही है कि आखिर हरिद्वार की उपेक्षा क्यों की जा रही है? कांग्रेस नेता मनीष कर्णवाल का कहना है कि बीजेपी सरकार ने हरिद्वार को अनाथ सा किया हुआ है. बीजेपी सरकार ने हरिद्वार से अपने किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं दी है, जबकि यहां की जनता से बीजेपी का काफी प्यार दिया है. ऐसा ही कुछ मानना संत समाज का भी है. हरिद्वार से किसी भी विधायक का कैबिनेट में न होना सही नहीं है.
बीजेपी का जवाब: वहीं हरिद्वार की उपेक्षा को लेकर बीजेपी के नेताओं का कहना है कि ये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विशेष अधिकार है. ऐसे तो हर जिले से मंत्री पद की मांग की जाएगी. सरकार में ऐसा नहीं होता है. मुख्यमंत्री प्रदेश के हर जिले के अभिभावक की तरह देख रहे है. कांग्रेस इस तरह के मुद्दे उठाकर सिर्फ हल्की राजनीति कर रही है.