हरिद्वार: आज देव प्रबोधनी एकादशी है. इस दिन की मान्यता है कि भगवान विष्णु एक बार फिर अपनी सत्ता को संभालने के लिए निंद्रा से जागते हैं. क्योंकि चार मास भगवान शिव, विष्णु की निंद्रा के वक्त सृष्टि का संचालन करते हैं. आज से भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन करेंगे.
देव प्रबोधनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी को पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बहुत महत्व दिया जाता है. इसका कारण यही है कि इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिये योगनिद्रा में चले जाते हैं. जिस कारण शुभ कार्यों को इस दौरान करने की मनाही होती है. इसके बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देव प्रबोधनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु निद्रा से उठते हैं. उसके बाद फिर से शुभ कार्यों की शुरूआत होती है. मगर इस बार ऐसा संयोग बन रहा है कि 5 अप्रैल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है.
देवशयनी एकादशी का महत्व
ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पूरी का कहना है कि भगवान विष्णु राजा बलि को दिए हुए वचन के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन पताल लोक चले जाते हैं और उसके बाद भगवान विष्णु देव प्रबोधनी एकादशी आज के दिन निंद्रा को समाप्त कर अपनी सत्ता संभालते हैं. चार मास भगवान शिव के हाथ में सत्ता रहती है. इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह विशेष रूप से किया जाता है और आज से विवाह के मुहूर्त भी प्रारंभ हो जाते हैं. इसके लिए बृहस्पति और शुक्र का बल उत्तम होना अनिवार्य है. 20 तारीख को बृहस्पति मकर की नीच राशि में आ रहा है और यह 11 वर्ष बात होता है. इस बार बृहस्पति अतिचारी भी है. जो सवा साल तक एक राशि में रहता है.
ये भी पढ़ें: गंगाजल लेकर पशुपतिनाथ का अभिषेक करने नेपाल चले रावल, जानिए कहानी
बृहस्पति 5 अप्रैल को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे
इस बार बृहस्पति 5 अप्रैल में ही दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश कर जाएंगे. इस वजह से सभी शुभ मुहूर्त खत्म हो गए है. इसमें गंगा स्नान भी नहीं होता और साथ ही किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता. इस वक्त बृहस्पति और शुक्र उदय और अस्त भी होंगे, इसलिए 5 अप्रैल तक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है. अगर किसी व्यक्ति को शादी करनी ही है तो वह आज के दिन ही शादी कर सकता है.
तुलसी और शालिग्राम का विवाह
आज के दिन तुलसी और शालिग्राम के विवाह का महत्व पुराणों में मिलता है. इस विवाह को काफी शुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि तुलसी ने भगवान विष्णु को शालिग्राम में वर के रूप में प्राप्त किया. इसलिए आज के दिन विशेष रूप से शालिग्राम और तुलसी का विवाह होता है. जिनके पुत्र ना हो वह शालिग्राम के रूप में जिनकी बेटी ना हो वह तुलसी को बेटी के रूप में मानकर विवाह करते हैं. जिन के बड़े पुत्र की मृत्यु हो गई हो शालिग्राम को अपना बड़ा पुत्र मानकर उसका विवाह करते हैं. जिस लड़के और लड़की का विवाह ना हो रहा हो. वह तुलसी और शालिग्राम से विवाह करके अपने वैवाहिक जीवन को बना सकते हैं. जो घोर मांगलिक या विषकन्या योग हो, वह तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने के बाद अपना विवाह करें तो उनको वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है. इस एकादशी तिथि को पुण्यतिथि नहीं कहते, लेकिन यह योग अबुजा योग होता है. इसे सुलझाने की जरूरत नहीं होती. यह स्वयं सिद्ध योग है, इसमें विवाह किया जा सकता है.
5 अप्रैल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं
आज से भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन करने के लिए योग निद्रा से जाग गए हैं. आज के दिन किसी के जीवन में भी अगर किसी प्रकार का दुख होता है तो वह तुलसी और शालिग्राम की पूजा करें तो उनके सभी दुखों का निवारण होता है, लेकिन इस बार बृहस्पति के मकर की नीच राशि में आने और अतिचारी होने से 5 अप्रैल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. इस कारण इस दौरान लोग विवाह के बंधन में नहीं बंध सकेंगे.