हरिद्वार : योग गुरु बाबा रामदेव ने तीन साल बाद एक बार फिर से लगभग 500 युवाओं को संन्यास दीक्षा दी है. बाबा रामदेव खुद आर्य समाज से आते हैं, लिहाजा सीधे तौर पर उनका अखाड़ों से कोई लेना देना नहीं है. इसके बाद भी इतनी अधिक संख्या में बाबा रामदेव के यहां हो रहे संन्यास धारण कार्यक्रम के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिरकार यह संन्यासी क्या करेंगे?
योग-अध्यात्म की अलख जगाएंगे संन्यासी: बता दें बीते 3 साल पहले भी बाबा रामदेव ने हरिद्वार के वीआईपी घाट पर भव्य कार्यक्रम में लगभग 300 से अधिक युवाओं को संन्यास धारण ग्रहण करवाया था. इस बार भी कठिन प्रक्रिया के बाद 500 युवाओं को संन्यास धारण करवाया गया है. यह 500 संन्यासी बाबा रामदेव के शिष्य के तौर पर देशभर में योग और अध्यात्म की अलख जगायेंगे. सभी 500 युवाओं को संन्यास दिलाने से पहले बाकायदा शास्त्र, शस्त्र, योग और अन्य सभी क्रियाओं में पारंगत किया गया है. सभी कार्यों की दीक्षा लेने के बाद ये संन्यासी बाबा रामदेव के सपने को पूरा करेंगे.
अध्यात्म का प्रचार प्रसार करेंगे युवा संन्यासी: ऋषि ही मातृभूमि ईश्वरीय सत्ता और अध्यात्म की रक्षा कर सकता है. जिसके लिए भी बाबा रामदेव इन संन्यासियों को तैयार कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में 40 विदुषी छात्राओं या यह कहें महिलाओं ने भी संन्यास लिया है. बाबा रामदेव ने कहा सभी के मां बाप की इच्छा के बाद ही इन सभी को संन्यास धारण करवाया गया है.
बाबा रामदेव ने तैयार की संन्यासियों की नारायणी सेना: योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा संन्यासी होना जीवन का सबसे बड़ा गौरव है. अब से सभी 100 संन्यासी ऋषि परम्परा का निर्वहन करते हुए मातृभूमि, ईश्वरीय सत्ता, ऋषिसत्ता तथा अध्यात्मसत्ता में जीवन व्यतीत करेंगे. इसके लिए हरिद्वार के ऋषिग्राम में 9 दिनों तक तप, पुरुषार्थपूर्ण अनुष्ठान किया गया. बाबा रामदेव ने कहा हमने नव संन्यासियों की नारायणी सेना तैयार की है, जो पूरे विश्व में संन्यास धर्म, सनातन धर्म व युगधर्म की ध्वजवाहक होगी. इससे पहले वेदमंत्रों के बीच देवताओं, ऋषिगणों, सूर्य, अग्नि आदि को साक्षी मानकर सभी संन्यास दीक्षुओं का मुख्य विरजा होम तथा मुण्डन संस्कार किया गया.
पढे़ं- 'भगवा' रंग को RSS प्रमुख ने बताया देश की शान, कहा, आचरण से लोगों को समझाना होगा 'सनातन'
संन्यास दीक्षुओं ने शोभा यात्र के साथ वीआईपी घाट हरिद्वार के लाया गया. जहां बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण महाराज ने पुष्पवर्षा कर इनका स्वागत किया. गंगा की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए सभी संन्यासियों का मुण्डन ऋषिग्राम में ही किया गया. सांकेतिक रूप से सभी संन्यास दीक्षुओं ने शिखासूत्र एवं यज्ञोपवीत पतित पावनी मां गंगा के पावन जल में विसर्जित की. सभी ऋषि-ऋषिकाओं ने गंगा में स्नान के पश्चात अपने श्वेत वस्त्र त्यागकर भगवा वस्त्र धारण किए. उसके बाद 100 संन्यास दीक्षुओं के सिर पुरुषसुक्त के मंत्रों से 108 बार गंगा जल से अभिषेक कर पवित्र संन्यास संकल्प दिलाया गया.
बाबा रामदेव के लिए 30 मार्च का दिन बेहद खास इसलिए भी रहा क्योंकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उनके एक नए विश्वविद्यालय का भी उद्घाटन किया. इस विश्वविद्यालय के नए भवन का शिलान्यास पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था. जिसका निर्माण पूरा होने के बाद अमित शाह ने उद्घाटन किया.