हरिद्वार: कुंभ में किन्नर अखाड़ा सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है. किन्नर अखाड़ा की प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की मानें तो इस बार कुंभ में गुरू और शिष्य की परंपरा की अनूठी मिसाल देखने के लिए मिलेगी. हरिद्वार में जूना अखाड़ा की छावनी में ही इस बार किन्नर अखाड़ा को जगह दी गई है. लिहाजा, आज पेशवाई में किन्नरों का अलग ही आकर्षण दिखाई दे रहा था. ऊपर से नीचे तक सोने चांदी से लदी हुई किन्नर संत शहर से जब निकलीं तो देखने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा.
इस बार के कुंभ में किन्नर अखाड़ा सबसे बड़ी जो पहल करने जा रहा है, वो यह है कि अबतक 2013 से 2021 तक कोई भी इस अखाड़े में महिला और पुरुष शामिल नहीं हुआ है, लेकिन यह पहली बार होगा कि जब न केवल महिला महामंडलेश्वरों को इस अखाड़े में उपाधि दी जा रही है, बल्कि पुरुष संत भी किन्नर अखाड़ा में शामिल होंगे. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की मानें तो इस बार का कुंभ मेला हरिद्वार में भले ही कम समय के लिए हो लेकिन गुरू शिष्य परंपरा के साथ-साथ महिलाओं के लिए और बालिकाओं के लिए ऐसे कई बड़े निर्णय लिए जाएंगे, जो इस कुंभ मेले को इतिहास में दर्ज करवाएंगे.
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लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि जब इस अखाड़े की स्थापना की गई थी तो उनका मुख्य मकसद सिर्फ एक ही था कि जो भी इस अखाड़े में शामिल होना चाहता है वो किन्नरों के प्रति हीन भावना न रखे. अगर उसके अंदर प्रेम है भक्ति है और गुरू के प्रति समर्पण है, तभी वह इस अखाड़े में शामिल हो सकता है. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की मानें तो किन्नर अखाड़ा भी उसी परंपरा और उसी अनुशासन के साथ कार्य करता है, जिस अनुशासन के साथ तमाम अखाड़े करते हैं. उन्होंने कहा कि इस बार के कुंभ मेले में जो भी उनके पास आएगा. वह उसके लिए दुआएं करेंगे.